Saturday, 7 November 2015

सच्चा प्यार

एक वृद्ध अल सुबह डॉक्टर के पास मरहम पट्टी करवाने पहुचे वे काफी जल्दी में थे .
उन्होंने डॉक्टर को बताया की उनकी पत्नी अल्जाइमर्स की मरीज है और अस्पताल में भर्ती है .
उन्हें अपनी पत्नी के साथ नाश्ता करने अस्पताल जाना था .
डॉक्टर के पूछने पर की क्या उन्के थोडा देर से पहुचने पर उनकी पत्नी चिंता करेगी ?
उन सज्जन ने बताया की वो उन्हें नहीं पहचानती है .
डॉक्टर आश्चर्य चकित था ..उसने पूछा  ?
आप अभी तक हर सुबह जाते है जबकि वह आपको पहचानती तक नहीं ..
सज्जन मुस्कुराए और डॉक्टर का हाथ थप थपाते हुए बोले भले ही वह मुझे नहीं पहचानती हो लेकिन में तो उसे जानता हू ..:)

सच्चा  प्यार शाश्वत होता है उसे परिस्थितियों डगमगा नहीं सकती .

अनुशासित इच्छा शक्ति के सामने बाधाए नहीं टिकती ..

फूटबाल के महान कोच हुए है विंस लोम्बोर्दी उनका प्रसिद्द कथन है --आदर्श रूप से अनुशासित इच्छा शक्ति को कोई ताकत नहीं हरा सकती .
उनके जीतने के रिकॉर्ड ने इस कहावत में गहरा अर्थ भर दिया " जहा चाह वहा राह ".
इच्छा शक्ति न सिर्फ फूटबाल के मैच जीता सकती है बल्कि जिन्दगी के मैच भी जीता सकती है .

जीत तब होती है जब हम सोचते है की में जो चाहता हू पाकर रहूँगा ...जीत तब नहीं होती जब हम सोचते है की में कुछ पाना चाहूँगा .
किसी इंसान का सबसे सशक्त संकल्प होता है " में कर के दिखाऊंगा "
जब आप यह ठान लेते है तब आपका मष्तिष्क दो आशार्य्जनक काम करता है --
पहला- यह आपको बताता है की किस तरह सपनो को सच किया जाए और दूसरा " में करके दिखाऊंगा " का संकल्प आपको आवश्यक शक्ति देता है .
आपकी सारी मानसिक शक्ति 'में करके दिखाऊंगा' वाले मानसिक हिस्से में है .
आप अपने सपनो को जितनी गहराई से अपने मष्तिष्क में रोपेंगे उनका साकार होना उतना ही तय है .
अगर आप सोचते है की में अपने बिजनेस के विचार को हकीकत बना कर दिखाऊंगा तो इसे करने का तरीका आपके सामने आ जायेगा .
अगर आप यह सोचते है की मुझे इस परीक्षा में उत्तीर्ण होना ही है तो आपको परीक्षा को केसे क्रेक किया जाए कितनी मेहनत करनी होगी सारे जवाब एक साथ मिल जायेंगे .
बस एक बार " में करके दिखाऊंगा " की इच्छा शक्ति आपके पुरे नियंत्रण में आ जाए तो फिर जिन्दगी की कोई सी भी जंग जितना आपके लिए आसान हो जायेगा .
यानी आप जोचाहते है उसे पाना बहुत ही आसान हो जायेगा .

बात ये है की कोई भी सपना नोकरी व्यवसाय कुछ भी चीज में सफलता हासिल करने के लिए लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पण की आवश्यकता होती है .

Wednesday, 4 November 2015

औसत पर कोई भी दांव नहीं लगाता

एक ऐसा सिद्धांत जो सफलता,दौलत और सुख हासिल करने में आपकी मदद करेगा ...
आप किसी अस्पताल में है जहा आपके ऑपरेशन की तैयारी चल रही है ..जब एनास्थेसिया का असर हो रहा हो , तब आप सुनते है की मुख्या सर्जन अपने सहयोगियों से कह रहा है ' मुझे विश्वाश नहीं की में यह ऑपरेशन कर सकता हू .
हाँ में कई बार अच्छे ऑपरेशन करता हू ,परन्तु कई बार ऑपरेशन सफल नहीं हो पाता ...देखिये में सिर्फ एक औसत सर्जन हू .
यह सुनने के बाद अगर संभव होगा तो आप तत्काल ऑपरेशन टेबल के नीचे उतर जायेंगे .
सबक यह है की जीवन और मौत के मामलो में आप अपने जीवन को औसत लोगो के हाथ नहीं छोडना चाहेंगे .
और भले आपका जीवन दांव पर न हो तो भी आप यह नहीं चाहेंगे की जीवन में औसत लोगो से आपका कोई सम्बन्ध हो .
इसका तात्पर्य है की 'औसत कितना बुरा होता है '.
औसत  सर्वश्रेष्ट में निकृष्टतम और निकृष्ट में सर्वश्रेष्ट होता है .
औसत की अवधारणा में श्रेष्ठता या महानता सुझाने वाली कोई चीज नहीं होती .
औसत सोच लोगो को पीछे रोक कर रखती है क्यूंकि इस से उन्हें ज्यादा परिश्रम नहीं करना पड़ता है .
वही हम दूसरी और उत्कृष्टता की परिभाषा इस तरह देते है वह गुण जो सफलता चाहने वाले लोग अपने हर काम में चाहते है .
" लगभग आदर्श ,असामान्य अच्छा , सर्वश्रेष्ट संभव "

 कुल मिला कर सार यह है की जीवन का सर्वश्रेष्ट आनंद लेने के लिए अपने कामो को औसत सोच द्वारा न नियंत्रित होने दे ...जो करे पूरा करे अभी औसत के लिए दाँव ना लगाये अगर आप किसी परीक्षा के लिए जाने वाले है तो १०० प्रतिशत पाठ्यक्रम को पढ़े अगर आप किसी व्यवसाय में रूचि रखते है तो अपनी तरफ से सौ प्रतिशत दे कभी भी आधा अधूरा दांव ना लगाये .
स्वयं से प्रतियोगिता करे उत्कृष्ट सोचे.