Tuesday, 30 June 2015

धीरे धीरे चलने

कुछ पंक्तिया सी याद आई अब वो कहानी थी कविता थी या गाने की थी पर जो भी थी बड़ी खूबसूरत याद आई बड़ी उत्साह वर्धक--.मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

..
धीरे धीरे चलने वाले 
दूर है तेरा नगर 
ऐसे केसे खत्म होगा 
ये तेरा लंबा सफर ..?
दूर हो जिनकी डगर 
वो इस तरह चलते नहीं 
इस तरह चलते नहीं ....
बन के तूफा चलते है 
जो बाँध लेते है कफ़न .
धीरे धीरे चलने वाले ...

देख उड़ते पंछियों को 
केसे भागे जा रहे 
केसे भागे जा रहे... 
क्यों रुके वो उमके मन मे 
आशियाने की फिकर .
धीरे धीरे चलने वाले 
दूर है तेरा नगर ..

बढ़ता चल तू चलता चल 
की रूकने न पाए कदम 
रूकने ना पाए कदम ...
वीर सो लेना ठिकाने 
पर तू जा कर बेखबर .


धीरे धीरे चलने वाले दूर है 
तेरा नगर 
ऐसे केसे खत्म होगा ये 
तेरा लंबा सफर ..?
दूर हो जिनका नगर वो 
इस तरह चलते नहीं 
इस तरह चलते नहीं ..
बन के तूफा चलते है 
जो बाँध लेते है कफ़न .

आपका खाता

आपका बैंक खाता होगा .
वह तभी अच्छा लगता होगा जब उसमे कुछ धन शेष हो  मतलब कुछ मनी हो उसमे .
इसी प्रकार का एक अपना निजी खाता भी खोल लीजिए ...लेकिन यह खाता तभी अच्छा लगेगा जब उसमे कुछ पोसिटिव बातो का शेष हो .
अपनी उन्नति के लिए परीक्षा मे सफलता के लिए हर प्रतियोगिता मे जीत के लिए खुशियों के लिए इस खाते मे कुछ बातो को जमा कीजिये ...जेसे --

-अच्छी सोच 
-सही सोच 
-अच्छे मित्र 
-मीठी मीठी बाते 
-सदाबहार मुस्कान 
-प्रेरणादायक बाते 
-क्षमाशीलता
-धैर्य 
-परिश्रम वाली क्रियाए 
-सबसे प्रेम और अपनापन आदि ...

दूसरी और कुछ बातो को इस खाते से घटाते भी जाइए ...जेसे -

-धूम्रपान 
-शराब 
-ईर्ष्या 
-मोटापा 
-तनाव और चिंता 
-कुविचार 
-क्रोध 
-कुसंग 
-भय और व्यर्थ के कार्य .

अपना खाता स्वयं बनाइये ..अच्छाईयों का बैलेंस बढाइये एक दिन जीत जाओगे ..:) 
.मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

टाइम मेनेजमेंट जरुरी है

हर परीक्षा की तैयारी के लिए टाइम मेनेजमेंट बहुत जरुरी है .
अगर टाइम मेनेजमेंट होगा तो सब कुछ व्यवस्थित होगा ,अथवा वही चीजे बहुत बिखरी सी अव्यवस्थित हो जायेगी .
टाइम मेनेजमेंट एक प्रक्रिया है जिसकी सहायता से हम तय करते है की किसी विषय ,किसी टोपिक या किसी पुस्तक को पढ़ने के लिए हम कितना समय दे पायेंगे .
क्यूंकि यदि विषयों के मध्य समय का बंटवारा न किया गया तो , हो सकता है एक विषय हमारा आधे से भी अधिक समय खा जाए और बाकी आधे समय मे हमें शेष विषयों की तैयारी करनी पड़े .
हमारा समय सिमित है अतः हमें इसे बुद्धिमता पूर्वक खर्च करना होगा .

टाइम मेनेजमेंट भी एक विलक्षण मानवीय गुण है क्यूंकि हम सबके पास समय बराबर है अर्थात एक दिन मे 24 घंटे .
अब यह हमारे ऊपर निर्भर है की हम किस प्रकार अपने समय का उपयोग करके दूसरों से आगे निकल जाए क्यूंकि परिक्षाओ मे वही चयनित होगा जो पीछे रह जाएगा वह चूक जायेगा .
ध्यान रखना होगा की टाइम मेनेजमेंट न् तो एक दिन मे सीखने की चीज है और न् एक दिन का काम है .
यह तो सतत प्रक्रिया है जिसके लिए हमें आदत डालनी होगी .
"सब चलता है " का अपना जुमला छोडना होगा , तैयारी को मुख्या मुख्या मुद्दों तक सिमित रखना होगा ,पढाई को बेवजह फेलाने से बचना होगा ,अपने लक्ष्य पर हर समय नजर मे रखनी होगी ,तैयारी से तनाव और दबाव को दूर करना होगा तथा गेर जरुरी कामो से बचना होगा .

