Monday, 24 August 2015

अमृत वचन

१-जब आपके खुद के दरवाजे की सीढियां गंदी है तो पडोसी की छत पर  पड़ी गंदगी का उलाहना मत दीजिए ...

२-बुद्धि का अर्जन हम तीन तरीके से कर सकते है ,पहला चिंतन से जो की सबसे उत्तम तरीका है ,दूसरा दूसरों से सीख कर जो सबसे आसान है  और तीसरा अनुभव से जो सबसे कठिन और श्रम साध्य है .
मकसद  हमारा सीखना होना चाहए बस केसे भी कर के .

३-ऐसे पेशे का चयन करे जो आपको दिलचस्प लगता हो और आपको लगे की आप काम नहीं कर रहे है आनंद कर रहे है .

४-जो व्यक्ति दूसरों की भलाई करता है वह अपनी भलाई सुनिश्चित कर लेता है इसलिए सबकी भलाई करिये .

५-जब यह साफ़ हो की लक्ष्यों को प्राप्त नहीं किया जा सकता है तो लक्ष्यों मे फेर बदल न करे ,बल्कि अपने प्रयासों मे बदलाव करे .

६-श्रेष्ठा व्यक्ति बोलने मे संयमी और अपने कार्यों मे अग्रणी होता है .

७-प्रत्येक कृति मे सुंदरता होती है लेकिन हर कोई इसे देख नहीं सकता .

८-हमारी सफलता कभी भी न गिरने मे नहीं अपितु हर बार गिरने पर फिर उठने और पहले से अधिक जोश के साथ उठने मे निहित है .

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स्वयं के भीतर गोते लगाओ

हमें  यह सीखना होगा की केसे स्वयं के भीतर गोते लगाये जाए और स्वयं को खुद से साक्षात्कार करना अपने आप मे बड़ी साधना है ............:)
मस्ती -गंभीरता :- मस्ती बहुत ही पावन शब्द है प्रार्थना से भी अधिक पावन .
यह एक मात्र शब्द है जो आपको खेल पूर्ण होने का भाव देता है जो हमें फिर से बच्चा बना देता है .
हम फिर से तितलियों के पीछे भागने लगते हो , समुद्र किनारे सीपिया रंगीन पत्थर बीनते है .
जबकि गंभीरता एक बीमारी है यह किसी भी समस्या का उपाय नहीं ..ज्यादा गंभीरता व्यक्ति को मृत्यु तक भी ले जाती है न की अनन्त जीवन तक .
जीवन खेल पूर्णता का एक मजा है क्यूंकि सारा अस्तित्व एक विशाल सर्कस है .
सही मायनो मे जीवन वही है जो हँसते हँसते और खेलते से बिताया जाए :)
हँसते हँसते और खुश हो कर हम सारी समस्याए सुलझा सकते है पर तनाव से कुछ हासिल नहीं हो सकता इसलिए जीवन हंसी खुशी मे गुजरना चाहए .

स्वयं की खोज -समज को कभी पढाया नहीं जा सकता और न ही कोई किसी को सिखा सकता है .
हमें स्वयं पर प्रकाश डालना होता है .हमें अपनी चेतना मे खोजना और ढूँढना होता है क्यूंकि सब कुछ हमारे अंदर पहले से ही निहित होता है .
जरुरत होती है केवल उसे टटोलने की यदि हम सब गहरा गोता लगाये तो हम इसे पा लेंगे .
हमें यह सीखना होगा की केसे स्वयं के भीतर गोता लगाया जाए .
स्वयं को खुद मे खोजना बहुत बड़ी साधना है .

सफलता का सबसे बड़ा रहस्य यही है की हम अपने भीतर छुपी शक्तियों को पहचाने उनका उपयोग करे और ये सभी तभी संभव होगा जब हम अपने आप मे झांक कर देखंगे खुद को समजेंगे तभी अपने अंदर छुपी अभूत पूर्व शक्तियों को आप पहचान पाओगे और उनका सही मायनों मे उपयोग कर पाओगे :)

