जिन्दगी मे यदि कामयाबी हासिल करनी है तो ,हम मे से हर व्यक्ति सबसे पहले अपनी और से यह प्रयास करे की वह अपनी इच्छा शक्ति ,संकल्प शक्ति और मनोबल को मजबूत बनाये .
जिस व्यक्ति की इच्छा शक्ति कमजोर हो गई है वह हार ही जाता है .
कहावत भी है -मन के जीते जीत है,मन के हारे हार .
आदमी ने अगर यह सोच लिया की मे यह काम नहीं कर सकता तो वाह उसे नहीं कर पायेगा .
और उसने यदि यह सोच लिया की मे यह काम कर लूँगा तो वह उस काम को जरुर कर लेगा .यह तो हम मे से प्रत्येक व्यक्ति की मानसिकता पर निर्भर करता है .
स्वयं के संगर्शो और कोशिशो मे ही कामयाबी छिपी रहती है .दुनिया मे ऐसा कोनसा व्यक्ति है जिसने श्रम नहीं किया हो और उसे सफलता हासिल हो गई हो ..?
हर किसी को मुसीबतों की खाइयो को पाटना पड़ता है बाधाओ की चट्टानों को पार्कारना ही पड़ता है .
सफलताए न तो किसी अवतार की तरह आकाश से प्रकट हुआ करती है ना ही कीसी अलादीन के चिराग की तरह जमीं फाड़ के निकलती है .
कामयाबी तो व्यक्ति के अपने नजरिये का परिणाम हुआ करती है .
प्रत्येक व्यक्ति को जोखिम उठानी होगी ,खतरों का सामना करना होगा ...जो व्यक्ति जिन्दगी के जंगल को पार करना चाहता है उसे इस जंगल की राह मे आने वाले हर अवरोध का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा .
हर कामयाबी के पीछे नाकामयाबी का शिला लेख छिपा रहता है .
कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं जिसे कदम उठाते ही सफलता मिल जाए .
जो लोग पुरुषार्थ करने से डरते है वही लोग असफल होने पर अपने हाथ की रेखाए दिखाते फिरते है ..मन और संकल्प को मजबूत रखने वाले लोग ,महज अपने अतीत की भाग्य रेखाओ पर विशवास नहीं करते बल्कि अपनी नई भाग्य रेखाओ का निर्माण करना भी जानते है .
टाटा बिडला कोई आसमान से टपके हुए व्यक्ति नहीं है वरन वे भी हमारी तरह ही छार हड्डियों के ही इंसान है .
वे भी वही रोटी खाते है जो हम खाते है ..उनके पास भी वही दिमाग है जो हमारे पास है .
बस थोडा सा टेक्निक का फर्क है ...
जो सफल होते है और जो असफल होते है उनमे बहुत बड़ा फर्क नहीं हुआ करता .
केवल एक प्रतिशत जितना ही फर्क हुआ करता है .....
कुछ उसूलों का ,कुछ नजरियों का ,कुछ सोच का ,कुछ उत्साह और हौंसले का ही फर्क होता है .
अपने मन को मजबूत कीजिये ..स्वयं को हार हुआ मत समजिये..
हारना कोई बुरी बात नहीं होती ..प्रतिस्पर्धा मे चार दौड़ते है जिनमे तीन हारते है और एक जीतता है .
तीन अगर फिर प्रयास करे तो तीन मे से दो हारेंगे और एक जीतेगा और दो फिर प्रयास करे तो एक जीतता है और एक हारता है ....इसके बाद भी हार हुआ व्यक्ति अगर प्रयास करता है तो दुनिया हारेगी और वह जीतेगा ये होती है मन को मजबूत करने की ताकत .
सब बाते हमारें मनोबल पर निर्भर करता है ,हमारी इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है की कामयाब होंगे या नाकामयाब .
हम इच्छा शक्ति जगाए ,अपने मन को कमजोर और कायर न् होने दे .
विश्वास करना है तो अपने आप पर विशवास करना सीखे .
जिन्दगी मे चाहे जितनी नाकामयाबी मिले तब भी ,निन्यानवे रास्ते बंद हो जाने पर भी एक अवश्य खुला रहता है .
व्यक्ति का जन्म बाद मे होता है जबकि प्रकति की और से जीवन की व्यवस्थाए पहले से ही होनी शुरू हो जाती है .
बच्चे का जन्म बाद मे होता है माँ का आँचल बच्चे के जन्म के पहले ही दूध से भर जाया करता है .
जब तक आप असमर्थ हो आपकी व्यवस्था कुदरत करती है किन्तु जिस दिन आप अपने पांवो पर खड़े हो जाते हो उस दिन से यह व्यवस्था आपको करनी होती है .
उसके बाद आप स्वयं अपने जीवन के मालिक बन जाते हो व्यवस्थापक बन जाते हो .
बस आप अपनी इच्छा शक्ति जागो और अपने संकल्प को मजबूत करो और वो सब हासिल कर लो जिसे आप पान चाहते हो .