पढाई के साथ साथ आपको अन्य कार्य भी व्यवस्थित रखने है .
अतः टाइम मेनेजमेंट आज की सबसे बड़ी चुनोती है ..क्यूंकि यह आसान नहीं है ....सबसे बड़ा चतुर है .
पता ही नहीं चलता कब आपको झांसा देकर आगे बढ़ जाता है.
टाइम मेनेजमेंट की आदत डाल लोगे तो यह आपकी तैयारी को संतुलित रखेगा ,..आपके अनुशाशन को बढ़ाएगा और आपको सफलता की जितनी पढाई जरुरी है ,उतना ही उसका मेनेजमेंट भी जरुरी है .
.मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

सफलता का भाव रखो

हमारा दिमाग विचारों की फैक्ट्री है ..जेसा हम सोचते है वेसा परिणाम सामने आता है .
अच्छा सोचोगे तो अच्छा मिलेगा ,बुरा सोचोगे तो बुरा मिलेगा .
सफलता के बारे मे सोचने से ही सफलता मिलती है और असफलता के बारेमे सोचने से हार ही मिलती है .
जैसा कच्चा  माल डालोगे उसी के अनुसार तो पक्का माल निकलेगा .
जेसा खुद मे रिजर्व करोगे वेसा ही डिजर्व करोगे .

जब तक आपके अंदर सफलता का भाव पैदा नहीं होगा तब तक सफलता बहुत मुश्किल होगी .
जो व्यक्ति जिस वस्तु  को जिस भाव से ग्रहण करता है ,उसे वह उसी भाव से प्राप्त होती है.
वैसे तो संयम,ज्ञान और श्रद्धा को जीव का सबसे बड़ा धन माना गया है ...लेकिन उस से भी बड़ा धन "भाव" को माना गया है ...:) .मोनु एस जैन (MONU S JAIN )
कहते है सफलता का भी अपना कानून होता है ..जेसे -
\
IF YOU THINK YOU ARE BEATEN, YOU ARE.
IF YOU THINK YOU DARE NOT, YOU DO NOT.
IF YOU LIKE TO WIN, BUT YOU THINK YOU CAN NOT..
IT IS ALMOST CERTAIN YOU WOULD NOT.
IF YOU THINK YOU WILL LOSE, YOU HAVE LOST.
FOR OUT OF THE WORLD WE FIND
SUCCESS BEGINS WITH A FELLOW'S WILL.
SOONER OR LATER THE MAN WHO WINS.
IS THE MAN WHO THINK ,HE CAN.

आप परीक्षा की तैयारी कर रहे हो तो अपने अंदर के भाव को जगाओ.
यदि अंदर का भाव जग गया तो हर परीक्षा मे जीवन के हर इम्तेहान मे सफलता निश्चित है.
आप तभी तक सफल माने जाओगे जब तक आपके अंदर सफलता का भाव रहेगा .
अतः जीवन मे सफल होने के लिए अपनी श्रधा ,अपनी भावना और दृढ़ता को बनाये रखो .

धैर्य जरुरी है

आपने रहीम दास जी का ये दोहा पढ़ा होगा -
"रहिमन धीरे रे मना ,धीरे सब कुछ होय ,
माली सींचे सौ घड़ा ,ऋतू आये फल होय "

सफल होने के लिए आपमें धैर्य का गुण होना बहुत जरुरी है .
सफल होने के लिए और किसी प्रतियोगी परीक्षा मे चयन होने मे समय लग सकता है .
और अगर आप आईएस जेसी परीक्षा की तैयारी मे लगे है तो कई साल भी लग जाते है .
अतः धेर्य रखने की जरुरत है .आपके प्रयास चलते रहने चाहए .
अभी आपने परीक्षा की तैयारी शुरू की है तो इस क्षेत्र मे आप एक प्रकार से नए परिंदे हो ,अतः आपको उड़ने मे वक्त तो लगेगा .
कोशिश करने का मतलब ही यह है की आहिस्ता आहिस्ता कछुए की चाल से , गंभीरता से सब कुछ समजते हुए तैयारी मे लगे रहो .
उतावलेपन से आज तक किसी को सफलता नहीं मिली है .
एक छोटा सा बीज भी मौसम अनुकूल होने पर या समय आने पर ही अंकुरित होता है  अतः कोशिश करना एक दिन का काम नहीं है .
धैर्य के साथ ,साहस के साथ,अपनी पूरी ताकत के साथ और गंभीरता के साथ की गई कोशिस ही कामयाब होती है .
हां यदि आप कड़ी मेहनत के द्वारा चाहे तो वक्त को कम कर सकते है .
फिर भी धैर्य तो रखना पड़ेगा ...और धैर्य रखिये आपको सफलता अवश्य मिलेगी .

सफलता तभी मिलती है जब मनुष्य उए पाना चाहता है ..
कहा भी गया है --जिन खोजा तीन पाईयां ,गहरे पानी ,पैठ.

जो चाहते हो वो सब मिलेगा धैर्य के साथ कोशिश करते रहिये असंभव तो कुछ भी नहीं :) .मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

थिंक डिफरेंट

आपको भीड़ मे से आगे निकलना है ..इसके लिए आपको दूसरों से अलग हट कर सोचना होगा .
कुछ नया तरीका सोचना होगा ,कोई नई स्टाइल विकसित करनी होगी .
आपके पास कुछ तो ऐसा हो जो आपको दूसरों से अलग करता हो ,आप स्वयं लाइन मे खड़े हुए हो फिर भी लाइन से अलग खड़े दिखाई दो .
एप्पल के संस्थापक स्टीव जोब्स की जीवनी आपने शायद पढ़ी हो ....?
वे कहते थे यदि जीतना है ,सफल होना है, तो अकेले ही चलना होगा क्यूंकि किसी के पीछे चलने से तो उसकी पग धुल ही आपके हिस्से मे आएगी .
भीड़ के साथ चलकर आज तक कोई करिश्मा नहीं कर सका है .
वे हमेशा कहते थे की किसी का इंतज़ार ना करो ....
कोई आपको जिताने नहीं आएगा .
आपको स्वयं जीतना होगा और आप वास्तव मे तभी जीतोगे जब आप दूसरों से हटकर सोचोगे .

