Sunday, 29 May 2016

कोशिश एक बार और ....

*दुनिया में हर आदमी कही न कही अवश्य पहुँचता है,पर आप वहा पहुचिये जहा पहुंचना आपका लक्ष्य है.

*लक्ष्य बनाने के लिए सपने देखिये और सपनो को पूरा करना लक्ष्य बनाइये .

*जीने के लिए केवल सांस मत लीजिए , सांस के साथ भीतर आत्मविश्वाश भी लीजिए ..आत्मविश्वाश है अगर पास तो कुछ न कुछ अवश्य करेंगे आप खास .

*कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती ..लड़ाई लड़ते रहिये जिन्दगी की, कोई भी सांस कभी बेकार नहीं जाती .

*हमारे जीवन में भगवान के घर से भाग्योदय का एक अवसर अवश्य प्रदान किया जाता है ,पर आलस्य के चलते हमारी और से स्वागत न किये जाने पर वह उल्टे पैर लौट जाता है ..इसलिए आलस्य का त्याग कीजिये .
आलस्य रखने वालो को थर्ड क्लास की जिन्दगी जीनी पड़ती है .

*निकम्मा बैठना अच्छा भले ही लगे पर निकम्मे बैठने का कोई परिणाम नहीं आता ...आखिर जहाज पानी में उतरने के लिए बनाये जाते है बंदरगाह पर खड़े रहने के लिए नहीं...हो सकता है हमारे भाग्य का मोती हमसे एक और गोता लगवाना चाहता हो .
कल सांझ को जो सूरज डूब चूका था आज वही छाती तानकर कह रहा है --कामयाबी के लिए कोशिश एक बार और .

*अपने काम को कल पर टालने वाली आदत को सुधारिये , अन्यथा कही ऐसा न हो की बर्फ पिघलकर पानी हो जाये ...यानी घर आया असवर हाथ से निकल जाये .

 *सफलता के रास्ते में विप्प्तियाँ तो आएँगी , पर विपत्ति आने पर मन से विचलित मत होइए .
यह सोचकर खुद को प्रेरित कीजिये की दूध फट जाने पर चिंता करने की बजाय उसे पनीर बनाने की तरकीब निकालनी चाहये .

*जीवन में आने वाली परिस्थितिया चाबुक की चोट की तरह होती है ...आगे बढ़ने के लिए अनेक दफा हमे उनकी भी जरूरत होती है .

*जीवन में कोई कष्ट आये तो यह सोचकर मजबूत बने कि बीज को वृक्ष बनाने के लिए केवल पानी और खाद ही पर्याप्त नहीं होते ..उनके लिए धुप भी चाहये .

*भले ही सफलता हमारे हाथ में न हो , पर सफलता के लिए डटे रहना तो हमारे हाथ में है ..जो चीज हमारे हाथ में है उसे भला हाथ से क्यों जाने दे .

*कामयाबी के रास्तो को रोकने वाले चार केंकडो को काबू में कीजिये -
१-दिमाग कि अस्थिरता 
२ -आज का काम कल पर छोडना 
३-कर्तव्य पालन आधे मन से करना 
४-युग कि गति को न समझ पाना 

*निकम्मे पड़े रहने कि बजाय मेहनत कीजिये ..जंग से नष्ट होने कि बजाय तो घिस घिस कर खत्म होना ज्यादा अच्छा है .

 *एक डुबकी से मोती नहीं मिलता और एक दिन लड़ाई लड़ने से कोई सेनापति नहीं बनता ...अभ्यास अगर लगातार जारी रखेंगे तो कल का मुर्ख आज महाकवि कालिदास बन जाता है और कोई भील महाधनुधारी एकलव्य .

*कील कभी तकिये से नहीं ठुकती उसके लिए तो हथोडे का ही उपयोग करना होगा ..जांच लीजिए कि आपकी कमजोरी का कारण कही कोई कमजोर तकिया तो नहीं .

*सफलता के सारे मन्त्र प्रयास और अभ्यास में छिपे है ...अभ्यास अगर जारी रखेंगे तो घिसते घिसते पत्थर भी शिवलिंग बन जायेगा और तुतलाता बच्चा भी कभी किसी विश्व विद्यालय का कुलपति बन जायेगा .

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