Saturday, 7 November 2015

अनुशासित इच्छा शक्ति के सामने बाधाए नहीं टिकती ..

फूटबाल के महान कोच हुए है विंस लोम्बोर्दी उनका प्रसिद्द कथन है --आदर्श रूप से अनुशासित इच्छा शक्ति को कोई ताकत नहीं हरा सकती .
उनके जीतने के रिकॉर्ड ने इस कहावत में गहरा अर्थ भर दिया " जहा चाह वहा राह ".
इच्छा शक्ति न सिर्फ फूटबाल के मैच जीता सकती है बल्कि जिन्दगी के मैच भी जीता सकती है .

जीत तब होती है जब हम सोचते है की में जो चाहता हू पाकर रहूँगा ...जीत तब नहीं होती जब हम सोचते है की में कुछ पाना चाहूँगा .
किसी इंसान का सबसे सशक्त संकल्प होता है " में कर के दिखाऊंगा "
जब आप यह ठान लेते है तब आपका मष्तिष्क दो आशार्य्जनक काम करता है --
पहला- यह आपको बताता है की किस तरह सपनो को सच किया जाए और दूसरा " में करके दिखाऊंगा " का संकल्प आपको आवश्यक शक्ति देता है .
आपकी सारी मानसिक शक्ति 'में करके दिखाऊंगा' वाले मानसिक हिस्से में है .
आप अपने सपनो को जितनी गहराई से अपने मष्तिष्क में रोपेंगे उनका साकार होना उतना ही तय है .
अगर आप सोचते है की में अपने बिजनेस के विचार को हकीकत बना कर दिखाऊंगा तो इसे करने का तरीका आपके सामने आ जायेगा .
अगर आप यह सोचते है की मुझे इस परीक्षा में उत्तीर्ण होना ही है तो आपको परीक्षा को केसे क्रेक किया जाए कितनी मेहनत करनी होगी सारे जवाब एक साथ मिल जायेंगे .
बस एक बार " में करके दिखाऊंगा " की इच्छा शक्ति आपके पुरे नियंत्रण में आ जाए तो फिर जिन्दगी की कोई सी भी जंग जितना आपके लिए आसान हो जायेगा .
यानी आप जोचाहते है उसे पाना बहुत ही आसान हो जायेगा .

बात ये है की कोई भी सपना नोकरी व्यवसाय कुछ भी चीज में सफलता हासिल करने के लिए लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पण की आवश्यकता होती है .

No comments:

Post a Comment