स्टीव सर की बात मे दम तो है ...
आप प्रतियोगि परीक्षा मे शामिल होने जा रहे है तो कुछ तो आप मे दूसरों से अलग होना चाहए .
चाहे आपकी हैण्ड राईटिंग अच्छी हो ,चाहे आपका व्यक्तित्व ,चाहे आपका व्यव्हार ,चाहे आपका स्वाभाव पर कुछ तो अलग होना ही चाहए .
और जब कुछ अलग होगा तभी तो आप दूसरों से अलग हट कर सोचोगे .
लीक से हट कर चलो तभी आप अपने आपको साबित कर पाओगे , तभी आप अपने अंदर मे जो छुपी हुई है प्रतिभा को सामने ला पाओगे .
 कोशिश कीजिये ...कोशिश से सब कुछ संभव है :) .मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

जीवन की पॉवर फुल बाते ......

१-जीवन एक उत्सव है ,इसे प्रेम से मनाइए
   जीवन एक गीत है ,इसे जी भर गाइए .
   जीवन एक संगर्ष है ,जी -जान से सामना कीजिये 
    जीवन एक सपना है -इसे प्यार से साकार कीजिये .

२-जीवन मे अनुकूल और प्रतिकूल संयोग बनना तो ' पार्ट ऑफ लाइफ है '...पर प्रतिकूल संयोग बन जाने पर भी अपने आप को खुश और तनाव मुक्त रखना निश्चय ही " आर्ट ऑफ लाइफ " है .

३-जो ताला चाबी को एक और गुमाने से बंद होता है वही दूसरी और गुमाने से खुल भी जाता है हम अपने विचार ,वाणी और व्यव्हार को इस तरह घुमाए की किस्मत के बंद पड़े ताले फिर से खुल जाए .

४-रास्ते मे मंदिर मिल जाए और प्रार्थना न करे तब भी चल जाएगा ,पर रास्ते से गुजरते हुए कोई एम्बुलेंस मिल जाये तो उसे देख कर दुआ जरुर करे ..शायद आपकी दुआ से उसका जीवन बच जाए ..दुआओं मे बड़ी ताकत हुआ करती है :)

५-आपके पास कोई फैक्ट्री हो न् हो  पर ये तीन फैक्ट्री जरुर खोलिए --दिमाग मे आइस फैक्ट्री ,दिल मे लव्  फैक्ट्री ,और जुबान मे शुगर फैक्ट्री ....आपके जीवन की समृधि खुद ब खुद बढती जायेगी .

६-बडो के द्वारा दिया गया संकेत चोराहे की रेड लाइट है ,जो बुरा मानने के लिए नहीं बल्कि एक्सीडेंट रोकने के लिए है .

७-हम उस पानी जेसे बने जो आगे बढ़ने के लिए अपना रास्ता खुद बनाता है ...हम उस पत्थर जेसे ना बने जो दूसरों के आगे बढ़ने का रास्ता भी रोक लेता है .

८-जिन्दगी की जिस डगर पर आप खड़े है ,उसमे गीला शिकवा पालने की बजाय उसका आनंद लीजिए पाँव मे जूते नहीं है तो क्या हुआ ..सोचिये मै उनसे तो ज्यादा सुखी हू जिनके पाँव ही नहीं है .

९-आपकी प्रतिष्ठा आपके जीवन का खजाना है इसकी सुरक्षा के प्रति सावधान रहिये ..एक बार अगर यह खजाना हाथ से चला गया तो फिर इसे पाने मे वर्षों लग जायेंगे .

१०-गम मे कभी भी इतने मत डूबिये की लोग हमें देख कर अपनी खुशिया भूल बेठे ..हम तो वह खुशमिजाज इंसान बने  की लोग हमें देख कर अपना गम भूल बेठे .

११-कोई आपकी तारीफ़ करिये तो फुलिये मत क्यूंकि इसमें खासियत आपकी नहीं तारीफ़ करने वाले के नजरिये की है .

१२-कड़वे वचन मत बोलिए ..कड़वे बोलने वालो का शहद भी नहीं बिकता और मीठे बोलने वालो की मिर्ची भी बीक जाती है .

१३-जिन्हें सही ज्ञान है वे भरे गड़े की तरह शांत रहते है .जिन्हें आधा अधूरा ज्ञान है वे आधे घड़े की तरह ज्यादा छलकते है .

१४-अगर मुर्दे का जीवन जीना है तो भले ही सुस्त रहए पर सफल जीवन जीना है तो खुद को सक्रिय बनाओ  ..सक्रियता की सफलता की पहली सीढ़ी है .

१५-सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सोये मत रहिये ..क्यूंकि उस समय सोने वालो को लक्ष्मी छोड़ जाती है फिर  वह चाहे स्वयं भगवान विष्णु ही क्यूँ न हो ...:)  .मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

सफलता के सात कदम

1-केवल साँसों के चलने से जीवन नहीं चला करता ...जीवन के लिए शांति ,शक्ति और सफलता की मनोदशा भी जरुरी है .

2-लगातार टिक टिक करती घडी हमें इस बात के लिए आगाह कर रही है की जीवन का काँटा कही अटकने के लिए नहीं ,सफलता के रास्ते पर मनोयोगपूर्वक निरंतर श्रम और संगर्ष करने के लिए है .

3-जीवन मे बाधाओ की चाहे सड़क पार करनी हो या रेल की पटरी ,धेर्य और साहस का दामन कभी मत छोडिये .

