Monday, 21 December 2015

सफलता का रहस्य

एक बार एक नोजवान लड़के ने सुकरात से पूछा की सफलता का रहस्य क्या है ?
सुकरात ने उस लड़के से कहा की तुम कल  मुझे नदी के किनारे मिलो तब बताऊंगा की सफलता का रहस्य क्या है .
अगले दिन जब वह लड़का सुकरात से मिला तो सुकरात ने लड़के से उनके साथ नदी की तरफ बढ़ने को कहा .
जब लड़का आगे बढते बढते पानी में गले तक पहुँच गया ,तभी अचानक सुकरात ने उस लड़के का सर पकड़ कर पानी में डुबो दिया .
लड़का बाहर निकलने के लिए संगर्ष करने लगा लेकिन सुकरात ताकतवर थे .
उन्होंने उसको तब तक नहीं छोड़ा जब तक वो नीला नहीं पड़ गया .
सुकरात ने उसका सर पानी से बाहर निकाल दिया और बाहर निकलते ही जो चीज उस लड़के ने सबसे पहले की वो हाँफते हाँफते तेजी से सांस लेना .
सुकरात ने पूछा की जब तुम पानी के अंदर थे तो तुम्हे सबसे ज्यादा किस चीज की जरुरत थी  ?
तुम क्या चाहते थे ?
लड़के ने उत्तर दिया -केवल सांस लेना .
सुकरात ने कहा यही सफलता का रहस्य है .

"जब तुम सफलता को उतनी ही बुरी तरह से चाहोगे जितना की तुम सांस लेना चाहते थे तो वो तुम्हे मिल जायेगी ."
यही कामयाबी पाने का सबसे बड़ा फोर्मुला है .
सुकरात बोले की अपना सब कुछ किसी चीज को पाने के लिए न्योछावर करना या सब कुछ त्याग कर उस चीज को पाने की ख्वाहिश करना ही सफलता पाने की सबसे बड़ी कुंजी है .
बस जीवन में कभी नकारात्मक मत सोचो और कभी धेर्य मत खोना .

Saturday, 7 November 2015

सच्चा प्यार

एक वृद्ध अल सुबह डॉक्टर के पास मरहम पट्टी करवाने पहुचे वे काफी जल्दी में थे .
उन्होंने डॉक्टर को बताया की उनकी पत्नी अल्जाइमर्स की मरीज है और अस्पताल में भर्ती है .
उन्हें अपनी पत्नी के साथ नाश्ता करने अस्पताल जाना था .
डॉक्टर के पूछने पर की क्या उन्के थोडा देर से पहुचने पर उनकी पत्नी चिंता करेगी ?
उन सज्जन ने बताया की वो उन्हें नहीं पहचानती है .
डॉक्टर आश्चर्य चकित था ..उसने पूछा  ?
आप अभी तक हर सुबह जाते है जबकि वह आपको पहचानती तक नहीं ..
सज्जन मुस्कुराए और डॉक्टर का हाथ थप थपाते हुए बोले भले ही वह मुझे नहीं पहचानती हो लेकिन में तो उसे जानता हू ..:)

सच्चा  प्यार शाश्वत होता है उसे परिस्थितियों डगमगा नहीं सकती .

अनुशासित इच्छा शक्ति के सामने बाधाए नहीं टिकती ..

फूटबाल के महान कोच हुए है विंस लोम्बोर्दी उनका प्रसिद्द कथन है --आदर्श रूप से अनुशासित इच्छा शक्ति को कोई ताकत नहीं हरा सकती .
उनके जीतने के रिकॉर्ड ने इस कहावत में गहरा अर्थ भर दिया " जहा चाह वहा राह ".
इच्छा शक्ति न सिर्फ फूटबाल के मैच जीता सकती है बल्कि जिन्दगी के मैच भी जीता सकती है .

जीत तब होती है जब हम सोचते है की में जो चाहता हू पाकर रहूँगा ...जीत तब नहीं होती जब हम सोचते है की में कुछ पाना चाहूँगा .
किसी इंसान का सबसे सशक्त संकल्प होता है " में कर के दिखाऊंगा "
जब आप यह ठान लेते है तब आपका मष्तिष्क दो आशार्य्जनक काम करता है --
पहला- यह आपको बताता है की किस तरह सपनो को सच किया जाए और दूसरा " में करके दिखाऊंगा " का संकल्प आपको आवश्यक शक्ति देता है .
आपकी सारी मानसिक शक्ति 'में करके दिखाऊंगा' वाले मानसिक हिस्से में है .
आप अपने सपनो को जितनी गहराई से अपने मष्तिष्क में रोपेंगे उनका साकार होना उतना ही तय है .
अगर आप सोचते है की में अपने बिजनेस के विचार को हकीकत बना कर दिखाऊंगा तो इसे करने का तरीका आपके सामने आ जायेगा .
अगर आप यह सोचते है की मुझे इस परीक्षा में उत्तीर्ण होना ही है तो आपको परीक्षा को केसे क्रेक किया जाए कितनी मेहनत करनी होगी सारे जवाब एक साथ मिल जायेंगे .
बस एक बार " में करके दिखाऊंगा " की इच्छा शक्ति आपके पुरे नियंत्रण में आ जाए तो फिर जिन्दगी की कोई सी भी जंग जितना आपके लिए आसान हो जायेगा .
यानी आप जोचाहते है उसे पाना बहुत ही आसान हो जायेगा .

बात ये है की कोई भी सपना नोकरी व्यवसाय कुछ भी चीज में सफलता हासिल करने के लिए लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पण की आवश्यकता होती है .

Wednesday, 4 November 2015

औसत पर कोई भी दांव नहीं लगाता

एक ऐसा सिद्धांत जो सफलता,दौलत और सुख हासिल करने में आपकी मदद करेगा ...
आप किसी अस्पताल में है जहा आपके ऑपरेशन की तैयारी चल रही है ..जब एनास्थेसिया का असर हो रहा हो , तब आप सुनते है की मुख्या सर्जन अपने सहयोगियों से कह रहा है ' मुझे विश्वाश नहीं की में यह ऑपरेशन कर सकता हू .
हाँ में कई बार अच्छे ऑपरेशन करता हू ,परन्तु कई बार ऑपरेशन सफल नहीं हो पाता ...देखिये में सिर्फ एक औसत सर्जन हू .
यह सुनने के बाद अगर संभव होगा तो आप तत्काल ऑपरेशन टेबल के नीचे उतर जायेंगे .
सबक यह है की जीवन और मौत के मामलो में आप अपने जीवन को औसत लोगो के हाथ नहीं छोडना चाहेंगे .
और भले आपका जीवन दांव पर न हो तो भी आप यह नहीं चाहेंगे की जीवन में औसत लोगो से आपका कोई सम्बन्ध हो .
इसका तात्पर्य है की 'औसत कितना बुरा होता है '.
औसत  सर्वश्रेष्ट में निकृष्टतम और निकृष्ट में सर्वश्रेष्ट होता है .
औसत की अवधारणा में श्रेष्ठता या महानता सुझाने वाली कोई चीज नहीं होती .
औसत सोच लोगो को पीछे रोक कर रखती है क्यूंकि इस से उन्हें ज्यादा परिश्रम नहीं करना पड़ता है .
वही हम दूसरी और उत्कृष्टता की परिभाषा इस तरह देते है वह गुण जो सफलता चाहने वाले लोग अपने हर काम में चाहते है .
" लगभग आदर्श ,असामान्य अच्छा , सर्वश्रेष्ट संभव "

 कुल मिला कर सार यह है की जीवन का सर्वश्रेष्ट आनंद लेने के लिए अपने कामो को औसत सोच द्वारा न नियंत्रित होने दे ...जो करे पूरा करे अभी औसत के लिए दाँव ना लगाये अगर आप किसी परीक्षा के लिए जाने वाले है तो १०० प्रतिशत पाठ्यक्रम को पढ़े अगर आप किसी व्यवसाय में रूचि रखते है तो अपनी तरफ से सौ प्रतिशत दे कभी भी आधा अधूरा दांव ना लगाये .
स्वयं से प्रतियोगिता करे उत्कृष्ट सोचे.

Saturday, 12 September 2015

सफलता ....कोई रोक नहीं पायेगा .

एक सरोवर में बहुत सारे मेंढक रहते थे ..सरोवर के बीचो बीच एक बहुत पुराना धातु का खम्भा भी लगा हुआ था जिसे उस सरोवर को बनवाने वाले राजा ने लगवाया था .
खम्भा  काफी ऊँचा था और उसकी सतह भी चिकनी थी ..एक दिन सभी मेंढ़को ने एक विचार किया की क्यों ना एक रेस लगायी जाए ..रेस में भाग लेने वाले प्रतियोगी को खम्भे पर चढ़ना होगा और जो सबसे पहले ऊपर पहुच जायेगा वही विजेता माना जायेगा .
रेस का दिन आ पंहुचा ,चारों तरफ बड़ी भीड़ भाड थी, आस -पास के इलाको के कई मेंढक भी इस रेस में हिस्सा लेने पहुचे थे .
माहोल में सरगर्मी थी..हर तरफ शोर ही शोर था रेस शुरू हुई ...लेकिन खम्भे को देख कर भीड़ में किसी भी मेंढक को ये यकीन नहीं हो रहा था की कोई ऊपर तक पहुच पायेगा .
हर तरफ यही सुनाई देता "अरे ये बहुत कठिन है वो कभी ये रेस पूरी नहीं कर पाएंगे ..सफलता का तो कोई सवाल ही नहीं बनता ."
इतने चिकने खम्भे पर कोई चढ ही नहीं सकता और हो भी यही रहा था ,जो भी मेंढक कोशिश करता ऊपर चढ़ने की ,वो थोडा ऊपर जा कर नीचे गिर जाता .
कई मेंढक दो तीन प्रयास करने के बाद गिरने के बाद भी अपने प्रयास में लगे हुए थे ..पर भीड़ तो अभी भी चिल्लाये जा रही थी .."अरे ये नहीं हो सकता था ये असंभव है " और वो उत्साहित मेंढक भी ये सुन सुन कर हताश हो गए और अपना प्रयास छोड दिया ,लेकिन उन्ही मेंढ़को के बीच एक छोटा सा मेंढक था ,जो बार बार गिरने के बाद भी उसी जोश के साथ ऊपर चड़ने में लगा हुआ था और वो लगातार ऊपर की और बढ़ता रहा और अन्ततः वह खम्भे के ऊपर पहुँच गया और इस रेस का विजेता बना .

उसकी जीत पर सभी को बड़ा आश्चर्य हुआ ,सभी मेंढक उसे घेर कर खड़े हो गए और पूछने लगे " तुमने  ये असंभव काम केसे कर दिखाया ,तुम्हे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की शक्ति कहा से मिली ,जरा हमें भी तो बताओ की तुमने ये विजय केसे प्राप्त की ?
तभी पीछे से एक आवाज आई -"अरे उस से क्या पूछते हो वो तो बहरा है "

मित्रों हमारेसाथ भी कुछ ऐसा ही है अक्सर हमारे अंदर अपना लक्ष्य प्राप्त करने की काबिलियत होती है ,पर हम अपने चारों तरफ मोजूद नकारात्मकता की वजह से खुद को कम अंक बैठते है और हमने जो भी बड़े बड़े सपने देखे होते है उन्हें पूरा किये बिना ही जिन्दगी गुजार  देते है .
आवश्यकता इस बात की है की -हम हमें कमजोर बनाने वाली हर एक आवाज के प्रति बहरे और ऐसे हर एक दृश्य के प्रति अंधे हो जाए जो हमें हमारी मंजिल तक पहुचने में बीच में रुकावट लगता है .
अगर हम ये कर पाए तो हमें सफलता के शिखर पर पहुचने से कोई नहीं रोक पायेगा ..:)

Sunday, 6 September 2015

जो आप आज कर सकते है उसे कल पर न टाले

आलस्य की भावना हम मे से बहुतो पर हावी हो जाती है ..हम काम को दिनों पर टालते रहते है फिर दिन महीनो मे बदल जाते है .
और फिर हमारे विचारों की वर्षगाँठ आ जाती है हम कही नहीं पहुचते वही के वही होते है बस विचारों की यात्रा शुरू होकर साल ब साल बढती रहती है ...क्यों क्यूंकि हम अपने कामो को टालते रहते है .

