Saturday, 12 September 2015

सफलता ....कोई रोक नहीं पायेगा .

एक सरोवर में बहुत सारे मेंढक रहते थे ..सरोवर के बीचो बीच एक बहुत पुराना धातु का खम्भा भी लगा हुआ था जिसे उस सरोवर को बनवाने वाले राजा ने लगवाया था .
खम्भा  काफी ऊँचा था और उसकी सतह भी चिकनी थी ..एक दिन सभी मेंढ़को ने एक विचार किया की क्यों ना एक रेस लगायी जाए ..रेस में भाग लेने वाले प्रतियोगी को खम्भे पर चढ़ना होगा और जो सबसे पहले ऊपर पहुच जायेगा वही विजेता माना जायेगा .
रेस का दिन आ पंहुचा ,चारों तरफ बड़ी भीड़ भाड थी, आस -पास के इलाको के कई मेंढक भी इस रेस में हिस्सा लेने पहुचे थे .
माहोल में सरगर्मी थी..हर तरफ शोर ही शोर था रेस शुरू हुई ...लेकिन खम्भे को देख कर भीड़ में किसी भी मेंढक को ये यकीन नहीं हो रहा था की कोई ऊपर तक पहुच पायेगा .
हर तरफ यही सुनाई देता "अरे ये बहुत कठिन है वो कभी ये रेस पूरी नहीं कर पाएंगे ..सफलता का तो कोई सवाल ही नहीं बनता ."
इतने चिकने खम्भे पर कोई चढ ही नहीं सकता और हो भी यही रहा था ,जो भी मेंढक कोशिश करता ऊपर चढ़ने की ,वो थोडा ऊपर जा कर नीचे गिर जाता .
कई मेंढक दो तीन प्रयास करने के बाद गिरने के बाद भी अपने प्रयास में लगे हुए थे ..पर भीड़ तो अभी भी चिल्लाये जा रही थी .."अरे ये नहीं हो सकता था ये असंभव है " और वो उत्साहित मेंढक भी ये सुन सुन कर हताश हो गए और अपना प्रयास छोड दिया ,लेकिन उन्ही मेंढ़को के बीच एक छोटा सा मेंढक था ,जो बार बार गिरने के बाद भी उसी जोश के साथ ऊपर चड़ने में लगा हुआ था और वो लगातार ऊपर की और बढ़ता रहा और अन्ततः वह खम्भे के ऊपर पहुँच गया और इस रेस का विजेता बना .

उसकी जीत पर सभी को बड़ा आश्चर्य हुआ ,सभी मेंढक उसे घेर कर खड़े हो गए और पूछने लगे " तुमने  ये असंभव काम केसे कर दिखाया ,तुम्हे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की शक्ति कहा से मिली ,जरा हमें भी तो बताओ की तुमने ये विजय केसे प्राप्त की ?
तभी पीछे से एक आवाज आई -"अरे उस से क्या पूछते हो वो तो बहरा है "

मित्रों हमारेसाथ भी कुछ ऐसा ही है अक्सर हमारे अंदर अपना लक्ष्य प्राप्त करने की काबिलियत होती है ,पर हम अपने चारों तरफ मोजूद नकारात्मकता की वजह से खुद को कम अंक बैठते है और हमने जो भी बड़े बड़े सपने देखे होते है उन्हें पूरा किये बिना ही जिन्दगी गुजार  देते है .
आवश्यकता इस बात की है की -हम हमें कमजोर बनाने वाली हर एक आवाज के प्रति बहरे और ऐसे हर एक दृश्य के प्रति अंधे हो जाए जो हमें हमारी मंजिल तक पहुचने में बीच में रुकावट लगता है .
अगर हम ये कर पाए तो हमें सफलता के शिखर पर पहुचने से कोई नहीं रोक पायेगा ..:)

Sunday, 6 September 2015

जो आप आज कर सकते है उसे कल पर न टाले

आलस्य की भावना हम मे से बहुतो पर हावी हो जाती है ..हम काम को दिनों पर टालते रहते है फिर दिन महीनो मे बदल जाते है .
और फिर हमारे विचारों की वर्षगाँठ आ जाती है हम कही नहीं पहुचते वही के वही होते है बस विचारों की यात्रा शुरू होकर साल ब साल बढती रहती है ...क्यों क्यूंकि हम अपने कामो को टालते रहते है .