4-समजदारी की देहलीज पर कदम रखते ही दिल मे लक्ष्य का चिराग जला लिया जाए तो इस से आप अपनी सात पीढ़ी के लिए रौशनी के कई रास्ते खोल सकते है .

5-हर बचपन का बुढ़ापा होता है और हर कार्य की मंजिल ..अपने उत्साह और उमंग को सदा अपनी आँखों मे बसाकर रखिये ताकि बुढ़ापा और मंजिल सदा तारो तजा रहे .

6-अपने मनोबल को पंगु होने से बचाइए ..आप शरीर मे अपंग  होकर भी अष्टावक्र की तरह सम्पूर्णता का सामर्थ्य अर्जित कर लेंगे .

7-जीवन मे प्रसन्नता का पेड लगाइए ..उसकी डाल पर चेह्चाने के लिए रंग बिरंगी चिड़िया और मिठास बढ़ाने के लिए खूबसूरत फल अपने आप आ जायेंगे ..:)  .मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

बेहतर जीवन के लिए बनाये सकारात्मक नजरिया

सफलताए नजरियों का ही तो परिणाम होती है .
जितना ऊँचा लक्ष्य ,उतनी अधिक सफलता .
अपनी सोच को विशाल रखो और अपने नजरिये को बेहतर बनाओ ...अपना आदर्श किसी अच्छे व्यक्ति को बनाओ .
वैसे हर इंसान की एक सहज प्रवृति होती है इर्ष्या की ...वह किसी और से नहीं तो अपने पडोसी से हो जलेगा के मेरा मकान एक मजिल का है और उसका तीन मंजिल का ...पर सोचिये इस टाइप की ईर्ष्या से आपको क्या हासिल होगा ..?
ज्यादा से ज्यादा यह की आप आपके मकान को उसके जेसा तीन मंजिल का बना लोगे बस .

"यदि ईर्ष्या करनी ही है तो किसी टाटा बिडला अम्बानी से करो ताकि तुम ऊँचे उठो तो दुनिया को पता  तो लगे :)
ईर्ष्या करनी जरुरी ही लगती है आपको तो महावीर,राम ,कृष्ण से करो ताकि यदि राम न भी बन पाओ तो कम से कम तुलसी तो बन ही जाओगे ,कृष्ण तक न पहुच पाए तो भी कबीर तक तो पहुच ही जाओगे ."

आदर्श ऊँचे रखे ..सफलताए ,असफलताओं से ही जन्म लेती है .गुलाब उगने से पहले दस दस कांटे उग आते है .
याद रखिये बिना चट्टानों को पार किये झरनों तक नहीं पहुंचा जा सकता .
बिना बाधाओं के सफलता नहीं मिलती .
लोग आलोचना करेंगे ,टिपण्णी करेंगे,चुनोती देंगे और चलते हुए को लंगडी देकर गिराएंगे भी ..तुम सोच लो तुम्हे क्या करना है ..........
सुननी सबकी है पर करनी अपने मन की है .
अपना खुद का फैसला आप खुद करे .
                                       
                                        हम है अपने भाग्य विधाता खुद अपना निर्माण करे .


जितना ऊँचा लक्ष्य ,उतनी ऊँची सफलता ..उतनी ही कड़ी मेहनत और वेसी ही कार्य पद्धति .
अगर आप शुरू से ही सकारत्मक नजरिया लेके चलते हो अगर आप शुरू से ही रेंक का मानस लेके चलते हो तो अवश्य ही रेंक प्राप्त करोगे .
फिर भी अगर प्रथम रेंक न पा सके ,तो प्रथम श्रेणी से तो आपको दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती .
आपको किस मुकाम पर पहुंचना है ,इसका निर्णय आप स्वयं करे .
व्यक्ति स्वयं का निर्णायक स्वयं बने .
हाथो की लकीरों को देखने दिखाने की बजाय अपने मेहनत अपनी बेहतर सोच से अपने हाथ की रेखाए खुद खींचो .
तुम ऐसा पुरुषार्थ करो की भाग्य स्वयं तुम्हारी हथेली पर बेहतर परिणाम लिख जाए ..:)
.मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

लक्ष्य बनाओ

जिन्दगी मे लक्ष्य होना जरुरी है चाहे आप किसी भी क्षेत्र से सम्बन्ध रखते हो चाहे विद्यार्थी चाहे व्यवसायी , पर लक्ष्य होना आवश्यक है सबके लिए .
और लक्ष्य हमेशा ऊँचा बड़ा रखे .
जितना ऊँचा लक्ष्य होगा ,उतना ही व्यक्ति मे ज्यादा उत्साह होगा .
जिसका जितना महानतम और सुदृढ़ लक्ष्य हुआ करता है उस व्यक्ति मे उतनी ही सघन उर्जा हुआ करती है .

जानवर अपना लक्ष्य नहीं बना सकते ...लक्ष्य तो मात्र इंसान ही बना सकते है .
जानवरों का काम तो जन्म लेना ,खाना ,बच्चे पैदा करना और मर जाना है ....काम तो हम लोग भी यही करते होंगे ,पर हम मनुष्य की संतान है .
कुदरत ने हमें कुछ विशिष्ट शक्तिया और क्षमता दी है ,जिनका हम सब को उपयोग करना चाहए .
जरा सोचना कभी हमारे जीने का मकसद क्या है ...?
क्या हम इसलिए जी रहे है की अभी तक मरे नहीं है ..?
अगर आप इसलिए जी रहे है की आप मरे नहीं है तो आप अब भी मरे हुए ही है .
अगर आप जीवन मे कुछ उपलब्ध करना चाहते है, चाहे हम मे से कोई अपाहिज ही क्यों न हो  ,तो भी प्रयास करो .
आपको सफलता अवश्य मिलेगी ..किसी न किसी मंजिल तक अवश्य पहुच जाओगे .