अपने  मित्रों से पूछिए अब तक सबसे अधिक मेहनत बचाने वाली किस चीज का अविष्कार हुआ है तो आपको अलग अलग जवाब मिलेंगे पुरुष कह सकते है की मोबाइल कंप्यूटर या रोबोट और महिलाओं का मानना हो सकता है की वाशिंग मशीन या डिश वाशर .
लेकिन इनमे से जवाब एक भी नहीं है आपको पता है सही जवाब है एक शब्द " कल " जो सबसे अधिक मेहनत बचाता है .
यह शब्द चीजों को टालने का एक बढ़िया बहाना है और यह काम न करने का भी बहाना है .
और दुर्भाग्यवश यह उन विफलताओ का कारण भी है ,जिन्होंने कई लोगो की जिन्दगी नष्ट की है जो अपनी क्षमता का पूरा लाभ उठाने मे सफल नहीं हो सके .

हम  कई ऐसे लोगो को जानते है  जिनके पास बहुत अच्छी योजनाये थी ..लेकिन उन्होंने उन्हें कार्यान्वित ही नहीं किया और फिर कोई और श्रेय ले गया .
जेसे कुछ समय पहले मै एक प्रतिभा शाली स्टैंडअप कॉमेडियन से मिला जिसने एक कॉमेडी टेलिविजन के लिए एक अच्छी चीज सोची लेकिन छह महीनो तक उन्होंने उस पर कोई विचार नहीं किया तो किसी और ने उसके बारे मे लिखा और चेनल को पेश किया और अब वह एक टॉप रेंकिंग वाला शो है .
जो आलस्य कर गया अब वो पछता रहा है .

यदि हम स्तिथि का विश्लेषण करे ,तो हमारे आने वाले कल के साथ समस्या एक विचार और उसके कार्यान्वन के बीच की खाई है .
हम मे से कई इस खाई मे गिरे है और सबक सीखते है अफ़सोस की बात यह है की कुछ लोग तो तब भी नहीं सीखते है .

यह  समस्या खास कर युवा लोगो मे है ,जिन्हें किसी बात की फिक्र नहीं होती और वे ये मानते है की समय पर काम करने की उम्मीद कर के उनके माता पिता उनके साथ अनुचित कर रहे है .
जब वे नौकरी शुरू करते है तब जाकर वे इस समस्या से बाहर निकल पाते है ,क्यूंकि किसी भी ऑफिस मे काम मे विलंम्ब को एक सीमा तक ही बर्दाश्त किया जाता है .
अगर वे  अपनी इस आदत को जारी रखते है तो नौकरी जाने मे समय नहीं लगता .

मेरा वास्ता कुछ ऐसे लोगो से भी पड़ा है जो अधिकतर यात्राओ मे रहते है अपने काम की वजह से और उन यात्राओं के कारण वो अक्सर सर्दी जुकाम ,वायरल  बुखार और खराब गले से पीड़ित रहते है फिर भी वो खुद को प्रेरित करते रहते है हर बार समय पर अपने गंतव्य स्थान पर पहुच जाते है .
मेने देखा है वो कभी बहाने नहीं बनाते है और अपने वादों को निभाते है जिस से मुझे भी कई बार हैरत हुई और ऐसा करने वाले कितने ही लोग है और इसी वजह से आज वो सफलता के मुकाम पर है .

इसलिए अपने वादों को गंभीरता से ले ,टाल-मटोल ना करे .
हर रात अपनी समीक्षा करे और यह विश्लेषण करे की क्या दिन मे बिताया गया समय आप और अधिक उपयोगी ढंग से बिता सकते थे ..?
और अंत मे अपने साथ सख्ती से पेश आये क्यूंकि इस अभ्यास से सबसे अधिक लाभ आपको ही होगा  :)

Monday, 24 August 2015

अमृत वचन

१-जब आपके खुद के दरवाजे की सीढियां गंदी है तो पडोसी की छत पर  पड़ी गंदगी का उलाहना मत दीजिए ...

२-बुद्धि का अर्जन हम तीन तरीके से कर सकते है ,पहला चिंतन से जो की सबसे उत्तम तरीका है ,दूसरा दूसरों से सीख कर जो सबसे आसान है  और तीसरा अनुभव से जो सबसे कठिन और श्रम साध्य है .
मकसद  हमारा सीखना होना चाहए बस केसे भी कर के .

३-ऐसे पेशे का चयन करे जो आपको दिलचस्प लगता हो और आपको लगे की आप काम नहीं कर रहे है आनंद कर रहे है .

४-जो व्यक्ति दूसरों की भलाई करता है वह अपनी भलाई सुनिश्चित कर लेता है इसलिए सबकी भलाई करिये .

५-जब यह साफ़ हो की लक्ष्यों को प्राप्त नहीं किया जा सकता है तो लक्ष्यों मे फेर बदल न करे ,बल्कि अपने प्रयासों मे बदलाव करे .

६-श्रेष्ठा व्यक्ति बोलने मे संयमी और अपने कार्यों मे अग्रणी होता है .

७-प्रत्येक कृति मे सुंदरता होती है लेकिन हर कोई इसे देख नहीं सकता .

८-हमारी सफलता कभी भी न गिरने मे नहीं अपितु हर बार गिरने पर फिर उठने और पहले से अधिक जोश के साथ उठने मे निहित है .

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स्वयं के भीतर गोते लगाओ

हमें  यह सीखना होगा की केसे स्वयं के भीतर गोते लगाये जाए और स्वयं को खुद से साक्षात्कार करना अपने आप मे बड़ी साधना है ............:)
मस्ती -गंभीरता :- मस्ती बहुत ही पावन शब्द है प्रार्थना से भी अधिक पावन .
यह एक मात्र शब्द है जो आपको खेल पूर्ण होने का भाव देता है जो हमें फिर से बच्चा बना देता है .
हम फिर से तितलियों के पीछे भागने लगते हो , समुद्र किनारे सीपिया रंगीन पत्थर बीनते है .
जबकि गंभीरता एक बीमारी है यह किसी भी समस्या का उपाय नहीं ..ज्यादा गंभीरता व्यक्ति को मृत्यु तक भी ले जाती है न की अनन्त जीवन तक .
जीवन खेल पूर्णता का एक मजा है क्यूंकि सारा अस्तित्व एक विशाल सर्कस है .
सही मायनो मे जीवन वही है जो हँसते हँसते और खेलते से बिताया जाए :)
हँसते हँसते और खुश हो कर हम सारी समस्याए सुलझा सकते है पर तनाव से कुछ हासिल नहीं हो सकता इसलिए जीवन हंसी खुशी मे गुजरना चाहए .

स्वयं की खोज -समज को कभी पढाया नहीं जा सकता और न ही कोई किसी को सिखा सकता है .
हमें स्वयं पर प्रकाश डालना होता है .हमें अपनी चेतना मे खोजना और ढूँढना होता है क्यूंकि सब कुछ हमारे अंदर पहले से ही निहित होता है .
जरुरत होती है केवल उसे टटोलने की यदि हम सब गहरा गोता लगाये तो हम इसे पा लेंगे .
हमें यह सीखना होगा की केसे स्वयं के भीतर गोता लगाया जाए .
स्वयं को खुद मे खोजना बहुत बड़ी साधना है .

सफलता का सबसे बड़ा रहस्य यही है की हम अपने भीतर छुपी शक्तियों को पहचाने उनका उपयोग करे और ये सभी तभी संभव होगा जब हम अपने आप मे झांक कर देखंगे खुद को समजेंगे तभी अपने अंदर छुपी अभूत पूर्व शक्तियों को आप पहचान पाओगे और उनका सही मायनों मे उपयोग कर पाओगे :)

Thursday, 13 August 2015

खुद को शेर बनाये

खुद को शेर बनाओ यार सियार नहीं ...ईश्वर ने हमें शेर के रूप मे पैदा किया है.
शेर का पथ स्वाभिमान ,स्वावलम्बन, और शक्ति का पथ है ..शेर जो भी करता है पुरे उत्साह और शक्ति के साथ करता है .
वही सियार के पास चालाकी और चापलूसी की जीवन शेली है जो जीवन को पतन की तरफ ही ले जाती है .
हमारे देश का नाम भारत इसलिए ही है की यहाँ के सपूत शेरनी का भी दूध दुह लाते थे .
शेरावाली की पूजा हमारे भीतर के सिंह्तव को जगाती है ...महावीर स्वामी तो जन्म से ही अपने पांवो मे शेर का लक्षण लेकर जन्मे थे और देखो उन्होंने जिया भी उस जीवन को .
चौमुखा शेर सम्पूर्ण भारत के शौर्य का प्रतिक है .
अरे यार खुद पर गर्व करो की हम लोगो शेरो की संतान है और स्वयं को इस काबिल बनाओ की आपकी आने वाली पीढियों को भी आप पर ऐसे ही गर्व हो और वो भी यही कहे की वो भी शेरो की संताने है .

दुनिया मे बातो से कोई शेर नहीं बनता ..शेर होने के लिए हमें अपने मन आत्मा -विचार और पुरुषार्थ को शेरे दिल बनाना होगा .
ह्रदय की तुच्छ कमजोरी का त्याग करो जो मन मे सोचे बेठे हो की आप कमजोर हो.
जीवन के हर कदम पर विश्वाश रखो की ईश्वर आपके साथ है .
हर सुबह योग,व्यायाम.प्राणायाम,ध्यान करो ..योग और व्यायाम से शरीर मजबूत और निरोगी होगा .
प्राणायाम से जीवन शक्ति पुष्ट होगी .
ध्यान से एकाग्रता और मानसिक शक्ति का विकास होगा .
हम अपनी आंतरिक और अध्यात्मिक शक्ति को बढाकर अनायास ही अपने सिंह्तव को प्राप्त कर लेंगे.
 शेर दिल लोग कभी कर्तव्य विमुख नहीं होते ..वे जहां अपने धर्म ईमान पर अडिग रहते है ,वही समाज देश और दुनिया के लिए अपने मानवीय कर्तव्यों को ईश्वर की पूजा समजकर  संपादित करते है .
अगर आप भी ऐसा करते है या करेंगे तो निश्चय ही शेरो की संतान है .

