Monday, 10 August 2015

गाँधी जी के तीन नहीं सात बन्दर

हम सब ने पढ़ा है और सब कई सालो से सुनते आ रहे है गांधी जी के तीन बन्दर वाली बाते ..  पहले हम सभी को नसीहत देने के लिए सांकेतिक बंदरों का प्रयोग किया गया था जिन्हें सब गाँधी जी के तीन बन्दर के नाम से बुलाते है .
नसीहत देने के लिए बंदरों का चुनाव ही क्यूँ किया गया मतलब कुछ और भी तो रख सकते थे जेसे गाँधी जी के ३ हाथी या घोड़े ऐसा कुछ ...
नहीं पर बंदरों को ही रखा गया था क्यूंकि मनोवैज्ञानिक लोगो का ऐसा मानना है की लोग अपनों से ही सीखते है और बन्दर हमारे अपने है क्यूँ की वो हमारे पूर्वज है .
लेकिन अब हो गया कहानी मे थोडा ट्विस्ट अब जो है वो तीन बंदरों का जमाना नहीं रहा .
समय बदल गया है और नसीहतो की संख्या भी बढ़ गई है तो इसलिए बंदरों की संख्या भी बढ़ गई .
अब बंदरों की संख्या बढ़कर सात हो गई है ....
चलिए देखते है ये कौनसे कौनसे बढे है ..

पहला बन्दर ~यह बन्दर मुह पर हाथ रख कर बैठा है ...इसका संकेत है की बुरा मत बोलो .
यह अच्छा संकेत है वाणी के दोषों से बचने के लिए और अपनी उर्जा को बचाए रखने के लिए हमें कम बोलना चाहए .
"इश्वर ने हमें दो आँखे दी है ,दो कान दिए है लेकिन मुह एक ही दिया है ताकि हम अधिक सुने अपने चारों और अधिक देखे लेकिन कम बोले ".

दूसरा बन्दर~ दूसरा बन्दर कानो पर हाथ लगाये बैठा है ...उसका संकेत है की बुरा न सुनो .
महापुरुषों ने कहा भी है की बुराई सुननी पड़े तो बहरे बन जाओ  क्यूंकि जब आप बुराई सुनोगे तो वह विचार आपके अंदर जाएगा और आपके शुद्ध विचारों को प्रभावित करेगा इसलिए ऐसे संगत मे ना बैठो जहा बुराइयों का ही जिक्र हो .

तीसरा बन्दर ~यह बंदर आँखों पर हथेली रखे बैठा है की बुरा ना देखो .
माना  की इश्वर ने आपको आँखे देखने के लिए ही दी है लेकिन आँखे बंद करने की ताकत भी दी है .
ताकि बुरइयो को ना देखो ऐसा कोई कार्य न करो जिस से खुद ही खुद से नजरे ना मिला सको .

चोथा बन्दर ~चौथा बन्दर हाथ  बांधे बैठा है ..
उसका संकेत है की बुरी चीजों को ना छुओ ..समज मे नशे को सबसे बुरा कहा गया है ..
कहा गया है की -
"नशा निश्चित मौत है 
आज स्वयं की 
कल परिवार की 
परसों राष्ट्र की ".

यह बन्दर कहता है की नशे को ना छुओ  अपने हाथ अपना जीवन गन्दा न् करो .

पांचवा बंदर ~यह बन्दर पैरों मे जंजीर बांधे बैठा है उसका संकेत है की बुरी जगह ना जाओ .
मधुशाला ,नाईट शो ,केबरे ,मुजरे,रेड लाइट एरिया मे ना जाओ .

"कुछ लक्ष्मण रेखाए खींचो और उन्हें पार न करो " .

छठा बन्दर ~ये वाला बन्दर माथे पर हाथ रखे बैठा है .
उसका संकेत है की किसी के प्रति बुरा ना सोचो ..यह लेनी की देनी है यदि बुरा सोचोगे तो बुरा ही पाओगे .

कहा भी गया है की -

"अपने विचारों पर ध्यान दो 
वही आपके शब्द बन जाते है "
अपने शब्दों पर ध्यान दो ,
वही कर्म बन जाते है .
अपने कर्मो पर ध्यान दो ,
वही आदते बन जाती है .
अपनी आदतों पर ध्यान दो ,
वही आदते चरित्र बन जाती है .
अपने चरित्र पर ध्यान दो ,
क्यूंकि चरित्र से ही भाग्य बनता है .


सातंवा बंदर ~ये वाला जो बन्दर है वो छाती पर हाथ रखे बैठा है .

उसका संकेत है की अपने दिल मे अपनी आत्मा मे अपने इश्वर के अलावा किसी को ना बसाओ.
अगर बुराइयां , दोष आपके अंदर घुस गए तो फिर अच्छाईयों को कहा बसाओगे.
क्यूंकि भाई आज कल किरायेदार से मकान  खाली कराना बड़ा मुश्किल है .
अच्छा हो की इन बुराई रूपी किरायेदारों को अपने घर मे जाने ही ना दो .


देखा  बेजुबान से बंदरों ने जिन्दगी की कितनी नसीहते दे दी हमें ...तो सभी नसीहते मान लि जाए तो जीवन को अच्छा बनने से कोई रोक नहीं पायेगा .




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