Sunday, 29 May 2016

सफलता का कोई शोर्ट कट नही होता ...

*सफलता जीवन कि सबसे सफल उपलब्धि है ,पर यह न तो आसमान से टपकती है , न यह जादुई या रहस्यमयी है .
सफलता तो तब मिलती है जब हमारी साँसों में भी सफलता का सपना बस जाता है .

*सफलता लक्ष्य कि और किये जाने वाले निरंतर पुरुषार्थ का परिणाम है ..अपने जीवन को हम जेसा बनाना चाहते है,वेसा बनना ही सफलता है .

*मंजिले उनको मिलती है जिनके सपनो में जान होती है सिर्फ पंख लगने से कुछ नहीं होता ,हौंसले हो तो ही उड़ान होती है.

*सफलता पाने के लिए मात्र आधा दर्जन चीजे चाहये ...जेसे अच्छी फसल पाने के लिए मिटटी बीज पानी धुप खाद और देखभाल चाहये ,वैसे ही सफलता का आनंद लेने  के लिए स्पष्ट लक्ष्य ,कड़ी मेहनत ,बेहतर कार्य योजना ,श्रेष्ट बुद्धिमानी ,प्रबल आत्मविश्वाश और समय के समुचित प्रबंधन कि जरूरत होती है .

*विफल से विफल व्यक्ति सफल हो सकता है ..इसके लिए एक ही ताकत चाहये और वह है आत्मविश्वाश .
आत्मविश्वाश संकट मोचक हनुमान कि तरह है ...बजरंग बली कि जय बोलिए और कठिनाइयों का सागर लांघ जाइए.

*किसी गोल्ड मेडलिस्ट छात्र से पूछिए कि उसने ऐसा क्या किया -तो उनका जवाब होगा गुरुजनों का मार्गदर्शन
,खुद कि मेहनत ,बुलंद हौंसले ,ऊँचा लक्ष्य .तकनिकी ज्ञान और बड़े बुजुर्गो का आशीर्वाद .

*बगेर लक्ष्य के किया गया मन्त्र जाप .औषधि -निर्माण ,ध्यान साधना और व्यापर हमें किसी डगर तक नहीं पहुंचा सकते .
पहले अपना लक्ष्य तय कीजिये ..अपने लक्ष्य के प्रति आप जितनी प्रतिशत ताकत झोकेंगे ,आप उतने प्रतिशत सफल हो पायेंगे ...सौ प्रतिशत सफलता के लिए सौ प्रतिशत उर्जा लगानी होगी .

*सफलता चाहये तो पहले एकांत में बैठकर लक्ष्य साधने वाली योजना बनाइये और उस योजना कि क्रियान्विति के लिए खुद को सख्ती से अनुशाषित कीजिये ..बिना अनुशाशन का व्यक्ति बोल तो खूब सकता है पर सफलता के सपनो को खोल नहीं सकता .

*अगर आप गरीब है तो अमीर बनने कि योजना बनाइये ..बीमार है तो आरोग्य कि,अशिक्षित है तो शिक्षा कि,और बुजुर्ग है तो बुढ़ापे को सार्थक करने कि तैयारी कीजिये .

*नेपोलियन से प्रेरणा लीजिए जिसने सिद्ध किया कि मनुष्य चाहे तो असंभव कुछ भी नहीं .
पत्थर तबियत से उछाला जाय तो आसमान में भी छेद हो सकता है और अल्पास कि दुर्गम पहाड़ियों को भी तोपखाने के साथ पार किया जा सकता है .

*जो पैदा नहीं कर सकता वह बाँझ कहलाता है और जो कुछ काम नहीं करता वह निकम्मा कहलाता है .
क्या आप अपने मुंह पर इस लेबल कि कालिख पोतना चाहेंगे ...?
एक बुरा व्यक्ति भी अच्छी बाते पढकर अच्छा बनने कि शुरुआत कर सकता है ..बस जरूरत है पहला कदम उठाने कि .

*मंजिल मिल ही जायेगी भटकते हुए ही सही ..गुमराह वे लोग है जी घर से निकले ही नहीं ...

*पूरी ताकत से प्रगति कि दिशा में धक्का मारिये और जेसे ही गाडी चल पड़े कूदकर चढ जाइए ...फिर लीजिए जीवन का जी भर आनंद .

*पुरानी निराशाओं और उपेक्षाओं को डस्टबिन में डालिए ..मन कि दराजो को साफ़ कीजिये .
खुद को उर्जावान बनाइए और लम्बे समय से पेंडिंग पड़े कामो को पूरा कर दीजिए .

* यह साबित कर दीजिए कि इंतज़ार कि घड़ियाँ अब समाप्त हुई ..जेसे ही उत्साह और उद्यम दोस्ती कर लेंगे ,एक और एक सीधे ग्यारह हो जायेंगे ..तब आप ही कहेंगे -सफलता अब तय है .:)
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