हमें  अपनी शिक्षा पर पूरा जोर देना है ..अच्छी शिक्षा हमारे लिए विकास के रास्ते खोलेगी.
कम  शिक्षित होने पर भी किसी का अंबानी, बिल गेट्स और बिरला हो जाना शिक्षित लोगो के सहयोग से ही संभव हो पाता है .
बाकी रविन्द्रनाथ टेगोर और अब्दुल कलाम की ऊंचाईयां तो बेहतर शिक्षा से ही संभव होती है .
इसलिए हमेशा जितना हो सके अच्छी और बेहतरीन शिक्षा पाने का प्रयत्न करे जीवन के हर मोड पर कुछ ना कुछ सिखने की इच्छा बनाये रखो तो आपका जीवन स्वयं बेहतर की तरफ हो जाएगा ..:)



Monday, 10 August 2015

गाँधी जी के तीन नहीं सात बन्दर

हम सब ने पढ़ा है और सब कई सालो से सुनते आ रहे है गांधी जी के तीन बन्दर वाली बाते ..  पहले हम सभी को नसीहत देने के लिए सांकेतिक बंदरों का प्रयोग किया गया था जिन्हें सब गाँधी जी के तीन बन्दर के नाम से बुलाते है .
नसीहत देने के लिए बंदरों का चुनाव ही क्यूँ किया गया मतलब कुछ और भी तो रख सकते थे जेसे गाँधी जी के ३ हाथी या घोड़े ऐसा कुछ ...
नहीं पर बंदरों को ही रखा गया था क्यूंकि मनोवैज्ञानिक लोगो का ऐसा मानना है की लोग अपनों से ही सीखते है और बन्दर हमारे अपने है क्यूँ की वो हमारे पूर्वज है .
लेकिन अब हो गया कहानी मे थोडा ट्विस्ट अब जो है वो तीन बंदरों का जमाना नहीं रहा .
समय बदल गया है और नसीहतो की संख्या भी बढ़ गई है तो इसलिए बंदरों की संख्या भी बढ़ गई .
अब बंदरों की संख्या बढ़कर सात हो गई है ....
चलिए देखते है ये कौनसे कौनसे बढे है ..

पहला बन्दर ~यह बन्दर मुह पर हाथ रख कर बैठा है ...इसका संकेत है की बुरा मत बोलो .
यह अच्छा संकेत है वाणी के दोषों से बचने के लिए और अपनी उर्जा को बचाए रखने के लिए हमें कम बोलना चाहए .
"इश्वर ने हमें दो आँखे दी है ,दो कान दिए है लेकिन मुह एक ही दिया है ताकि हम अधिक सुने अपने चारों और अधिक देखे लेकिन कम बोले ".

दूसरा बन्दर~ दूसरा बन्दर कानो पर हाथ लगाये बैठा है ...उसका संकेत है की बुरा न सुनो .
महापुरुषों ने कहा भी है की बुराई सुननी पड़े तो बहरे बन जाओ  क्यूंकि जब आप बुराई सुनोगे तो वह विचार आपके अंदर जाएगा और आपके शुद्ध विचारों को प्रभावित करेगा इसलिए ऐसे संगत मे ना बैठो जहा बुराइयों का ही जिक्र हो .

तीसरा बन्दर ~यह बंदर आँखों पर हथेली रखे बैठा है की बुरा ना देखो .
माना  की इश्वर ने आपको आँखे देखने के लिए ही दी है लेकिन आँखे बंद करने की ताकत भी दी है .
ताकि बुरइयो को ना देखो ऐसा कोई कार्य न करो जिस से खुद ही खुद से नजरे ना मिला सको .

चोथा बन्दर ~चौथा बन्दर हाथ  बांधे बैठा है ..
उसका संकेत है की बुरी चीजों को ना छुओ ..समज मे नशे को सबसे बुरा कहा गया है ..
कहा गया है की -
"नशा निश्चित मौत है 
आज स्वयं की 
कल परिवार की 
परसों राष्ट्र की ".

यह बन्दर कहता है की नशे को ना छुओ  अपने हाथ अपना जीवन गन्दा न् करो .

पांचवा बंदर ~यह बन्दर पैरों मे जंजीर बांधे बैठा है उसका संकेत है की बुरी जगह ना जाओ .
मधुशाला ,नाईट शो ,केबरे ,मुजरे,रेड लाइट एरिया मे ना जाओ .

"कुछ लक्ष्मण रेखाए खींचो और उन्हें पार न करो " .

छठा बन्दर ~ये वाला बन्दर माथे पर हाथ रखे बैठा है .
उसका संकेत है की किसी के प्रति बुरा ना सोचो ..यह लेनी की देनी है यदि बुरा सोचोगे तो बुरा ही पाओगे .

कहा भी गया है की -

"अपने विचारों पर ध्यान दो 
वही आपके शब्द बन जाते है "
अपने शब्दों पर ध्यान दो ,
वही कर्म बन जाते है .
अपने कर्मो पर ध्यान दो ,
वही आदते बन जाती है .
अपनी आदतों पर ध्यान दो ,
वही आदते चरित्र बन जाती है .
अपने चरित्र पर ध्यान दो ,
क्यूंकि चरित्र से ही भाग्य बनता है .


सातंवा बंदर ~ये वाला जो बन्दर है वो छाती पर हाथ रखे बैठा है .

उसका संकेत है की अपने दिल मे अपनी आत्मा मे अपने इश्वर के अलावा किसी को ना बसाओ.
अगर बुराइयां , दोष आपके अंदर घुस गए तो फिर अच्छाईयों को कहा बसाओगे.
क्यूंकि भाई आज कल किरायेदार से मकान  खाली कराना बड़ा मुश्किल है .
अच्छा हो की इन बुराई रूपी किरायेदारों को अपने घर मे जाने ही ना दो .


देखा  बेजुबान से बंदरों ने जिन्दगी की कितनी नसीहते दे दी हमें ...तो सभी नसीहते मान लि जाए तो जीवन को अच्छा बनने से कोई रोक नहीं पायेगा .




Tuesday, 30 June 2015

धीरे धीरे चलने

कुछ पंक्तिया सी याद आई अब वो कहानी थी कविता थी या गाने की थी पर जो भी थी बड़ी खूबसूरत याद आई बड़ी उत्साह वर्धक--.मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

..
धीरे धीरे चलने वाले 
दूर है तेरा नगर 
ऐसे केसे खत्म होगा 
ये तेरा लंबा सफर ..?
दूर हो जिनकी डगर 
वो इस तरह चलते नहीं 
इस तरह चलते नहीं ....
बन के तूफा चलते है 
जो बाँध लेते है कफ़न .
धीरे धीरे चलने वाले ...

देख उड़ते पंछियों को 
केसे भागे जा रहे 
केसे भागे जा रहे... 
क्यों रुके वो उमके मन मे 
आशियाने की फिकर .
धीरे धीरे चलने वाले 
दूर है तेरा नगर ..

बढ़ता चल तू चलता चल 
की रूकने न पाए कदम 
रूकने ना पाए कदम ...
वीर सो लेना ठिकाने 
पर तू जा कर बेखबर .


धीरे धीरे चलने वाले दूर है 
तेरा नगर 
ऐसे केसे खत्म होगा ये 
तेरा लंबा सफर ..?
दूर हो जिनका नगर वो 
इस तरह चलते नहीं 
इस तरह चलते नहीं ..
बन के तूफा चलते है 
जो बाँध लेते है कफ़न .

आपका खाता

आपका बैंक खाता होगा .
वह तभी अच्छा लगता होगा जब उसमे कुछ धन शेष हो  मतलब कुछ मनी हो उसमे .
इसी प्रकार का एक अपना निजी खाता भी खोल लीजिए ...लेकिन यह खाता तभी अच्छा लगेगा जब उसमे कुछ पोसिटिव बातो का शेष हो .
अपनी उन्नति के लिए परीक्षा मे सफलता के लिए हर प्रतियोगिता मे जीत के लिए खुशियों के लिए इस खाते मे कुछ बातो को जमा कीजिये ...जेसे --

-अच्छी सोच 
-सही सोच 
-अच्छे मित्र 
-मीठी मीठी बाते 
-सदाबहार मुस्कान 
-प्रेरणादायक बाते 
-क्षमाशीलता
-धैर्य 
-परिश्रम वाली क्रियाए 
-सबसे प्रेम और अपनापन आदि ...

दूसरी और कुछ बातो को इस खाते से घटाते भी जाइए ...जेसे -

-धूम्रपान 
-शराब 
-ईर्ष्या 
-मोटापा 
-तनाव और चिंता 
-कुविचार 
-क्रोध 
-कुसंग 
-भय और व्यर्थ के कार्य .

अपना खाता स्वयं बनाइये ..अच्छाईयों का बैलेंस बढाइये एक दिन जीत जाओगे ..:) 
.मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

टाइम मेनेजमेंट जरुरी है

हर परीक्षा की तैयारी के लिए टाइम मेनेजमेंट बहुत जरुरी है .
अगर टाइम मेनेजमेंट होगा तो सब कुछ व्यवस्थित होगा ,अथवा वही चीजे बहुत बिखरी सी अव्यवस्थित हो जायेगी .
टाइम मेनेजमेंट एक प्रक्रिया है जिसकी सहायता से हम तय करते है की किसी विषय ,किसी टोपिक या किसी पुस्तक को पढ़ने के लिए हम कितना समय दे पायेंगे .
क्यूंकि यदि विषयों के मध्य समय का बंटवारा न किया गया तो , हो सकता है एक विषय हमारा आधे से भी अधिक समय खा जाए और बाकी आधे समय मे हमें शेष विषयों की तैयारी करनी पड़े .
हमारा समय सिमित है अतः हमें इसे बुद्धिमता पूर्वक खर्च करना होगा .

टाइम मेनेजमेंट भी एक विलक्षण मानवीय गुण है क्यूंकि हम सबके पास समय बराबर है अर्थात एक दिन मे 24 घंटे .
अब यह हमारे ऊपर निर्भर है की हम किस प्रकार अपने समय का उपयोग करके दूसरों से आगे निकल जाए क्यूंकि परिक्षाओ मे वही चयनित होगा जो पीछे रह जाएगा वह चूक जायेगा .
ध्यान रखना होगा की टाइम मेनेजमेंट न् तो एक दिन मे सीखने की चीज है और न् एक दिन का काम है .
यह तो सतत प्रक्रिया है जिसके लिए हमें आदत डालनी होगी .
"सब चलता है " का अपना जुमला छोडना होगा , तैयारी को मुख्या मुख्या मुद्दों तक सिमित रखना होगा ,पढाई को बेवजह फेलाने से बचना होगा ,अपने लक्ष्य पर हर समय नजर मे रखनी होगी ,तैयारी से तनाव और दबाव को दूर करना होगा तथा गेर जरुरी कामो से बचना होगा .

पढाई के साथ साथ आपको अन्य कार्य भी व्यवस्थित रखने है .
अतः टाइम मेनेजमेंट आज की सबसे बड़ी चुनोती है ..क्यूंकि यह आसान नहीं है ....सबसे बड़ा चतुर है .
पता ही नहीं चलता कब आपको झांसा देकर आगे बढ़ जाता है.
टाइम मेनेजमेंट की आदत डाल लोगे तो यह आपकी तैयारी को संतुलित रखेगा ,..आपके अनुशाशन को बढ़ाएगा और आपको सफलता की जितनी पढाई जरुरी है ,उतना ही उसका मेनेजमेंट भी जरुरी है .
.मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

सफलता का भाव रखो

हमारा दिमाग विचारों की फैक्ट्री है ..जेसा हम सोचते है वेसा परिणाम सामने आता है .
अच्छा सोचोगे तो अच्छा मिलेगा ,बुरा सोचोगे तो बुरा मिलेगा .
सफलता के बारे मे सोचने से ही सफलता मिलती है और असफलता के बारेमे सोचने से हार ही मिलती है .
जैसा कच्चा  माल डालोगे उसी के अनुसार तो पक्का माल निकलेगा .
जेसा खुद मे रिजर्व करोगे वेसा ही डिजर्व करोगे .

