Wednesday, 4 November 2015

औसत पर कोई भी दांव नहीं लगाता

एक ऐसा सिद्धांत जो सफलता,दौलत और सुख हासिल करने में आपकी मदद करेगा ...
आप किसी अस्पताल में है जहा आपके ऑपरेशन की तैयारी चल रही है ..जब एनास्थेसिया का असर हो रहा हो , तब आप सुनते है की मुख्या सर्जन अपने सहयोगियों से कह रहा है ' मुझे विश्वाश नहीं की में यह ऑपरेशन कर सकता हू .
हाँ में कई बार अच्छे ऑपरेशन करता हू ,परन्तु कई बार ऑपरेशन सफल नहीं हो पाता ...देखिये में सिर्फ एक औसत सर्जन हू .
यह सुनने के बाद अगर संभव होगा तो आप तत्काल ऑपरेशन टेबल के नीचे उतर जायेंगे .
सबक यह है की जीवन और मौत के मामलो में आप अपने जीवन को औसत लोगो के हाथ नहीं छोडना चाहेंगे .
और भले आपका जीवन दांव पर न हो तो भी आप यह नहीं चाहेंगे की जीवन में औसत लोगो से आपका कोई सम्बन्ध हो .
इसका तात्पर्य है की 'औसत कितना बुरा होता है '.
औसत  सर्वश्रेष्ट में निकृष्टतम और निकृष्ट में सर्वश्रेष्ट होता है .
औसत की अवधारणा में श्रेष्ठता या महानता सुझाने वाली कोई चीज नहीं होती .
औसत सोच लोगो को पीछे रोक कर रखती है क्यूंकि इस से उन्हें ज्यादा परिश्रम नहीं करना पड़ता है .
वही हम दूसरी और उत्कृष्टता की परिभाषा इस तरह देते है वह गुण जो सफलता चाहने वाले लोग अपने हर काम में चाहते है .
" लगभग आदर्श ,असामान्य अच्छा , सर्वश्रेष्ट संभव "

 कुल मिला कर सार यह है की जीवन का सर्वश्रेष्ट आनंद लेने के लिए अपने कामो को औसत सोच द्वारा न नियंत्रित होने दे ...जो करे पूरा करे अभी औसत के लिए दाँव ना लगाये अगर आप किसी परीक्षा के लिए जाने वाले है तो १०० प्रतिशत पाठ्यक्रम को पढ़े अगर आप किसी व्यवसाय में रूचि रखते है तो अपनी तरफ से सौ प्रतिशत दे कभी भी आधा अधूरा दांव ना लगाये .
स्वयं से प्रतियोगिता करे उत्कृष्ट सोचे.

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