हमें यह सीखना होगा की केसे स्वयं के भीतर गोते लगाये जाए और स्वयं को खुद से साक्षात्कार करना अपने आप मे बड़ी साधना है ............:)
मस्ती -गंभीरता :- मस्ती बहुत ही पावन शब्द है प्रार्थना से भी अधिक पावन .
यह एक मात्र शब्द है जो आपको खेल पूर्ण होने का भाव देता है जो हमें फिर से बच्चा बना देता है .
हम फिर से तितलियों के पीछे भागने लगते हो , समुद्र किनारे सीपिया रंगीन पत्थर बीनते है .
जबकि गंभीरता एक बीमारी है यह किसी भी समस्या का उपाय नहीं ..ज्यादा गंभीरता व्यक्ति को मृत्यु तक भी ले जाती है न की अनन्त जीवन तक .
जीवन खेल पूर्णता का एक मजा है क्यूंकि सारा अस्तित्व एक विशाल सर्कस है .
सही मायनो मे जीवन वही है जो हँसते हँसते और खेलते से बिताया जाए :)
हँसते हँसते और खुश हो कर हम सारी समस्याए सुलझा सकते है पर तनाव से कुछ हासिल नहीं हो सकता इसलिए जीवन हंसी खुशी मे गुजरना चाहए .
स्वयं की खोज -समज को कभी पढाया नहीं जा सकता और न ही कोई किसी को सिखा सकता है .
हमें स्वयं पर प्रकाश डालना होता है .हमें अपनी चेतना मे खोजना और ढूँढना होता है क्यूंकि सब कुछ हमारे अंदर पहले से ही निहित होता है .
जरुरत होती है केवल उसे टटोलने की यदि हम सब गहरा गोता लगाये तो हम इसे पा लेंगे .
हमें यह सीखना होगा की केसे स्वयं के भीतर गोता लगाया जाए .
स्वयं को खुद मे खोजना बहुत बड़ी साधना है .
सफलता का सबसे बड़ा रहस्य यही है की हम अपने भीतर छुपी शक्तियों को पहचाने उनका उपयोग करे और ये सभी तभी संभव होगा जब हम अपने आप मे झांक कर देखंगे खुद को समजेंगे तभी अपने अंदर छुपी अभूत पूर्व शक्तियों को आप पहचान पाओगे और उनका सही मायनों मे उपयोग कर पाओगे :)
मस्ती -गंभीरता :- मस्ती बहुत ही पावन शब्द है प्रार्थना से भी अधिक पावन .
यह एक मात्र शब्द है जो आपको खेल पूर्ण होने का भाव देता है जो हमें फिर से बच्चा बना देता है .
हम फिर से तितलियों के पीछे भागने लगते हो , समुद्र किनारे सीपिया रंगीन पत्थर बीनते है .
जबकि गंभीरता एक बीमारी है यह किसी भी समस्या का उपाय नहीं ..ज्यादा गंभीरता व्यक्ति को मृत्यु तक भी ले जाती है न की अनन्त जीवन तक .
जीवन खेल पूर्णता का एक मजा है क्यूंकि सारा अस्तित्व एक विशाल सर्कस है .
सही मायनो मे जीवन वही है जो हँसते हँसते और खेलते से बिताया जाए :)
हँसते हँसते और खुश हो कर हम सारी समस्याए सुलझा सकते है पर तनाव से कुछ हासिल नहीं हो सकता इसलिए जीवन हंसी खुशी मे गुजरना चाहए .
स्वयं की खोज -समज को कभी पढाया नहीं जा सकता और न ही कोई किसी को सिखा सकता है .
हमें स्वयं पर प्रकाश डालना होता है .हमें अपनी चेतना मे खोजना और ढूँढना होता है क्यूंकि सब कुछ हमारे अंदर पहले से ही निहित होता है .
जरुरत होती है केवल उसे टटोलने की यदि हम सब गहरा गोता लगाये तो हम इसे पा लेंगे .
हमें यह सीखना होगा की केसे स्वयं के भीतर गोता लगाया जाए .
स्वयं को खुद मे खोजना बहुत बड़ी साधना है .
सफलता का सबसे बड़ा रहस्य यही है की हम अपने भीतर छुपी शक्तियों को पहचाने उनका उपयोग करे और ये सभी तभी संभव होगा जब हम अपने आप मे झांक कर देखंगे खुद को समजेंगे तभी अपने अंदर छुपी अभूत पूर्व शक्तियों को आप पहचान पाओगे और उनका सही मायनों मे उपयोग कर पाओगे :)
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