जब तक आपके अंदर सफलता का भाव पैदा नहीं होगा तब तक सफलता बहुत मुश्किल होगी .
जो व्यक्ति जिस वस्तु  को जिस भाव से ग्रहण करता है ,उसे वह उसी भाव से प्राप्त होती है.
वैसे तो संयम,ज्ञान और श्रद्धा को जीव का सबसे बड़ा धन माना गया है ...लेकिन उस से भी बड़ा धन "भाव" को माना गया है ...:) .मोनु एस जैन (MONU S JAIN )
कहते है सफलता का भी अपना कानून होता है ..जेसे -
\
IF YOU THINK YOU ARE BEATEN, YOU ARE.
IF YOU THINK YOU DARE NOT, YOU DO NOT.
IF YOU LIKE TO WIN, BUT YOU THINK YOU CAN NOT..
IT IS ALMOST CERTAIN YOU WOULD NOT.
IF YOU THINK YOU WILL LOSE, YOU HAVE LOST.
FOR OUT OF THE WORLD WE FIND
SUCCESS BEGINS WITH A FELLOW'S WILL.
SOONER OR LATER THE MAN WHO WINS.
IS THE MAN WHO THINK ,HE CAN.

आप परीक्षा की तैयारी कर रहे हो तो अपने अंदर के भाव को जगाओ.
यदि अंदर का भाव जग गया तो हर परीक्षा मे जीवन के हर इम्तेहान मे सफलता निश्चित है.
आप तभी तक सफल माने जाओगे जब तक आपके अंदर सफलता का भाव रहेगा .
अतः जीवन मे सफल होने के लिए अपनी श्रधा ,अपनी भावना और दृढ़ता को बनाये रखो .

धैर्य जरुरी है

आपने रहीम दास जी का ये दोहा पढ़ा होगा -
"रहिमन धीरे रे मना ,धीरे सब कुछ होय ,
माली सींचे सौ घड़ा ,ऋतू आये फल होय "

सफल होने के लिए आपमें धैर्य का गुण होना बहुत जरुरी है .
सफल होने के लिए और किसी प्रतियोगी परीक्षा मे चयन होने मे समय लग सकता है .
और अगर आप आईएस जेसी परीक्षा की तैयारी मे लगे है तो कई साल भी लग जाते है .
अतः धेर्य रखने की जरुरत है .आपके प्रयास चलते रहने चाहए .
अभी आपने परीक्षा की तैयारी शुरू की है तो इस क्षेत्र मे आप एक प्रकार से नए परिंदे हो ,अतः आपको उड़ने मे वक्त तो लगेगा .
कोशिश करने का मतलब ही यह है की आहिस्ता आहिस्ता कछुए की चाल से , गंभीरता से सब कुछ समजते हुए तैयारी मे लगे रहो .
उतावलेपन से आज तक किसी को सफलता नहीं मिली है .
एक छोटा सा बीज भी मौसम अनुकूल होने पर या समय आने पर ही अंकुरित होता है  अतः कोशिश करना एक दिन का काम नहीं है .
धैर्य के साथ ,साहस के साथ,अपनी पूरी ताकत के साथ और गंभीरता के साथ की गई कोशिस ही कामयाब होती है .
हां यदि आप कड़ी मेहनत के द्वारा चाहे तो वक्त को कम कर सकते है .
फिर भी धैर्य तो रखना पड़ेगा ...और धैर्य रखिये आपको सफलता अवश्य मिलेगी .

सफलता तभी मिलती है जब मनुष्य उए पाना चाहता है ..
कहा भी गया है --जिन खोजा तीन पाईयां ,गहरे पानी ,पैठ.

जो चाहते हो वो सब मिलेगा धैर्य के साथ कोशिश करते रहिये असंभव तो कुछ भी नहीं :) .मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

थिंक डिफरेंट

आपको भीड़ मे से आगे निकलना है ..इसके लिए आपको दूसरों से अलग हट कर सोचना होगा .
कुछ नया तरीका सोचना होगा ,कोई नई स्टाइल विकसित करनी होगी .
आपके पास कुछ तो ऐसा हो जो आपको दूसरों से अलग करता हो ,आप स्वयं लाइन मे खड़े हुए हो फिर भी लाइन से अलग खड़े दिखाई दो .
एप्पल के संस्थापक स्टीव जोब्स की जीवनी आपने शायद पढ़ी हो ....?
वे कहते थे यदि जीतना है ,सफल होना है, तो अकेले ही चलना होगा क्यूंकि किसी के पीछे चलने से तो उसकी पग धुल ही आपके हिस्से मे आएगी .
भीड़ के साथ चलकर आज तक कोई करिश्मा नहीं कर सका है .
वे हमेशा कहते थे की किसी का इंतज़ार ना करो ....
कोई आपको जिताने नहीं आएगा .
आपको स्वयं जीतना होगा और आप वास्तव मे तभी जीतोगे जब आप दूसरों से हटकर सोचोगे .

स्टीव सर की बात मे दम तो है ...
आप प्रतियोगि परीक्षा मे शामिल होने जा रहे है तो कुछ तो आप मे दूसरों से अलग होना चाहए .
चाहे आपकी हैण्ड राईटिंग अच्छी हो ,चाहे आपका व्यक्तित्व ,चाहे आपका व्यव्हार ,चाहे आपका स्वाभाव पर कुछ तो अलग होना ही चाहए .
और जब कुछ अलग होगा तभी तो आप दूसरों से अलग हट कर सोचोगे .
लीक से हट कर चलो तभी आप अपने आपको साबित कर पाओगे , तभी आप अपने अंदर मे जो छुपी हुई है प्रतिभा को सामने ला पाओगे .
 कोशिश कीजिये ...कोशिश से सब कुछ संभव है :) .मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

जीवन की पॉवर फुल बाते ......

१-जीवन एक उत्सव है ,इसे प्रेम से मनाइए
   जीवन एक गीत है ,इसे जी भर गाइए .
   जीवन एक संगर्ष है ,जी -जान से सामना कीजिये 
    जीवन एक सपना है -इसे प्यार से साकार कीजिये .

२-जीवन मे अनुकूल और प्रतिकूल संयोग बनना तो ' पार्ट ऑफ लाइफ है '...पर प्रतिकूल संयोग बन जाने पर भी अपने आप को खुश और तनाव मुक्त रखना निश्चय ही " आर्ट ऑफ लाइफ " है .

३-जो ताला चाबी को एक और गुमाने से बंद होता है वही दूसरी और गुमाने से खुल भी जाता है हम अपने विचार ,वाणी और व्यव्हार को इस तरह घुमाए की किस्मत के बंद पड़े ताले फिर से खुल जाए .

४-रास्ते मे मंदिर मिल जाए और प्रार्थना न करे तब भी चल जाएगा ,पर रास्ते से गुजरते हुए कोई एम्बुलेंस मिल जाये तो उसे देख कर दुआ जरुर करे ..शायद आपकी दुआ से उसका जीवन बच जाए ..दुआओं मे बड़ी ताकत हुआ करती है :)

५-आपके पास कोई फैक्ट्री हो न् हो  पर ये तीन फैक्ट्री जरुर खोलिए --दिमाग मे आइस फैक्ट्री ,दिल मे लव्  फैक्ट्री ,और जुबान मे शुगर फैक्ट्री ....आपके जीवन की समृधि खुद ब खुद बढती जायेगी .

६-बडो के द्वारा दिया गया संकेत चोराहे की रेड लाइट है ,जो बुरा मानने के लिए नहीं बल्कि एक्सीडेंट रोकने के लिए है .

७-हम उस पानी जेसे बने जो आगे बढ़ने के लिए अपना रास्ता खुद बनाता है ...हम उस पत्थर जेसे ना बने जो दूसरों के आगे बढ़ने का रास्ता भी रोक लेता है .

८-जिन्दगी की जिस डगर पर आप खड़े है ,उसमे गीला शिकवा पालने की बजाय उसका आनंद लीजिए पाँव मे जूते नहीं है तो क्या हुआ ..सोचिये मै उनसे तो ज्यादा सुखी हू जिनके पाँव ही नहीं है .

९-आपकी प्रतिष्ठा आपके जीवन का खजाना है इसकी सुरक्षा के प्रति सावधान रहिये ..एक बार अगर यह खजाना हाथ से चला गया तो फिर इसे पाने मे वर्षों लग जायेंगे .

१०-गम मे कभी भी इतने मत डूबिये की लोग हमें देख कर अपनी खुशिया भूल बेठे ..हम तो वह खुशमिजाज इंसान बने  की लोग हमें देख कर अपना गम भूल बेठे .

११-कोई आपकी तारीफ़ करिये तो फुलिये मत क्यूंकि इसमें खासियत आपकी नहीं तारीफ़ करने वाले के नजरिये की है .

१२-कड़वे वचन मत बोलिए ..कड़वे बोलने वालो का शहद भी नहीं बिकता और मीठे बोलने वालो की मिर्ची भी बीक जाती है .

१३-जिन्हें सही ज्ञान है वे भरे गड़े की तरह शांत रहते है .जिन्हें आधा अधूरा ज्ञान है वे आधे घड़े की तरह ज्यादा छलकते है .

१४-अगर मुर्दे का जीवन जीना है तो भले ही सुस्त रहए पर सफल जीवन जीना है तो खुद को सक्रिय बनाओ  ..सक्रियता की सफलता की पहली सीढ़ी है .

१५-सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सोये मत रहिये ..क्यूंकि उस समय सोने वालो को लक्ष्मी छोड़ जाती है फिर  वह चाहे स्वयं भगवान विष्णु ही क्यूँ न हो ...:)  .मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

सफलता के सात कदम

1-केवल साँसों के चलने से जीवन नहीं चला करता ...जीवन के लिए शांति ,शक्ति और सफलता की मनोदशा भी जरुरी है .

2-लगातार टिक टिक करती घडी हमें इस बात के लिए आगाह कर रही है की जीवन का काँटा कही अटकने के लिए नहीं ,सफलता के रास्ते पर मनोयोगपूर्वक निरंतर श्रम और संगर्ष करने के लिए है .

3-जीवन मे बाधाओ की चाहे सड़क पार करनी हो या रेल की पटरी ,धेर्य और साहस का दामन कभी मत छोडिये .

4-समजदारी की देहलीज पर कदम रखते ही दिल मे लक्ष्य का चिराग जला लिया जाए तो इस से आप अपनी सात पीढ़ी के लिए रौशनी के कई रास्ते खोल सकते है .

5-हर बचपन का बुढ़ापा होता है और हर कार्य की मंजिल ..अपने उत्साह और उमंग को सदा अपनी आँखों मे बसाकर रखिये ताकि बुढ़ापा और मंजिल सदा तारो तजा रहे .

6-अपने मनोबल को पंगु होने से बचाइए ..आप शरीर मे अपंग  होकर भी अष्टावक्र की तरह सम्पूर्णता का सामर्थ्य अर्जित कर लेंगे .

7-जीवन मे प्रसन्नता का पेड लगाइए ..उसकी डाल पर चेह्चाने के लिए रंग बिरंगी चिड़िया और मिठास बढ़ाने के लिए खूबसूरत फल अपने आप आ जायेंगे ..:)  .मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

बेहतर जीवन के लिए बनाये सकारात्मक नजरिया

सफलताए नजरियों का ही तो परिणाम होती है .
जितना ऊँचा लक्ष्य ,उतनी अधिक सफलता .
अपनी सोच को विशाल रखो और अपने नजरिये को बेहतर बनाओ ...अपना आदर्श किसी अच्छे व्यक्ति को बनाओ .
वैसे हर इंसान की एक सहज प्रवृति होती है इर्ष्या की ...वह किसी और से नहीं तो अपने पडोसी से हो जलेगा के मेरा मकान एक मजिल का है और उसका तीन मंजिल का ...पर सोचिये इस टाइप की ईर्ष्या से आपको क्या हासिल होगा ..?
ज्यादा से ज्यादा यह की आप आपके मकान को उसके जेसा तीन मंजिल का बना लोगे बस .

