कुछ पंक्तिया सी याद आई अब वो कहानी थी कविता थी या गाने की थी पर जो भी थी बड़ी खूबसूरत याद आई बड़ी उत्साह वर्धक--.मोनु एस जैन (MONU S JAIN )
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धीरे धीरे चलने वाले
दूर है तेरा नगर
ऐसे केसे खत्म होगा
ये तेरा लंबा सफर ..?
दूर हो जिनकी डगर
वो इस तरह चलते नहीं
इस तरह चलते नहीं ....
बन के तूफा चलते है
जो बाँध लेते है कफ़न .
धीरे धीरे चलने वाले ...
देख उड़ते पंछियों को
केसे भागे जा रहे
केसे भागे जा रहे...
क्यों रुके वो उमके मन मे
आशियाने की फिकर .
धीरे धीरे चलने वाले
दूर है तेरा नगर ..
बढ़ता चल तू चलता चल
की रूकने न पाए कदम
रूकने ना पाए कदम ...
वीर सो लेना ठिकाने
पर तू जा कर बेखबर .
धीरे धीरे चलने वाले दूर है
तेरा नगर
ऐसे केसे खत्म होगा ये
तेरा लंबा सफर ..?
दूर हो जिनका नगर वो
इस तरह चलते नहीं
इस तरह चलते नहीं ..
बन के तूफा चलते है
जो बाँध लेते है कफ़न .

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