अपने  मित्रों से पूछिए अब तक सबसे अधिक मेहनत बचाने वाली किस चीज का अविष्कार हुआ है तो आपको अलग अलग जवाब मिलेंगे पुरुष कह सकते है की मोबाइल कंप्यूटर या रोबोट और महिलाओं का मानना हो सकता है की वाशिंग मशीन या डिश वाशर .
लेकिन इनमे से जवाब एक भी नहीं है आपको पता है सही जवाब है एक शब्द " कल " जो सबसे अधिक मेहनत बचाता है .
यह शब्द चीजों को टालने का एक बढ़िया बहाना है और यह काम न करने का भी बहाना है .
और दुर्भाग्यवश यह उन विफलताओ का कारण भी है ,जिन्होंने कई लोगो की जिन्दगी नष्ट की है जो अपनी क्षमता का पूरा लाभ उठाने मे सफल नहीं हो सके .

हम  कई ऐसे लोगो को जानते है  जिनके पास बहुत अच्छी योजनाये थी ..लेकिन उन्होंने उन्हें कार्यान्वित ही नहीं किया और फिर कोई और श्रेय ले गया .
जेसे कुछ समय पहले मै एक प्रतिभा शाली स्टैंडअप कॉमेडियन से मिला जिसने एक कॉमेडी टेलिविजन के लिए एक अच्छी चीज सोची लेकिन छह महीनो तक उन्होंने उस पर कोई विचार नहीं किया तो किसी और ने उसके बारे मे लिखा और चेनल को पेश किया और अब वह एक टॉप रेंकिंग वाला शो है .
जो आलस्य कर गया अब वो पछता रहा है .

यदि हम स्तिथि का विश्लेषण करे ,तो हमारे आने वाले कल के साथ समस्या एक विचार और उसके कार्यान्वन के बीच की खाई है .
हम मे से कई इस खाई मे गिरे है और सबक सीखते है अफ़सोस की बात यह है की कुछ लोग तो तब भी नहीं सीखते है .

यह  समस्या खास कर युवा लोगो मे है ,जिन्हें किसी बात की फिक्र नहीं होती और वे ये मानते है की समय पर काम करने की उम्मीद कर के उनके माता पिता उनके साथ अनुचित कर रहे है .
जब वे नौकरी शुरू करते है तब जाकर वे इस समस्या से बाहर निकल पाते है ,क्यूंकि किसी भी ऑफिस मे काम मे विलंम्ब को एक सीमा तक ही बर्दाश्त किया जाता है .
अगर वे  अपनी इस आदत को जारी रखते है तो नौकरी जाने मे समय नहीं लगता .

मेरा वास्ता कुछ ऐसे लोगो से भी पड़ा है जो अधिकतर यात्राओ मे रहते है अपने काम की वजह से और उन यात्राओं के कारण वो अक्सर सर्दी जुकाम ,वायरल  बुखार और खराब गले से पीड़ित रहते है फिर भी वो खुद को प्रेरित करते रहते है हर बार समय पर अपने गंतव्य स्थान पर पहुच जाते है .
मेने देखा है वो कभी बहाने नहीं बनाते है और अपने वादों को निभाते है जिस से मुझे भी कई बार हैरत हुई और ऐसा करने वाले कितने ही लोग है और इसी वजह से आज वो सफलता के मुकाम पर है .

इसलिए अपने वादों को गंभीरता से ले ,टाल-मटोल ना करे .
हर रात अपनी समीक्षा करे और यह विश्लेषण करे की क्या दिन मे बिताया गया समय आप और अधिक उपयोगी ढंग से बिता सकते थे ..?
और अंत मे अपने साथ सख्ती से पेश आये क्यूंकि इस अभ्यास से सबसे अधिक लाभ आपको ही होगा  :)