"यदि ईर्ष्या करनी ही है तो किसी टाटा बिडला अम्बानी से करो ताकि तुम ऊँचे उठो तो दुनिया को पता  तो लगे :)
ईर्ष्या करनी जरुरी ही लगती है आपको तो महावीर,राम ,कृष्ण से करो ताकि यदि राम न भी बन पाओ तो कम से कम तुलसी तो बन ही जाओगे ,कृष्ण तक न पहुच पाए तो भी कबीर तक तो पहुच ही जाओगे ."

आदर्श ऊँचे रखे ..सफलताए ,असफलताओं से ही जन्म लेती है .गुलाब उगने से पहले दस दस कांटे उग आते है .
याद रखिये बिना चट्टानों को पार किये झरनों तक नहीं पहुंचा जा सकता .
बिना बाधाओं के सफलता नहीं मिलती .
लोग आलोचना करेंगे ,टिपण्णी करेंगे,चुनोती देंगे और चलते हुए को लंगडी देकर गिराएंगे भी ..तुम सोच लो तुम्हे क्या करना है ..........
सुननी सबकी है पर करनी अपने मन की है .
अपना खुद का फैसला आप खुद करे .
                                       
                                        हम है अपने भाग्य विधाता खुद अपना निर्माण करे .


जितना ऊँचा लक्ष्य ,उतनी ऊँची सफलता ..उतनी ही कड़ी मेहनत और वेसी ही कार्य पद्धति .
अगर आप शुरू से ही सकारत्मक नजरिया लेके चलते हो अगर आप शुरू से ही रेंक का मानस लेके चलते हो तो अवश्य ही रेंक प्राप्त करोगे .
फिर भी अगर प्रथम रेंक न पा सके ,तो प्रथम श्रेणी से तो आपको दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती .
आपको किस मुकाम पर पहुंचना है ,इसका निर्णय आप स्वयं करे .
व्यक्ति स्वयं का निर्णायक स्वयं बने .
हाथो की लकीरों को देखने दिखाने की बजाय अपने मेहनत अपनी बेहतर सोच से अपने हाथ की रेखाए खुद खींचो .
तुम ऐसा पुरुषार्थ करो की भाग्य स्वयं तुम्हारी हथेली पर बेहतर परिणाम लिख जाए ..:)
.मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

लक्ष्य बनाओ

जिन्दगी मे लक्ष्य होना जरुरी है चाहे आप किसी भी क्षेत्र से सम्बन्ध रखते हो चाहे विद्यार्थी चाहे व्यवसायी , पर लक्ष्य होना आवश्यक है सबके लिए .
और लक्ष्य हमेशा ऊँचा बड़ा रखे .
जितना ऊँचा लक्ष्य होगा ,उतना ही व्यक्ति मे ज्यादा उत्साह होगा .
जिसका जितना महानतम और सुदृढ़ लक्ष्य हुआ करता है उस व्यक्ति मे उतनी ही सघन उर्जा हुआ करती है .

जानवर अपना लक्ष्य नहीं बना सकते ...लक्ष्य तो मात्र इंसान ही बना सकते है .
जानवरों का काम तो जन्म लेना ,खाना ,बच्चे पैदा करना और मर जाना है ....काम तो हम लोग भी यही करते होंगे ,पर हम मनुष्य की संतान है .
कुदरत ने हमें कुछ विशिष्ट शक्तिया और क्षमता दी है ,जिनका हम सब को उपयोग करना चाहए .
जरा सोचना कभी हमारे जीने का मकसद क्या है ...?
क्या हम इसलिए जी रहे है की अभी तक मरे नहीं है ..?
अगर आप इसलिए जी रहे है की आप मरे नहीं है तो आप अब भी मरे हुए ही है .
अगर आप जीवन मे कुछ उपलब्ध करना चाहते है, चाहे हम मे से कोई अपाहिज ही क्यों न हो  ,तो भी प्रयास करो .
आपको सफलता अवश्य मिलेगी ..किसी न किसी मंजिल तक अवश्य पहुच जाओगे .

मकसद अर्थात लक्ष्य जरुरी है ..गोली चलाओ तो भी लक्ष्य होना चाहए ,तीर संधान के लिए भी लक्ष्य हो .
आप जानते होंगे की बच्चे मेग्निफाई लेन्स से खेला करते है ..हम भी जब छोटे थे तो उस से खेला करते थे .
चलो मेग्निफाई को भी छोड दे एक साधारण कांच लेकर धुप मे खड़े हो और सूरज की रौशनी कांच पर पड़े.
सूरज की रौशनी आप पर भी पड़ती है कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन उस मेग्निफाई लेन्स की रौशनी का झलका किसी आदमी पर गिरा दिया जाए तो वो कुछ सेकंड के अंदर काँप उठेगा .

ताकत है लक्ष्य मे ...उस मेग्निफाई लेन्स से हम यह कहना चाहते की हर आदमी के जीने का मकसद ,लक्ष्य अथवा एक केंद्र बिंदु अवश्य होना चाहए .
आप पायेंगे की जिस व्यक्ति का लक्ष्य निर्धारित होता है वह चाहे जिधर जाए उसका लक्ष्य सदेव उसकी आँखों मे समाया रहता है .
वह हर कार्य करता  हुआ भी अपने लक्ष्य अथवा अपनी कामयाबी के निकट पहुचता जाता है .

आप जब लक्ष्य बना लो तो केवल लक्ष्य बना कर मत बेठ जाओ .
उस लक्ष्य को पूरा करने की प्लानिंग भी तैयार करो की मे इस लक्ष्य को केसे प्राप्त करू ?
कार्य करने की तकनीक सीखो .
अपने से ये बात निकाल दो की आप को सब आता है .
हर व्यक्ति को किसी भी रास्ते पर कदम बढ़ाने से पहले होमवर्क अवश्य  कर लेना चाहए .
किसी भी मकान को बनाने से पहले आर्किटेक्ट उसका नक्शा पहले बनाता है .
इसलिए लक्ष्य ऊँचा बनाओ और लक्ष्य को पाने के लिए पूरी प्लानिंग भी करो .
और उस प्लानिंग को पूरा करने के लिए जीवन को व्यवस्थित करिये .

एक बार जीने का तरीका फिर से सीखा जाए ..केवल पैसा कमा लेने या खाने मे रोज बादाम की कतली खाने का सौभाग्य प्राप्त करना ही जीवन नहीं है .
जीवन जीने का कोई मकसद अवश्य हो ,जीने की कोई परिणिति भी हो .
माना की पैसा बहुत कुछ होता है पर वह सब कुछ नहीं होता ..पैसे के अलावा भी जीवन मे करने के लिए बहुत कुछ है .

यह बात अपने दिमाग मे हमें घोट घोट कर उतार लेनी चाहए की दुनिया मे मुफ्त मे किसी को कुछ नहीं मिलता ...जब तक आदमी मेहनत नहीं करेगा तब तक उसे कुछ नहीं मिलेगा .
आप जिस चीज को पाना चाहते है उसे पाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी तब जा कर कुछ हासिल होगा .

अगर आप स्टूडेंट है तो पढ़ने के लिए कड़ी मेहनत करो रात दिन लगे रहो निरंतर अभ्यास करते रहो .
अगर आप व्यवसायी है तो व्यापर के लिए कड़ी मेहनत करिये .
कही सर्विस करते है तो वहा कड़ी मेहनत कर के अपना स्थान बनाइये .
चींटी मात्र एक कण के लिए कितनी मेहनत करती है .
एक चिड़िया अपना घोंसला बनाने के लिए तिनके तिनके को जोड़ कर मेहनत करती रहती है .
बस सफलता का एक यही सबसे बड़ा सूत्र है कड़ी मेहनत :) .मोनु एस जैन (MONU S JAIN )



Monday, 29 June 2015

संकल्प शक्ति मजबूत करिये

जिन्दगी मे यदि कामयाबी हासिल करनी है तो ,हम मे से हर व्यक्ति सबसे पहले अपनी और से यह प्रयास करे की वह अपनी इच्छा शक्ति ,संकल्प शक्ति और मनोबल को मजबूत बनाये .
जिस व्यक्ति की इच्छा शक्ति कमजोर हो गई है वह हार ही जाता है .
कहावत भी है -मन के जीते जीत है,मन के हारे हार .

आदमी ने अगर यह सोच लिया की मे यह काम नहीं कर सकता तो वाह उसे नहीं कर पायेगा .
और उसने यदि यह सोच लिया की मे यह काम कर लूँगा तो वह उस काम को जरुर कर लेगा .यह तो हम मे से प्रत्येक व्यक्ति की मानसिकता पर निर्भर करता है .
स्वयं के संगर्शो और कोशिशो मे ही कामयाबी छिपी रहती है .दुनिया मे ऐसा कोनसा व्यक्ति है जिसने श्रम नहीं किया हो और उसे सफलता हासिल हो गई हो ..?
हर किसी को मुसीबतों की खाइयो को पाटना पड़ता है बाधाओ की चट्टानों को पार्कारना ही पड़ता है .

सफलताए न तो किसी अवतार की तरह आकाश से प्रकट हुआ करती है ना ही कीसी अलादीन के चिराग की तरह जमीं फाड़ के निकलती है .
कामयाबी तो व्यक्ति के अपने नजरिये का परिणाम हुआ करती है .
प्रत्येक व्यक्ति को जोखिम उठानी होगी ,खतरों का सामना करना होगा ...जो व्यक्ति जिन्दगी के जंगल को पार करना चाहता है उसे इस जंगल की राह मे आने वाले हर अवरोध का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा .
हर कामयाबी के पीछे नाकामयाबी का शिला लेख छिपा रहता है .
कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं जिसे कदम उठाते ही सफलता मिल जाए .

जो लोग पुरुषार्थ करने से डरते है  वही लोग असफल होने पर अपने हाथ की रेखाए दिखाते फिरते है ..मन और संकल्प को मजबूत रखने वाले लोग ,महज अपने अतीत की भाग्य रेखाओ पर विशवास नहीं करते बल्कि अपनी नई भाग्य रेखाओ का निर्माण करना भी जानते है .

टाटा बिडला कोई आसमान से टपके हुए व्यक्ति नहीं है वरन वे भी हमारी तरह ही छार हड्डियों के ही इंसान है .
वे भी वही रोटी खाते है जो हम खाते है ..उनके पास भी वही दिमाग है जो हमारे पास है .
बस थोडा सा टेक्निक का फर्क है ...
जो सफल होते है और जो असफल होते है उनमे बहुत बड़ा फर्क नहीं हुआ करता .
केवल एक प्रतिशत जितना ही फर्क हुआ करता है .....
कुछ उसूलों का ,कुछ नजरियों का ,कुछ सोच का ,कुछ उत्साह और हौंसले का ही फर्क होता है .