मकसद अर्थात लक्ष्य जरुरी है ..गोली चलाओ तो भी लक्ष्य होना चाहए ,तीर संधान के लिए भी लक्ष्य हो .
आप जानते होंगे की बच्चे मेग्निफाई लेन्स से खेला करते है ..हम भी जब छोटे थे तो उस से खेला करते थे .
चलो मेग्निफाई को भी छोड दे एक साधारण कांच लेकर धुप मे खड़े हो और सूरज की रौशनी कांच पर पड़े.
सूरज की रौशनी आप पर भी पड़ती है कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन उस मेग्निफाई लेन्स की रौशनी का झलका किसी आदमी पर गिरा दिया जाए तो वो कुछ सेकंड के अंदर काँप उठेगा .

ताकत है लक्ष्य मे ...उस मेग्निफाई लेन्स से हम यह कहना चाहते की हर आदमी के जीने का मकसद ,लक्ष्य अथवा एक केंद्र बिंदु अवश्य होना चाहए .
आप पायेंगे की जिस व्यक्ति का लक्ष्य निर्धारित होता है वह चाहे जिधर जाए उसका लक्ष्य सदेव उसकी आँखों मे समाया रहता है .
वह हर कार्य करता  हुआ भी अपने लक्ष्य अथवा अपनी कामयाबी के निकट पहुचता जाता है .

आप जब लक्ष्य बना लो तो केवल लक्ष्य बना कर मत बेठ जाओ .
उस लक्ष्य को पूरा करने की प्लानिंग भी तैयार करो की मे इस लक्ष्य को केसे प्राप्त करू ?
कार्य करने की तकनीक सीखो .
अपने से ये बात निकाल दो की आप को सब आता है .
हर व्यक्ति को किसी भी रास्ते पर कदम बढ़ाने से पहले होमवर्क अवश्य  कर लेना चाहए .
किसी भी मकान को बनाने से पहले आर्किटेक्ट उसका नक्शा पहले बनाता है .
इसलिए लक्ष्य ऊँचा बनाओ और लक्ष्य को पाने के लिए पूरी प्लानिंग भी करो .
और उस प्लानिंग को पूरा करने के लिए जीवन को व्यवस्थित करिये .

एक बार जीने का तरीका फिर से सीखा जाए ..केवल पैसा कमा लेने या खाने मे रोज बादाम की कतली खाने का सौभाग्य प्राप्त करना ही जीवन नहीं है .
जीवन जीने का कोई मकसद अवश्य हो ,जीने की कोई परिणिति भी हो .
माना की पैसा बहुत कुछ होता है पर वह सब कुछ नहीं होता ..पैसे के अलावा भी जीवन मे करने के लिए बहुत कुछ है .

यह बात अपने दिमाग मे हमें घोट घोट कर उतार लेनी चाहए की दुनिया मे मुफ्त मे किसी को कुछ नहीं मिलता ...जब तक आदमी मेहनत नहीं करेगा तब तक उसे कुछ नहीं मिलेगा .
आप जिस चीज को पाना चाहते है उसे पाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी तब जा कर कुछ हासिल होगा .

अगर आप स्टूडेंट है तो पढ़ने के लिए कड़ी मेहनत करो रात दिन लगे रहो निरंतर अभ्यास करते रहो .
अगर आप व्यवसायी है तो व्यापर के लिए कड़ी मेहनत करिये .
कही सर्विस करते है तो वहा कड़ी मेहनत कर के अपना स्थान बनाइये .
चींटी मात्र एक कण के लिए कितनी मेहनत करती है .
एक चिड़िया अपना घोंसला बनाने के लिए तिनके तिनके को जोड़ कर मेहनत करती रहती है .
बस सफलता का एक यही सबसे बड़ा सूत्र है कड़ी मेहनत :) .मोनु एस जैन (MONU S JAIN )



Monday, 29 June 2015

संकल्प शक्ति मजबूत करिये

जिन्दगी मे यदि कामयाबी हासिल करनी है तो ,हम मे से हर व्यक्ति सबसे पहले अपनी और से यह प्रयास करे की वह अपनी इच्छा शक्ति ,संकल्प शक्ति और मनोबल को मजबूत बनाये .
जिस व्यक्ति की इच्छा शक्ति कमजोर हो गई है वह हार ही जाता है .
कहावत भी है -मन के जीते जीत है,मन के हारे हार .

आदमी ने अगर यह सोच लिया की मे यह काम नहीं कर सकता तो वाह उसे नहीं कर पायेगा .
और उसने यदि यह सोच लिया की मे यह काम कर लूँगा तो वह उस काम को जरुर कर लेगा .यह तो हम मे से प्रत्येक व्यक्ति की मानसिकता पर निर्भर करता है .
स्वयं के संगर्शो और कोशिशो मे ही कामयाबी छिपी रहती है .दुनिया मे ऐसा कोनसा व्यक्ति है जिसने श्रम नहीं किया हो और उसे सफलता हासिल हो गई हो ..?
हर किसी को मुसीबतों की खाइयो को पाटना पड़ता है बाधाओ की चट्टानों को पार्कारना ही पड़ता है .