Thursday, 13 August 2015

खुद को शेर बनाये

खुद को शेर बनाओ यार सियार नहीं ...ईश्वर ने हमें शेर के रूप मे पैदा किया है.
शेर का पथ स्वाभिमान ,स्वावलम्बन, और शक्ति का पथ है ..शेर जो भी करता है पुरे उत्साह और शक्ति के साथ करता है .
वही सियार के पास चालाकी और चापलूसी की जीवन शेली है जो जीवन को पतन की तरफ ही ले जाती है .
हमारे देश का नाम भारत इसलिए ही है की यहाँ के सपूत शेरनी का भी दूध दुह लाते थे .
शेरावाली की पूजा हमारे भीतर के सिंह्तव को जगाती है ...महावीर स्वामी तो जन्म से ही अपने पांवो मे शेर का लक्षण लेकर जन्मे थे और देखो उन्होंने जिया भी उस जीवन को .
चौमुखा शेर सम्पूर्ण भारत के शौर्य का प्रतिक है .
अरे यार खुद पर गर्व करो की हम लोगो शेरो की संतान है और स्वयं को इस काबिल बनाओ की आपकी आने वाली पीढियों को भी आप पर ऐसे ही गर्व हो और वो भी यही कहे की वो भी शेरो की संताने है .

दुनिया मे बातो से कोई शेर नहीं बनता ..शेर होने के लिए हमें अपने मन आत्मा -विचार और पुरुषार्थ को शेरे दिल बनाना होगा .
ह्रदय की तुच्छ कमजोरी का त्याग करो जो मन मे सोचे बेठे हो की आप कमजोर हो.
जीवन के हर कदम पर विश्वाश रखो की ईश्वर आपके साथ है .
हर सुबह योग,व्यायाम.प्राणायाम,ध्यान करो ..योग और व्यायाम से शरीर मजबूत और निरोगी होगा .
प्राणायाम से जीवन शक्ति पुष्ट होगी .
ध्यान से एकाग्रता और मानसिक शक्ति का विकास होगा .
हम अपनी आंतरिक और अध्यात्मिक शक्ति को बढाकर अनायास ही अपने सिंह्तव को प्राप्त कर लेंगे.
 शेर दिल लोग कभी कर्तव्य विमुख नहीं होते ..वे जहां अपने धर्म ईमान पर अडिग रहते है ,वही समाज देश और दुनिया के लिए अपने मानवीय कर्तव्यों को ईश्वर की पूजा समजकर  संपादित करते है .
अगर आप भी ऐसा करते है या करेंगे तो निश्चय ही शेरो की संतान है .

हमें  अपनी शिक्षा पर पूरा जोर देना है ..अच्छी शिक्षा हमारे लिए विकास के रास्ते खोलेगी.
कम  शिक्षित होने पर भी किसी का अंबानी, बिल गेट्स और बिरला हो जाना शिक्षित लोगो के सहयोग से ही संभव हो पाता है .
बाकी रविन्द्रनाथ टेगोर और अब्दुल कलाम की ऊंचाईयां तो बेहतर शिक्षा से ही संभव होती है .
इसलिए हमेशा जितना हो सके अच्छी और बेहतरीन शिक्षा पाने का प्रयत्न करे जीवन के हर मोड पर कुछ ना कुछ सिखने की इच्छा बनाये रखो तो आपका जीवन स्वयं बेहतर की तरफ हो जाएगा ..:)



Monday, 10 August 2015

गाँधी जी के तीन नहीं सात बन्दर

हम सब ने पढ़ा है और सब कई सालो से सुनते आ रहे है गांधी जी के तीन बन्दर वाली बाते ..  पहले हम सभी को नसीहत देने के लिए सांकेतिक बंदरों का प्रयोग किया गया था जिन्हें सब गाँधी जी के तीन बन्दर के नाम से बुलाते है .
नसीहत देने के लिए बंदरों का चुनाव ही क्यूँ किया गया मतलब कुछ और भी तो रख सकते थे जेसे गाँधी जी के ३ हाथी या घोड़े ऐसा कुछ ...
नहीं पर बंदरों को ही रखा गया था क्यूंकि मनोवैज्ञानिक लोगो का ऐसा मानना है की लोग अपनों से ही सीखते है और बन्दर हमारे अपने है क्यूँ की वो हमारे पूर्वज है .
लेकिन अब हो गया कहानी मे थोडा ट्विस्ट अब जो है वो तीन बंदरों का जमाना नहीं रहा .
समय बदल गया है और नसीहतो की संख्या भी बढ़ गई है तो इसलिए बंदरों की संख्या भी बढ़ गई .
अब बंदरों की संख्या बढ़कर सात हो गई है ....
चलिए देखते है ये कौनसे कौनसे बढे है ..