अपने मन को मजबूत कीजिये ..स्वयं को हार हुआ मत समजिये..
हारना कोई बुरी बात नहीं होती ..प्रतिस्पर्धा मे चार दौड़ते है जिनमे तीन हारते है और एक जीतता है .
तीन अगर फिर प्रयास करे तो तीन मे से दो हारेंगे और एक जीतेगा और दो फिर प्रयास करे तो एक जीतता है और  एक हारता है ....इसके बाद भी हार हुआ व्यक्ति अगर प्रयास करता है तो दुनिया हारेगी और वह जीतेगा ये होती है मन को मजबूत करने की ताकत .

सब बाते हमारें मनोबल पर निर्भर करता है ,हमारी इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है की कामयाब होंगे या नाकामयाब .
हम इच्छा शक्ति जगाए ,अपने मन को कमजोर और कायर न् होने दे .
विश्वास करना है तो अपने आप पर विशवास करना सीखे .
जिन्दगी मे चाहे जितनी नाकामयाबी मिले तब भी ,निन्यानवे रास्ते बंद हो जाने पर भी एक अवश्य खुला रहता है .
व्यक्ति का जन्म बाद मे होता है जबकि प्रकति की और से जीवन की व्यवस्थाए पहले से ही होनी शुरू हो जाती है .
बच्चे का जन्म बाद मे होता है माँ का आँचल बच्चे के जन्म के पहले ही दूध से भर जाया करता है .
जब तक आप असमर्थ हो आपकी व्यवस्था कुदरत करती है किन्तु जिस दिन आप अपने पांवो पर खड़े हो जाते हो उस दिन से यह व्यवस्था आपको करनी होती है .
उसके बाद आप स्वयं अपने जीवन के मालिक बन जाते हो व्यवस्थापक बन जाते हो .
बस आप अपनी इच्छा शक्ति जागो और अपने संकल्प को मजबूत करो और वो सब हासिल कर लो जिसे आप पान चाहते हो .
.मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

इम्प्रेस्सिव लाइफ के टिप्स :)

1-दुनिया मे हमारी एंट्री चाहे जेसी हो ,पर एक्सिट (रवानगी ) शानदार होनी चाहए .अपने वचन व्यव्हार को ऐसा बनाइये की अगरबत्ती की खुशबु की तरह हम सीधे दूसरों के दिलो मे उतर जाए .

2-तलवार की कीमत उसकी धार से होती है और इंसान की कीमत उसके व्यव्हार से .हम दूसरों से ऐसा व्यवहार करे की वो हमें अपना सब कुछ समजे .

3-जो आपसे दुश्मनी रखते है, उनसे दुश्मनी निकालने के लिए वक्त बर्बाद करने की बजाय अच्छा होगा आप उनके लिए अपना समय निकाले ,जो आपसे बहुत प्यार और सम्मान करते है .

4-अपने क्रोध को अपने कण्ट्रोल मे रखिये ..शान्ति और प्रेम के पंछी उस डाल पर नहीं बैठा करते ,जिस पेड के नीचे आग सुलग रही हो .

5-मौन और मुस्कान दोनों का इस्तेमाल कीजिये .
मौन अगर रक्षा कवच है तो ,मुस्कान स्वागत का रास्ता ...मौन से फजीहतो को पास फटकने से रोका जा सकता है तो मुस्कान से हर समस्या का हल निकाला जा सकता है .

6-जिजक छोडिये ..जो बात आपके दिल मे है उसे बोलने की हिम्मत कीजिये और जो बात दूसरों के दिल मे है उसे समजने की भी कोशिश कीजिये .

7-जीवन मे तोते को देखकर प्रेरणा लीजिए , जो मिर्ची कहा कर भी मीठे बोल बोलता है और एक हम है जो घी मिश्री कहा कर भी कड़वा बोलते है .
खुद को तोते से ज्यादा तो मत गिरने दीजिए .

8-पीठ पीछे आपकी कोई बात हो तो बुरा मत मानिए ...दरअसल बात उन्ही की होती है जिन मे कोई बात होती है .

9-जीवन मे उस शक्श को कभी नजर अंदाज मत करिये ,जो आपकी बहुत परवाह करते हो ..अन्यथा किसी दिन आपको इस बात का पछतावा होगी की हमने कांच के कंचो को इक्कठे करने मे अपने जीवन का एक बेशकीमती हीरा गँवा दिया .

10-आपकी पहचान अच्छी बातो से नहीं बल्कि अच्छे कार्यों से होगी ...अच्छी बाते तो बुरे लोग भी कर लिया करते है पर ,अच्छे कार्य तो केवल अच्छे लोगो के बस की ही बात है  :)

11-अच्छे काम के लिए अच्छे मुह्रुत का इंतज़ार मत कीजिये .
जिस दिन अच्छा काम करने का भाव जगे ,उसे मूर्त रूप देने का सबसे अच्छा मंगल दिवस है .
.मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

चलते रहो ....

जीवन मे कुछ करना है 
तो मन को मारे मत बैठो .
आगे आगे बढ़ना है तो 
हिम्मत हारे मत बैठो .

चलने वाला मंजिल पाता ,
बैठा ,पीछे रहता है .
ठहरा पानी सड़ने लगता ,
बहता निर्मल होता है .
पाँव दिए चलने की खातिर 
पाँव पसारे मत बैठो .

तेज दोड़ने वाला खरगोश ,
दुपहर चल कर हार गया ,
धीरे धीरे चलकर कछुआ 
देखो बाजी मार गया ,
चलो कदम से कदम मिलाकर ,
दूर किनारे मत बैठो .

धरती चलती ,तारे चलते 
चाँद रात भर चलता है 
किरणों का उपहार बांटने 
सूरज रोज निकलता है ,
हवा चले तो महक बिखेरे 
तुम भी प्यारे मत बैठो .

जीवन की हर चीज हमें यही सिखाती है की अगर सफल होना है तो निरंतर प्रयास करने होंगे निरंतर चलते रहना होगा .
.मोनु एस जैन (MONU S JAIN )


संतो का सानिध्य

आज की भाग दौड भरी जिन्दगी मे लोगो को अपनों के लिए ही वक्त नहीं मिलता तो किसी और की या कही और जाने की क्या सोचे कोई ...
पर यकीन मानिए कभी कभी अपने व्यस्त दिनचर्या मे से कुछ समय स्वयं के लिए भी निकालिए और संतो का सानिध्य करिये पर हा ऐसे संतो के पास जाना जहा उनको आपसे कोई लेना देना न हो .
बस बैठिये जा कर कुछ न कुछ तो जरुर मिलेगा और वो भी मुफ्त मे बड़े काम की चीजे .
जेसे की कुछ ऐसे बाते ..............

-खुद की कमाई से कम खर्च हो ऐसे जिन्दगी बनाओ .

-दिन मे कम से कम खुले दिल से तीन चार लोगो की प्रशंशा कर दो .

-खुद की भूल स्वीकारने मे कभी संकोच मत करो .

-किसी के सपनो पर कभी मत हँसो ...

-आपके पीछे खड़े व्यक्ति को कभी कभी आगे जाने का मोका दे दो किसी को खुश कर के देखो .

-रोज हो सके तो उगते सूरज को जरुर देखो .

-बहुत जरुरी हो तभी कोई चीज किसी से उधार लो .

-किसी के पास से कुछ जानना हो तो विवेक से दो बार पूछो .

-कर्ज और शत्रु को कभी बड़ा मत होने दो .

-प्रार्थना करना कभी मत भूलो ..प्रार्थना मे अपार शक्ति होती है .

-अपने काम से मतलब रखो .

-समय सबसे ज्यादा कीमती है इसको फालतू कामो मे खर्च मत करो .

-जो आपके पास है उस मे खुश रहना सीखो .

-बुराई कभी भी किसी की मत करो ..बुराई नाव मे छेद के सामान है ,बुराई छोटी हो पर बड़ी नाव को तो डुबो ही देतीहै .

-हमेशा सकारात्मक सोच रखो .

-हर व्यक्ति एक हुनर लेकर पैदा होता है बस अपने हुनर को दुनिया के सामने लाओ .

-खुद को कभी भी किसी से कम मत समजो .

-कोई काम छोटा नहीं होता काम तो बस काम होते है पुरे मेहनत से अपने कार्य मे लगे रहो .

-सफलता उन्ही को मिलती है जो कुछ कर गुजरते है अपने हौंसलो से .

-कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है ये जुमला पुराना हो गया भाई ...कुछ पाने के लिए कुछ खोना नहीं कुछ करना पड़ता है ...:) .मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

केसे बढ़ाये अपना मेमोरी पॉवर

ध्यान और योग से जुड़े हम और हमारी ताकत .
केसे अपनी दिमाग की याददाश्त की ताकत बढ़ाये ...

१-हमेशा अपने दिमाग को रिलेक्स और तनाव मुक्त रखे ...प्रश्न उठता है की केसे रखा जाए ?
जब भी लगे तनाव महसूस हो रहा है आपको ...तो करना ये है गलीचे पर लेट जाए ...पाँव के अंगूठे से लेकर सिर तक,अपने प्रत्येक अंग पर एक एक मिनट ध्यान करे और शरीर को ढीला छोड़ते जाए .
आप 15 मिनट इसे कर लीजिए आपको फर्क स्वयं पाता चल जाएगा .

२-अपनी एकाग्रता बढ़ाये ...योगशास्त्र कहता है एकाग्रता बढ़ाने के लिए "त्राटक" करे ...
अब त्राटक केसे करे ...?
जवाब है -एक दीपक जलाये और लगातार दो तीन,पांच ,सात .मिनट तक अपलक अपनी नजर उसकी ज्योति पर केंद्रित करे .
अवश्य ही आपकी एकाग्रता बढ़ेगी .
जब भी मंदिर मे जाए त्राटक जरुर कर ले भगवान जी से मिलना भी हो जाएगा और आपका काम भी हो जायेगा .एक पंथ दो काज ..:)
जिसकी एकाग्रता जितनी गहन होगी उतनी ही शीग्रता से वह अपना लक्ष्य पा सकेगा .

३-दिमागी कसरत करे ..जेसे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम करते है उसी तरह दिमाग की पॉवर बढ़ाने के लिए दिमागी कसरत करे .
जेसे अंको को उल्टा सीधा करे ..गुणा भाग बड़ी बड़ी संख्याओ का करे .
कुछ पहेलियाँ सुलझाए ...गणित के सवालो को जब तक हो सके बिना पेन पेन्सिल लिए एक बार दिमाग मे हल करने की कोशिस करे .
अपने दिमाग को धार देने के लिए ऐसे सुडोकू टाइप पहेलियाँ सोल्व करे.

४-अपनी दिमाग की रचनात्मक शक्तियों को बढ़ाये .
क्रिएटिव बने ...कविता ,कहानी ,डायरी आदि लिखे ..या जो भी एक्टिविटी आपको पसंद हो करे जेसे -बागवानी या अन्य कुछ भी पर करे जरुर .
अपनी होबिज को बनाये रखे .

५-कुछ न कुछ नया सिखने की ललक अपने भीतर जगाए रखे ...स्वयं को अपने पुश्तेनी धंधे तक सीमित न रखे और लड़किया खाली किचन तक सीमित न रहे  बल्कि अपने मानसिक विकास के लिए कुछ न कुछ नया सीखते रहे .
याद रखो कभी भी अपने को गुरु ना समजो, समजना है तो विध्यार्थी ही समजे .
चाहे जितनी उम्र हो जाए सिखने की ललक हमेशा बनी रहे ...विध्यार्थी बनकर जियेंगे तो ज्ञान प्राप्ति के रास्ते हमेशा खुले रहेंगे .
अच्छी पुस्तकों से बेहतर कोई मित्र नहीं होता ..यह दिमाग तो उस खेत की तरह है जिसमे अच्छे बिज बोये जाए तो अच्छी फसल निकलेंगी अन्यथा जंगली घास और खरपतवार ही पैदा होगी .