सफलताए न तो किसी अवतार की तरह आकाश से प्रकट हुआ करती है ना ही कीसी अलादीन के चिराग की तरह जमीं फाड़ के निकलती है .
कामयाबी तो व्यक्ति के अपने नजरिये का परिणाम हुआ करती है .
प्रत्येक व्यक्ति को जोखिम उठानी होगी ,खतरों का सामना करना होगा ...जो व्यक्ति जिन्दगी के जंगल को पार करना चाहता है उसे इस जंगल की राह मे आने वाले हर अवरोध का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा .
हर कामयाबी के पीछे नाकामयाबी का शिला लेख छिपा रहता है .
कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं जिसे कदम उठाते ही सफलता मिल जाए .

जो लोग पुरुषार्थ करने से डरते है  वही लोग असफल होने पर अपने हाथ की रेखाए दिखाते फिरते है ..मन और संकल्प को मजबूत रखने वाले लोग ,महज अपने अतीत की भाग्य रेखाओ पर विशवास नहीं करते बल्कि अपनी नई भाग्य रेखाओ का निर्माण करना भी जानते है .

टाटा बिडला कोई आसमान से टपके हुए व्यक्ति नहीं है वरन वे भी हमारी तरह ही छार हड्डियों के ही इंसान है .
वे भी वही रोटी खाते है जो हम खाते है ..उनके पास भी वही दिमाग है जो हमारे पास है .
बस थोडा सा टेक्निक का फर्क है ...
जो सफल होते है और जो असफल होते है उनमे बहुत बड़ा फर्क नहीं हुआ करता .
केवल एक प्रतिशत जितना ही फर्क हुआ करता है .....
कुछ उसूलों का ,कुछ नजरियों का ,कुछ सोच का ,कुछ उत्साह और हौंसले का ही फर्क होता है .

अपने मन को मजबूत कीजिये ..स्वयं को हार हुआ मत समजिये..
हारना कोई बुरी बात नहीं होती ..प्रतिस्पर्धा मे चार दौड़ते है जिनमे तीन हारते है और एक जीतता है .
तीन अगर फिर प्रयास करे तो तीन मे से दो हारेंगे और एक जीतेगा और दो फिर प्रयास करे तो एक जीतता है और  एक हारता है ....इसके बाद भी हार हुआ व्यक्ति अगर प्रयास करता है तो दुनिया हारेगी और वह जीतेगा ये होती है मन को मजबूत करने की ताकत .

सब बाते हमारें मनोबल पर निर्भर करता है ,हमारी इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है की कामयाब होंगे या नाकामयाब .
हम इच्छा शक्ति जगाए ,अपने मन को कमजोर और कायर न् होने दे .
विश्वास करना है तो अपने आप पर विशवास करना सीखे .
जिन्दगी मे चाहे जितनी नाकामयाबी मिले तब भी ,निन्यानवे रास्ते बंद हो जाने पर भी एक अवश्य खुला रहता है .
व्यक्ति का जन्म बाद मे होता है जबकि प्रकति की और से जीवन की व्यवस्थाए पहले से ही होनी शुरू हो जाती है .
बच्चे का जन्म बाद मे होता है माँ का आँचल बच्चे के जन्म के पहले ही दूध से भर जाया करता है .
जब तक आप असमर्थ हो आपकी व्यवस्था कुदरत करती है किन्तु जिस दिन आप अपने पांवो पर खड़े हो जाते हो उस दिन से यह व्यवस्था आपको करनी होती है .
उसके बाद आप स्वयं अपने जीवन के मालिक बन जाते हो व्यवस्थापक बन जाते हो .
बस आप अपनी इच्छा शक्ति जागो और अपने संकल्प को मजबूत करो और वो सब हासिल कर लो जिसे आप पान चाहते हो .
.मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

इम्प्रेस्सिव लाइफ के टिप्स :)

1-दुनिया मे हमारी एंट्री चाहे जेसी हो ,पर एक्सिट (रवानगी ) शानदार होनी चाहए .अपने वचन व्यव्हार को ऐसा बनाइये की अगरबत्ती की खुशबु की तरह हम सीधे दूसरों के दिलो मे उतर जाए .

2-तलवार की कीमत उसकी धार से होती है और इंसान की कीमत उसके व्यव्हार से .हम दूसरों से ऐसा व्यवहार करे की वो हमें अपना सब कुछ समजे .

3-जो आपसे दुश्मनी रखते है, उनसे दुश्मनी निकालने के लिए वक्त बर्बाद करने की बजाय अच्छा होगा आप उनके लिए अपना समय निकाले ,जो आपसे बहुत प्यार और सम्मान करते है .

4-अपने क्रोध को अपने कण्ट्रोल मे रखिये ..शान्ति और प्रेम के पंछी उस डाल पर नहीं बैठा करते ,जिस पेड के नीचे आग सुलग रही हो .

5-मौन और मुस्कान दोनों का इस्तेमाल कीजिये .
मौन अगर रक्षा कवच है तो ,मुस्कान स्वागत का रास्ता ...मौन से फजीहतो को पास फटकने से रोका जा सकता है तो मुस्कान से हर समस्या का हल निकाला जा सकता है .

6-जिजक छोडिये ..जो बात आपके दिल मे है उसे बोलने की हिम्मत कीजिये और जो बात दूसरों के दिल मे है उसे समजने की भी कोशिश कीजिये .