पहला बन्दर ~यह बन्दर मुह पर हाथ रख कर बैठा है ...इसका संकेत है की बुरा मत बोलो .
यह अच्छा संकेत है वाणी के दोषों से बचने के लिए और अपनी उर्जा को बचाए रखने के लिए हमें कम बोलना चाहए .
"इश्वर ने हमें दो आँखे दी है ,दो कान दिए है लेकिन मुह एक ही दिया है ताकि हम अधिक सुने अपने चारों और अधिक देखे लेकिन कम बोले ".

दूसरा बन्दर~ दूसरा बन्दर कानो पर हाथ लगाये बैठा है ...उसका संकेत है की बुरा न सुनो .
महापुरुषों ने कहा भी है की बुराई सुननी पड़े तो बहरे बन जाओ  क्यूंकि जब आप बुराई सुनोगे तो वह विचार आपके अंदर जाएगा और आपके शुद्ध विचारों को प्रभावित करेगा इसलिए ऐसे संगत मे ना बैठो जहा बुराइयों का ही जिक्र हो .

तीसरा बन्दर ~यह बंदर आँखों पर हथेली रखे बैठा है की बुरा ना देखो .
माना  की इश्वर ने आपको आँखे देखने के लिए ही दी है लेकिन आँखे बंद करने की ताकत भी दी है .
ताकि बुरइयो को ना देखो ऐसा कोई कार्य न करो जिस से खुद ही खुद से नजरे ना मिला सको .

चोथा बन्दर ~चौथा बन्दर हाथ  बांधे बैठा है ..
उसका संकेत है की बुरी चीजों को ना छुओ ..समज मे नशे को सबसे बुरा कहा गया है ..
कहा गया है की -
"नशा निश्चित मौत है 
आज स्वयं की 
कल परिवार की 
परसों राष्ट्र की ".

यह बन्दर कहता है की नशे को ना छुओ  अपने हाथ अपना जीवन गन्दा न् करो .

पांचवा बंदर ~यह बन्दर पैरों मे जंजीर बांधे बैठा है उसका संकेत है की बुरी जगह ना जाओ .
मधुशाला ,नाईट शो ,केबरे ,मुजरे,रेड लाइट एरिया मे ना जाओ .

"कुछ लक्ष्मण रेखाए खींचो और उन्हें पार न करो " .

छठा बन्दर ~ये वाला बन्दर माथे पर हाथ रखे बैठा है .
उसका संकेत है की किसी के प्रति बुरा ना सोचो ..यह लेनी की देनी है यदि बुरा सोचोगे तो बुरा ही पाओगे .

कहा भी गया है की -

"अपने विचारों पर ध्यान दो 
वही आपके शब्द बन जाते है "
अपने शब्दों पर ध्यान दो ,
वही कर्म बन जाते है .
अपने कर्मो पर ध्यान दो ,
वही आदते बन जाती है .
अपनी आदतों पर ध्यान दो ,
वही आदते चरित्र बन जाती है .
अपने चरित्र पर ध्यान दो ,
क्यूंकि चरित्र से ही भाग्य बनता है .


सातंवा बंदर ~ये वाला जो बन्दर है वो छाती पर हाथ रखे बैठा है .

उसका संकेत है की अपने दिल मे अपनी आत्मा मे अपने इश्वर के अलावा किसी को ना बसाओ.
अगर बुराइयां , दोष आपके अंदर घुस गए तो फिर अच्छाईयों को कहा बसाओगे.
क्यूंकि भाई आज कल किरायेदार से मकान  खाली कराना बड़ा मुश्किल है .
अच्छा हो की इन बुराई रूपी किरायेदारों को अपने घर मे जाने ही ना दो .


देखा  बेजुबान से बंदरों ने जिन्दगी की कितनी नसीहते दे दी हमें ...तो सभी नसीहते मान लि जाए तो जीवन को अच्छा बनने से कोई रोक नहीं पायेगा .