६- याद करने के लिए अलग अलग चीजे अपनाए जेसे किसी के मोबाइल नंबर याद करिये उन्हें मोबाइल मे सेव मत करिये कोशिस करिये की चीजे आपको याद रहे .

७-याददाश्त ठीक करने के लिए जब ख्याल आ जाए ज्ञान मुद्रा बना ले .
अंगूठे के मध्य की रेखा को पहली ऊँगली से टच कर ले ..जितनी देर ज्ञान मुद्रा मे रहोगे उतना अच्छा .

८-हमेशा सीधी कमर कर के बेठे ..झुकी कमर से बैठने पर शीग्र ही आलस आना शुरू हो जाता है .

९-सात्विक आहार ले ..अगर विध्यार्थी हो तो हो सके जितना बाहर के खाने से बचो और घर पर भी ज्यादा तला हुआ खाने से परहेज करे .
दूध लो फल लो ऐसे पोष्टिक चीजे अपने खाने मे रखिये शरीर स्वस्थ रहेगा और जहा शरीर स्वस्थ रहेगा वहा दिमाग स्वयं काम करेगा .
शाश्त्रो मे कहा भी है पहला सुख निरोगी काया ..

१०-प्रतिदिन व्यायाम करे ..इस से शरीर स्वस्थ रहता है .
प्राणायाम करे ...क्रोध न करे ..
पुरे दिन मे एकत्र की गई उर्जा एक बार के क्रोध मे समाप्त हो जाती है ....एक बार गुस्सा करने से दिमाग के एक हजार कोशिकाए खत्म हो जाती है और ये दिमाग की वो सेल्स होती है जिनका दुबारा निर्माण नहीं होता .
इसलिए क्रोध न करे जो जितना ज्यादा क्रोध करता है उसकी याददाश्त उतनी जल्दी कमजोर होती जाती है .

हमेशा हँसते मुस्कुराते जिए ..रात मे गहरी नींद ले ..
आज कल इन मोबाइल के चलन से रात  को सोते समय भी इनको अपने पास रखने की आदत से नींद मे कमी आई है ..इसलिए रात को तो कम से कम अपने मोबाइल को भी सोने दीजिए और खुद भी अच्छी नींद लीजिए ...:)

इश्वर पर विश्वास रखे खुद पर विश्वास रखे  और अपना मनोबल बनाये रखे ....
मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

खोले किस्मत के ताले पार्ट -3

                                                            सफलता तो एक सफर 
सफलता तो एक सफर है मंजिल नहीं .
यह तो लगातार बढते रहने का,पाते रहने का नाम है .
अगर आपने एक संस्थान खोल दिया तो वहा तक ही सिमित मत रहो ,उसको और आगे बढाओ .
जब तक जिन्दा हो सृजन करते रहो .सृजन करते रहोगे तो जीवन मे जीने का लक्ष्य रहेगा और सृजन ही अगर बंद कर दोगे तो आज मरे या कल मरे क्या फर्क पड़ना है .
कल भी सुबह उठे ,दुकान गए ,वही काम किया ,शाम को आये और सो गए .
कल भी यही किया ,आज भी यही किया और कल भी यही करेंगे .
अगर हमारे पास कुछ लक्ष्य नहीं है ,कुछ और नया करने के लिए नहीं है तो क्या फर्क पड़ता है कल तक जिए,आज जिए या दस बीस साल और जिए .

तुम्हारी जिंदादिली की , जिन्दगी की कसौटी इसी मे है की हम लोग ,हमेशा जीत पर विश्वाश करे ,हमेशा आगे बढ़ने पर विश्वास करे .
आगे बढते बढते विफल भी हो जाए तो कोई गम नहीं .
हो गए तो हो गए .....
जो आदमी चलेगा ,वही तो ठोकर खाकर नीचे गिरेगा .जो चलेगा ही नहीं वह कहा गिरेगा ?
माना हम  यहाँ से वहा तक जायेंगे..जायेंगे  तो खतरा तो है की कही पाँव फिसलकर गिर सकते है  .
अगर हम  ये सोचू की कौन  खतरा मोल ले पाँव फिसलने का ,तो हम  वही बेठे रहेंगे .
निट्ठला आदमी ना तो गिरेगा और न कही पंहुचेगा .
अगर हमें साइकिल चलाना सीखना है तो दो चार बार साइकिल से गिरना भी होगा .
जिस आदमी ने सोचा की साइकिल चलाना सीखूंगा और गुटने छिल गए तो ..?
जहा तक दो चार बार गुटने नहीं छिले ,वहा आज तक कोई साइकिल चलाना सीख ही नहीं पाया .

माँ के पेट से कोई मजबूत हा कर नहीं आता .
बच्चा तब मजबूत होता है जब वह माँ की गोद से उतरकर जमीं पर चलता है और चलते -चलते कभी वाह गिरता है ,कभी लुढकता है ,कभी माथे पर चोट लगती है ..बच्चे का निर्माण ऐसे ही होता है .
ज्यादा प्यार से बच्चे केवल बिगड़ते है .
खुद की ज्यादा परवाह भी हमें बहुत बार रिस्क उठाने से रोकती है पर कठिन परिस्थितियों मे ही तो जीवन का निर्माण होता है .
रिस्क उठाते चलो काम करते चलो और सफलता के ऊँचे पायदानो को पाते चलो .
इसलिए कही रुको मत बढते चलो चलते चलो की चलना ही जिन्दगी है .

"एक रास्ता है जिन्दगी 
जो थम गए तो कुछ नहीं "
.मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

खोले किस्मत के ताले पार्ट -2

जीवन मे सफल होने के लिए जरुरी है खुद पर विश्वास .
हम मे से बहुत से लोग ऐसे है जो कद मे छोटे है ,रंग से काले है, दुबले पतले है और उन मे  से अधिकतर ये सोचते है की मे इतना छोटा सा हू इतना काला सा हू मे  भला क्या कर सकता हू क्या कर सकूंगा ....
मन मे एक हिन् भावना सी होती है स्वयं को लेके .
अगर आपको भी ऐसे जोई मन मे विचार है तो सब से पहले अपने इस प्रकार के नेक विचारों को दिमाग से नौ दो ग्यारह करिये .
ऐसे विचारों की हमारे जीवन मे कोई जगह नहीं है .
हम बात करते है अपने ही जेसे कुछ ऐसे लोगो की जो भी छोटे और काले और सुन्दर नहीं थे पर उन्होंने अपने इच्छा शक्ति के बलबूते जो कर दिखाया वो बहुत से रूपवान भी नि कर सकते .

उनमे से एक शक्श है सचिन तेंदुलकर अब शायद इनके परिचय की तो जरुरत नहीं की सचिन तेंदुलकर कौन है ..?
सचिन तेंदुलकर कद मे बहुत ही छोटे इंसान दिखने मे भी ठीक ठाक लेकिन उनके अंदर का जूनून होंसला और आत्म विश्वास ने उसे वो बना दिया जो हर कोई नि सोच सकता .
अगर सचिन ये सोच कर बचपन से घर मे बेठ जाते की क्रिकेट मे तो लंबे लोगो का ही नंबर आता है लंबे लोग ही सफल होते है तो आज वो वहा नहीं होते जिस मुकाम पर अभी है .
उन्होंने कभी इस बात को अपने मन मे नहीं आने दिया की वो छोटे कद के है ..
उन्होंने बस अपनी मेहनत जारी राखी अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहे ना दिन देखा ना रात हमेशा प्रक्टिस करते रहते और उन्ही लगातार प्रयासों का नतीजा है वर्तमान के सचिन .

जो कोई यह सोचता है की मे गरीब घर मे पैदा हुआ हू मे केसे कुछ कर पाऊंगा तो आपको ये बता दे की हमारे देश के सबसे गरिमा पूर्ण राष्ट्रपति डॉक्टर कलाम सर भी गरीब घर मे पैदा हुए थे लेकिन अपनी मेहनत अपने होंसले से उन्होंने जो मुकाम हासिल किया वो असंभव को संभव करने वाली बात थी .
गरीब घर मे पैदा होने गुनाह नहीं है लेकिन अपने मन को गरीब बना लेना अवश्य अपराध है .
बात है हमारे काम करने की ताकत से ,अगर हम निट्ठले बेठे रहे तो केसे कोई गरीबी से आगे बढ़ेगा .
शेर भी अगर अपनी गुफा मे बेठे रहे तो भूखे मर जाएगा ,वो जंगल का राजा होता है पर फिर भी उसे शिकार करने को अपनी गुफा से बाहर जाना पड़ता है मेहनत करनी पड़ती है तब जा कर उसे शिकार मिलता है .

जीवन मे बस संगर्ष चाहए ,केवल जज्बा चाहए क्यूंकि रंग रूप के कारण कोई व्यक्ति आगे नहीं बढ़ता .
आदमी के कर्म पुरुषार्थ मेहनत ही उसे आगे बढाती है .

हो सकता है आज आप केवल नौकरी कर रहे हो .
रिलायंस कंपनी के मालिक धीरू भाई अम्बानी भी कभी नोकरी ही करते थे ,लेकिन उन्होंने अपनी जिन्दगी को नोकरी तक सिमटने न् दिया .
अगर आप पढ़े लिखे इंसान है ,तो हम कहना चाहेंगे ,अपने घर को गरीब मत रहने दो .नई कामयाबियो को हासिल करो ,नई सफलताओ को हासिल करो और वो सब संभव है आपकी मेहनत पर .

" जो चले सो चरे " जो चलेगा सो चरेगा ,जो बेठा रहेगा भूखा मरेगा .
जो चलता रहेगा वो कही न कही अवश्य पहुचेगा .
करते रहो, करते रहो, करते रहो मेहनत....
सच्चाई तो यह है की रस्सी भी लगातार पत्थर पर चलती रहेगी तो ,पत्थर पत्थर ना रहेगा पत्थर भी घिस जायेगा वह भी गोल होकर शिव लिंग हो जाएगा .

तो मुन्ना भाई लगे रहो लगन से .
निरंतर अभ्यास से कठिन से कठिन वस्तु भी सहज सरल बन जाती है :)  .मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

Sunday, 28 June 2015

खोले किस्मत के ताले पार्ट -1

आज हर व्यक्ति इस कोशिश मे लगा हुआ है की वह अपने जीवन मे सफलता की ऊंचाइयो को छुए और ऐसा करने के लिए हर कोई परिश्रम भी करता है लेकिन कोई एक चीज ऐसे होती है जो बार बार रोड़ा अटका देती है .
वह चीज है इंसान की अपनी किस्मत हम सब यही मानते है न ..
तो उसी किस्मत के ताले को खोलने के लिए और जीवन को बेहतर बनाने के लिए कुछ बाते है और ये सारी बाते एक दूसरी से जुडी हुयी है कुछ पार्ट्स मे है तो सोचा इन्हें जोड़े रखने के लिए इन्हें एक एक पार्ट मे हम देखते जाए...
तो शुरू करते है आज है अपना पार्ट -1...........
                            TRY AND TRY ONE DAY YOU WILL TOUCH THE SKY.


तू जिन्दा है तो जिन्दगी की जीत पर यकीन कर ,
                                                    अगर कही है स्वर्ग तो उतार ला जमीं पर.