7-जीवन मे तोते को देखकर प्रेरणा लीजिए , जो मिर्ची कहा कर भी मीठे बोल बोलता है और एक हम है जो घी मिश्री कहा कर भी कड़वा बोलते है .
खुद को तोते से ज्यादा तो मत गिरने दीजिए .

8-पीठ पीछे आपकी कोई बात हो तो बुरा मत मानिए ...दरअसल बात उन्ही की होती है जिन मे कोई बात होती है .

9-जीवन मे उस शक्श को कभी नजर अंदाज मत करिये ,जो आपकी बहुत परवाह करते हो ..अन्यथा किसी दिन आपको इस बात का पछतावा होगी की हमने कांच के कंचो को इक्कठे करने मे अपने जीवन का एक बेशकीमती हीरा गँवा दिया .

10-आपकी पहचान अच्छी बातो से नहीं बल्कि अच्छे कार्यों से होगी ...अच्छी बाते तो बुरे लोग भी कर लिया करते है पर ,अच्छे कार्य तो केवल अच्छे लोगो के बस की ही बात है  :)

11-अच्छे काम के लिए अच्छे मुह्रुत का इंतज़ार मत कीजिये .
जिस दिन अच्छा काम करने का भाव जगे ,उसे मूर्त रूप देने का सबसे अच्छा मंगल दिवस है .
.मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

चलते रहो ....

जीवन मे कुछ करना है 
तो मन को मारे मत बैठो .
आगे आगे बढ़ना है तो 
हिम्मत हारे मत बैठो .

चलने वाला मंजिल पाता ,
बैठा ,पीछे रहता है .
ठहरा पानी सड़ने लगता ,
बहता निर्मल होता है .
पाँव दिए चलने की खातिर 
पाँव पसारे मत बैठो .

तेज दोड़ने वाला खरगोश ,
दुपहर चल कर हार गया ,
धीरे धीरे चलकर कछुआ 
देखो बाजी मार गया ,
चलो कदम से कदम मिलाकर ,
दूर किनारे मत बैठो .

धरती चलती ,तारे चलते 
चाँद रात भर चलता है 
किरणों का उपहार बांटने 
सूरज रोज निकलता है ,
हवा चले तो महक बिखेरे 
तुम भी प्यारे मत बैठो .

जीवन की हर चीज हमें यही सिखाती है की अगर सफल होना है तो निरंतर प्रयास करने होंगे निरंतर चलते रहना होगा .
.मोनु एस जैन (MONU S JAIN )


संतो का सानिध्य

आज की भाग दौड भरी जिन्दगी मे लोगो को अपनों के लिए ही वक्त नहीं मिलता तो किसी और की या कही और जाने की क्या सोचे कोई ...
पर यकीन मानिए कभी कभी अपने व्यस्त दिनचर्या मे से कुछ समय स्वयं के लिए भी निकालिए और संतो का सानिध्य करिये पर हा ऐसे संतो के पास जाना जहा उनको आपसे कोई लेना देना न हो .
बस बैठिये जा कर कुछ न कुछ तो जरुर मिलेगा और वो भी मुफ्त मे बड़े काम की चीजे .
जेसे की कुछ ऐसे बाते ..............

-खुद की कमाई से कम खर्च हो ऐसे जिन्दगी बनाओ .

-दिन मे कम से कम खुले दिल से तीन चार लोगो की प्रशंशा कर दो .

-खुद की भूल स्वीकारने मे कभी संकोच मत करो .

-किसी के सपनो पर कभी मत हँसो ...

-आपके पीछे खड़े व्यक्ति को कभी कभी आगे जाने का मोका दे दो किसी को खुश कर के देखो .

-रोज हो सके तो उगते सूरज को जरुर देखो .

-बहुत जरुरी हो तभी कोई चीज किसी से उधार लो .

-किसी के पास से कुछ जानना हो तो विवेक से दो बार पूछो .

-कर्ज और शत्रु को कभी बड़ा मत होने दो .

-प्रार्थना करना कभी मत भूलो ..प्रार्थना मे अपार शक्ति होती है .

-अपने काम से मतलब रखो .

-समय सबसे ज्यादा कीमती है इसको फालतू कामो मे खर्च मत करो .

-जो आपके पास है उस मे खुश रहना सीखो .

-बुराई कभी भी किसी की मत करो ..बुराई नाव मे छेद के सामान है ,बुराई छोटी हो पर बड़ी नाव को तो डुबो ही देतीहै .

-हमेशा सकारात्मक सोच रखो .

-हर व्यक्ति एक हुनर लेकर पैदा होता है बस अपने हुनर को दुनिया के सामने लाओ .

-खुद को कभी भी किसी से कम मत समजो .

-कोई काम छोटा नहीं होता काम तो बस काम होते है पुरे मेहनत से अपने कार्य मे लगे रहो .

-सफलता उन्ही को मिलती है जो कुछ कर गुजरते है अपने हौंसलो से .

-कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है ये जुमला पुराना हो गया भाई ...कुछ पाने के लिए कुछ खोना नहीं कुछ करना पड़ता है ...:) .मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

केसे बढ़ाये अपना मेमोरी पॉवर

ध्यान और योग से जुड़े हम और हमारी ताकत .
केसे अपनी दिमाग की याददाश्त की ताकत बढ़ाये ...

१-हमेशा अपने दिमाग को रिलेक्स और तनाव मुक्त रखे ...प्रश्न उठता है की केसे रखा जाए ?
जब भी लगे तनाव महसूस हो रहा है आपको ...तो करना ये है गलीचे पर लेट जाए ...पाँव के अंगूठे से लेकर सिर तक,अपने प्रत्येक अंग पर एक एक मिनट ध्यान करे और शरीर को ढीला छोड़ते जाए .
आप 15 मिनट इसे कर लीजिए आपको फर्क स्वयं पाता चल जाएगा .