.मोनु एस जैन (MONU S JAIN )
जिस व्यक्ति की इच्छा शक्ति कमजोर हो गई है वह हार ही जाता है .
कहावत भी है -मन के जीते जीत है,मन के हारे हार .
आदमी ने अगर यह सोच लिया की मे यह काम नहीं कर सकता तो वाह उसे नहीं कर पायेगा .
और उसने यदि यह सोच लिया की मे यह काम कर लूँगा तो वह उस काम को जरुर कर लेगा .यह तो हम मे से प्रत्येक व्यक्ति की मानसिकता पर निर्भर करता है .
स्वयं के संगर्शो और कोशिशो मे ही कामयाबी छिपी रहती है .दुनिया मे ऐसा कोनसा व्यक्ति है जिसने श्रम नहीं किया हो और उसे सफलता हासिल हो गई हो ..?
हर किसी को मुसीबतों की खाइयो को पाटना पड़ता है बाधाओ की चट्टानों को पार्कारना ही पड़ता है .
सफलताए न तो किसी अवतार की तरह आकाश से प्रकट हुआ करती है ना ही कीसी अलादीन के चिराग की तरह जमीं फाड़ के निकलती है .
कामयाबी तो व्यक्ति के अपने नजरिये का परिणाम हुआ करती है .
प्रत्येक व्यक्ति को जोखिम उठानी होगी ,खतरों का सामना करना होगा ...जो व्यक्ति जिन्दगी के जंगल को पार करना चाहता है उसे इस जंगल की राह मे आने वाले हर अवरोध का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा .
हर कामयाबी के पीछे नाकामयाबी का शिला लेख छिपा रहता है .
कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं जिसे कदम उठाते ही सफलता मिल जाए .
जो लोग पुरुषार्थ करने से डरते है वही लोग असफल होने पर अपने हाथ की रेखाए दिखाते फिरते है ..मन और संकल्प को मजबूत रखने वाले लोग ,महज अपने अतीत की भाग्य रेखाओ पर विशवास नहीं करते बल्कि अपनी नई भाग्य रेखाओ का निर्माण करना भी जानते है .
टाटा बिडला कोई आसमान से टपके हुए व्यक्ति नहीं है वरन वे भी हमारी तरह ही छार हड्डियों के ही इंसान है .
वे भी वही रोटी खाते है जो हम खाते है ..उनके पास भी वही दिमाग है जो हमारे पास है .
बस थोडा सा टेक्निक का फर्क है ...
जो सफल होते है और जो असफल होते है उनमे बहुत बड़ा फर्क नहीं हुआ करता .
केवल एक प्रतिशत जितना ही फर्क हुआ करता है .....
कुछ उसूलों का ,कुछ नजरियों का ,कुछ सोच का ,कुछ उत्साह और हौंसले का ही फर्क होता है .
अपने मन को मजबूत कीजिये ..स्वयं को हार हुआ मत समजिये..
हारना कोई बुरी बात नहीं होती ..प्रतिस्पर्धा मे चार दौड़ते है जिनमे तीन हारते है और एक जीतता है .
तीन अगर फिर प्रयास करे तो तीन मे से दो हारेंगे और एक जीतेगा और दो फिर प्रयास करे तो एक जीतता है और एक हारता है ....इसके बाद भी हार हुआ व्यक्ति अगर प्रयास करता है तो दुनिया हारेगी और वह जीतेगा ये होती है मन को मजबूत करने की ताकत .
सब बाते हमारें मनोबल पर निर्भर करता है ,हमारी इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है की कामयाब होंगे या नाकामयाब .
हम इच्छा शक्ति जगाए ,अपने मन को कमजोर और कायर न् होने दे .
विश्वास करना है तो अपने आप पर विशवास करना सीखे .
जिन्दगी मे चाहे जितनी नाकामयाबी मिले तब भी ,निन्यानवे रास्ते बंद हो जाने पर भी एक अवश्य खुला रहता है .
व्यक्ति का जन्म बाद मे होता है जबकि प्रकति की और से जीवन की व्यवस्थाए पहले से ही होनी शुरू हो जाती है .
बच्चे का जन्म बाद मे होता है माँ का आँचल बच्चे के जन्म के पहले ही दूध से भर जाया करता है .
जब तक आप असमर्थ हो आपकी व्यवस्था कुदरत करती है किन्तु जिस दिन आप अपने पांवो पर खड़े हो जाते हो उस दिन से यह व्यवस्था आपको करनी होती है .
उसके बाद आप स्वयं अपने जीवन के मालिक बन जाते हो व्यवस्थापक बन जाते हो .
बस आप अपनी इच्छा शक्ति जागो और अपने संकल्प को मजबूत करो और वो सब हासिल कर लो जिसे आप पान चाहते हो .
.मोनु एस जैन (MONU S JAIN )
thankas,
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