दुनिया मे हर व्यक्ति का यह सपना होता है की वाह सफलता की आसमानी ऊंचाइयो को छू ले .
सपना देखना अच्छी बात है , पर उन सपनो को पूरा करने के लिए लग जाना सफलता की असली बुनियाद है .
इंसान को अपनी सफलता के लिए जिस चीज की सबसे पहले जरुरत है वह है --विजय का विश्वास ,जीत का जज्बा .
मे अपनी सफलता के लिए सौ मे से पूरी सौ प्रतिशत ताकत जोंक दूँगा ,जीत का यह मनोबल ही इंसान की सफलता की आधार शीला है .
माना की मिटटी को जन्म देना कुदरत का काम है ,लेकिन मिटटी मे से रौशनी पैदा करने  वाले दियो का निर्माण कर लेना इंसान की सफलता की कहानी है .
इंसान को इंसान का शरीर देना प्रकृति का काम है ,लेकिन इंसान का शरीर मिलने के बाद जीवन को आसमान जेसी ऊंचाईयां देना स्वयं इंसान के पुरुषार्थ का परिणाम है .
क से करोड़पति होता है और क से ही कर्म फूटा ...ये तो आपके हाथ मे है की आप केसे मेहनत करते है और मेहनत करके करोड़पति बनते है या ऐसे काम करते है की किस्मत पे ताला लगा देते है .

जिन लोगो के भीतर आगे बढ़ने का जज्बा होताहै ,वे तब तक विश्राम नहीं कर लेते जब तक उन्हें उनकी मंजिल हासिल ना हो जाए .
कई लोग ऐसे होते है जो गरीब घर मे पैदा हुए फिर भी ऊंचाईयों को हासिल कर लेते है और कई लोग ऐसे भी है जो आमिर घरों मे पैदा हुए ,लेकिन आगे चल कर अपने कर्मो की वजह से फटेहाल जिन्दगी बिताने को मजबूर हो जाते है .
पर गरीब घर मे पैदा हुआ बच्चा अमीर बन गया तो ये उसकी सफलता की कहानी हुई .
एक चार्टेड अकाउन्टेंट का बेटा सीए बन गया तो बड़ी बात ना हुई क्यूंकि जन्म से ही उसने ऐसे परिस्थितिय देखी है लेकिन जो बच्चा अनपढ़ माँ बाप के घर मे पैदा हो कर भी सीए एमबीए कर लेता है तो ये कहलाती है इंसान की कामयाबी की इबारत .

इंसान को जीवन मे सफलता की ऊंचाईयों को हासिल करना चाहए और जब तक कोई व्यक्ति सफलताओ को न् पा सके ,ऊँचे शिखर को ना छू पाया तो याद रखियेगा की गुनगुना पानी कभी भाप नहीं बनता .
भाप बनने के लिए पानी को सौ डिग्री तक उबलना पड़ता है .
वही व्यक्ति सफल होता है जो अपनी सौ की सौ प्रतिशत ताकत ,अपने पुरुषार्थ अपने संगर्ष को झोंक देता है ,वही व्यक्ति सफल होता है .
जो इंसान जितनी मेहनत करेगा उतने का उतना नतीजा सामने आएगा :)

हम मेहनत मे कमी करेंगे तो नतीजे मे भी कमी ही मिलेगी ...और अगर मेहनत पूरी की है तो नतीजा भी पूरा मिलेगा आपको ..
क्यूंकि कुदरत कभी किसी के साथ धोखा नहीं करती  :) .मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

Saturday, 27 June 2015

एक ब्रेक तो बनता है

कभी कभी कविताएं  भी पढ़ लेनी चाहए ..
कुछ कवियों ने तो इतना उम्दा लिखा होता है की बस दिल खुश हो जाता है ..
उनमे से ही एक कविता जो अपने को बड़ी पसंद है आज आपके साथ भी शेयर करने का मन करा
जब अच्छी अच्छी फील आती है तो सबको आये सब का मन खुश हो ...
तो जी हाजिर है ये कविता ...
माफ़ी चाहेंगे हम कवि का नाम भूल गए ....मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

---दीवानों की हस्ती ---
हम दीवानों की क्या हस्ती 
है आज यहाँ ,कल वहा चले 
मस्ती का आलम साथ चला 
हम धुल उड़ाते जहा चले .

आये बनकर उल्लास अभी 
आंसू बनकर बह चले अभी 
सब कहते ही रह गए अरे 
तुम केसे आये ,कहा चले .

किस और चले  ? यह मत पूछो 
चलना है बस इसलिए चले 
जग से उसका कुछ लिए चले 
जग को अपना कुछ दिए चले .

दो बात कही दो बात सुनी 
कुछ हँसे और फिर कुछ रोये 
छक कर सुख दुःख के गुंट को 
हम एक भाव से पिए चले 

हम भिखमंगो की दुनिया मे 
स्वछन्द लुटा कर प्यार चले 
हम एक निशानी सी उर पर 
ले सबका प्यार चले 

अब अपना और पराया क्या 
आबाद रहे रुकने वाले 
हम स्वयं बंधे थे और स्वयं 
हम अपने बंधन तोड़ चले .

संगीत और हम

हम सब को गाने सुनने का बड़ा शोक होता है चाहे वो कोई भी क्यों न हो दादा दादी मम्मी पापा बच्चे सब लोग संगीत से एक खास किस्म का जुडाव रखते है .
शायद ही कोई ऐसा होगा जिसे संगीत से लगाव न हो .
हर उम्र के व्यक्ति को गाने सुनना पसंद होता है दादा दादी अपने ज़माने के पुराने गाने पसंद करते हो या फिर भगवान के भजन उन्हें आनंद देते हो पर पसंद तो होते है .
आज कल के छोटे बच्चे  कह लो या यूथ कह लीजिए सब लोग यो यो हनी सिंह को सुनना पसंद करते है :)
वही कुछ लवर टाइप के यूथ को सोफ्ट सोंग्स रोमांटिक सोंग्स पसंद होते है .
हमारे कहने का तात्पर्य है की सब केसे न केसे कर के संगीत से जुड़े तो होते ही है .

और इन्ही गानों मे से कुछ ऐसे भी गाने होते है जो आपके जीवन मे एक नई जान डालने की ताकत रखते है उनके शब्द ऐसे होते है जो एक अलग ही उर्जा से भरे होते है .
जब हम कभी जीवन मे निराश हो जाए या उदास हो जाए तो अक्सर  सब सेड सोंग सुनने बेठ जाते है .
एक तो हम पहले से दुखी होते है और जब ऐसे ही  दुखी गानों को सुनते है तो दिमाग काम करना बंद ही कर देता है तो जी  सेड सोंग कम सुनिए और कुछ उत्साह वाले गाने सुनिए मूड भी अच्छा हो जायेगा और नया जोश भरेगा वो अलग  .

इसलिए जब भी दिल उदास हो थोडा सा हताश हो निराश हो तब अगर आपको लगे तो ये गाना जरुर सुनियेगा  एक फिल्म आई "लिंगा" रजनीकांत साहब की ...
उसका एक गाना है बड़ा ही प्यारा और शानदार सुन के मजा आ जाए फिर से आप उत्साह से भर जाए ऐसा लिखा है लिखने वाले ने...

 दिन डूबा है रात हुयी 

 पर दिन फिर निकलेगा 
 दिल थोडा ना करना 
 अँधेरा भी पिग्लेगा पिगलेगा
 छुप जाए जब तारे 
 चाँद भी आँख चुरा ले तो 
 तू यूँ ही चलते रहना 
.बंजारे बंजारे बंजारे 
..ओ बंजारे बंजारे 

 सुबह से मिलने को 

 रात भर गर चलना पड़े 
 ओ राही रुकना नहीं 
 सुबह दूर नहीं 

 रुकना नहीं थकना नहीं दर्द से तू डरना नहीं 

दर्द सदा रहते नहीं रहते नहीं रे 
 जुल्म से जो रुक जाए 
मिटटी मे छुप जाए 
   वो दरिया बहते नहीं रे 
 जब रात का पर्दा हट जाएगा  
 आकाश चीर के सुबह होगी रे ....


इस गाने को सुन के तो एक जबरदस्त उर्जा मिल जाती है .
कभी अपने गानों के बीच ऐसे गानों के लिए भी वक्त निकालिए मजा आ जायेगा यकीं मानिए ....मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

Friday, 26 June 2015

कड़ी मेहनत

बस एक लाइन याद रखने का --कभी मेहनत से जी न चुराए।
जो मेहनत नहीं करना चाहते उन्हें निम्न दर्जे का जीवन जीने के लिल्ये तैयार रहना चाहए।
 ये सब जानते है की भगवान ने हमें आलस्य की जिन्दगी जीने के लिए मनुष्य नहीं बनाया है।
आलस्य हमारा दुश्मन है। .... हम अगर सफल होने मे कही चूक रहे है तो उसकी कही न् कही वजह हमारा आलस्य है।
हमारी बुरी आदते है आलस्य के कारण हर काम को कल पर डालने की आदते।
एक ऐसी आदत जिसमे कल कभी नहीं आता और न हमारा आलस्य जाता है पर स्वाभाव वश हम बस आलस्य के आधीन हुए जा रहे है और यही वजह रहती है की कार्य कभी समय पर पुरे हो नहीं पाते ।

जब जीवन है तो कुछ करे और कुछ ऐसा करे की जो हमें कुछ बनाये कुछ ऐसा बनाये जिस पर की हमें स्वयं भी गर्व हो और समाज को भी।
इसलिए कभी किसी काम को छोटा ना समजे और ना ही उसे कल पर डाले।
आज के काम आज ही निपटाए।
एक और महत्वपूर्ण बात ये भी की अपने कार्य के लिए दूसरों पर निर्भर ना रहे तो ही ज्यादा बेहतर।
स्वयं के कार्य स्वयं ही करने होते है।
                         
                             " जिन्दगी तो अपने ही कदमो पे चलती है दोस्त 
                                    औरो के सहारे तो जनाजे उठा करते है "

कड़ी मेहनत मे विश्वाश रखे।
अगर हमें कुछ बनना है कुछ हासिल करना है तो हर व्यक्ति हर रोज 12 घंटे अवश्य मेहनत करे चाहे वो दिन के हो या रात के पर मेहनत अवश्य करे।
बात चाहे विध्यार्थी की हो या व्यवसाई की या पारिवारिक मेहनत अपना रंग अवश्य लाती है।
यह व्यक्ति को सफल अवश्य बनाती है

आत्म निर्भरता के छोटे छोटे काम शुरू कर दो इस बात को मन से निकाल दो की लोग क्या कहेंगे।
लोगो का तो काम ही है कहना आप कुछ नहीं करोगे भी तब भी लोग हजार बाते करेंगे और आप करोगे तब भी लोग हजार बाते करेंगे।
आज कल के लोग तो भगवान से भी दुखी रहते है हम तो फिर भी इंसान है यार।
इसलिए आप बस अपने काम पे ध्यान दे।
आज के युग मे लोग समृधि की इज्जत करते है।

आप अपने काम को करिये अपना बेस्ट दीजिए और अपना चरित्र ऐसा बनाइये की ऐसा मंजा हुआ आपका चरित्र हो की लोग अगर आपके बारे मे कुछ कहे भी तो कोई माने न।

कड़ी मेहनत करिये और हर उस चीज को पाइए जिसकी आपने कभी तमन्ना की हो ।

विध्यार्थी अपने मन मे एक बात गाँठ बाँध के मेहनत करो की सरस्वती माता कभी किसी का उधार नहीं रखती
अगर आप कड़ी मेहनत पुरे मन से करेंगे तो आपको फल जरुर मिलना है। :) .
मोनु एस जैन (MONU S JAIN )