२-अपनी एकाग्रता बढ़ाये ...योगशास्त्र कहता है एकाग्रता बढ़ाने के लिए "त्राटक" करे ...
अब त्राटक केसे करे ...?
जवाब है -एक दीपक जलाये और लगातार दो तीन,पांच ,सात .मिनट तक अपलक अपनी नजर उसकी ज्योति पर केंद्रित करे .
अवश्य ही आपकी एकाग्रता बढ़ेगी .
जब भी मंदिर मे जाए त्राटक जरुर कर ले भगवान जी से मिलना भी हो जाएगा और आपका काम भी हो जायेगा .एक पंथ दो काज ..:)
जिसकी एकाग्रता जितनी गहन होगी उतनी ही शीग्रता से वह अपना लक्ष्य पा सकेगा .

३-दिमागी कसरत करे ..जेसे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम करते है उसी तरह दिमाग की पॉवर बढ़ाने के लिए दिमागी कसरत करे .
जेसे अंको को उल्टा सीधा करे ..गुणा भाग बड़ी बड़ी संख्याओ का करे .
कुछ पहेलियाँ सुलझाए ...गणित के सवालो को जब तक हो सके बिना पेन पेन्सिल लिए एक बार दिमाग मे हल करने की कोशिस करे .
अपने दिमाग को धार देने के लिए ऐसे सुडोकू टाइप पहेलियाँ सोल्व करे.

४-अपनी दिमाग की रचनात्मक शक्तियों को बढ़ाये .
क्रिएटिव बने ...कविता ,कहानी ,डायरी आदि लिखे ..या जो भी एक्टिविटी आपको पसंद हो करे जेसे -बागवानी या अन्य कुछ भी पर करे जरुर .
अपनी होबिज को बनाये रखे .

५-कुछ न कुछ नया सिखने की ललक अपने भीतर जगाए रखे ...स्वयं को अपने पुश्तेनी धंधे तक सीमित न रखे और लड़किया खाली किचन तक सीमित न रहे  बल्कि अपने मानसिक विकास के लिए कुछ न कुछ नया सीखते रहे .
याद रखो कभी भी अपने को गुरु ना समजो, समजना है तो विध्यार्थी ही समजे .
चाहे जितनी उम्र हो जाए सिखने की ललक हमेशा बनी रहे ...विध्यार्थी बनकर जियेंगे तो ज्ञान प्राप्ति के रास्ते हमेशा खुले रहेंगे .
अच्छी पुस्तकों से बेहतर कोई मित्र नहीं होता ..यह दिमाग तो उस खेत की तरह है जिसमे अच्छे बिज बोये जाए तो अच्छी फसल निकलेंगी अन्यथा जंगली घास और खरपतवार ही पैदा होगी .

६- याद करने के लिए अलग अलग चीजे अपनाए जेसे किसी के मोबाइल नंबर याद करिये उन्हें मोबाइल मे सेव मत करिये कोशिस करिये की चीजे आपको याद रहे .

७-याददाश्त ठीक करने के लिए जब ख्याल आ जाए ज्ञान मुद्रा बना ले .
अंगूठे के मध्य की रेखा को पहली ऊँगली से टच कर ले ..जितनी देर ज्ञान मुद्रा मे रहोगे उतना अच्छा .

८-हमेशा सीधी कमर कर के बेठे ..झुकी कमर से बैठने पर शीग्र ही आलस आना शुरू हो जाता है .

९-सात्विक आहार ले ..अगर विध्यार्थी हो तो हो सके जितना बाहर के खाने से बचो और घर पर भी ज्यादा तला हुआ खाने से परहेज करे .
दूध लो फल लो ऐसे पोष्टिक चीजे अपने खाने मे रखिये शरीर स्वस्थ रहेगा और जहा शरीर स्वस्थ रहेगा वहा दिमाग स्वयं काम करेगा .
शाश्त्रो मे कहा भी है पहला सुख निरोगी काया ..

१०-प्रतिदिन व्यायाम करे ..इस से शरीर स्वस्थ रहता है .
प्राणायाम करे ...क्रोध न करे ..
पुरे दिन मे एकत्र की गई उर्जा एक बार के क्रोध मे समाप्त हो जाती है ....एक बार गुस्सा करने से दिमाग के एक हजार कोशिकाए खत्म हो जाती है और ये दिमाग की वो सेल्स होती है जिनका दुबारा निर्माण नहीं होता .
इसलिए क्रोध न करे जो जितना ज्यादा क्रोध करता है उसकी याददाश्त उतनी जल्दी कमजोर होती जाती है .

हमेशा हँसते मुस्कुराते जिए ..रात मे गहरी नींद ले ..
आज कल इन मोबाइल के चलन से रात  को सोते समय भी इनको अपने पास रखने की आदत से नींद मे कमी आई है ..इसलिए रात को तो कम से कम अपने मोबाइल को भी सोने दीजिए और खुद भी अच्छी नींद लीजिए ...:)

इश्वर पर विश्वास रखे खुद पर विश्वास रखे  और अपना मनोबल बनाये रखे ....
मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

खोले किस्मत के ताले पार्ट -3

                                                            सफलता तो एक सफर 
सफलता तो एक सफर है मंजिल नहीं .
यह तो लगातार बढते रहने का,पाते रहने का नाम है .
अगर आपने एक संस्थान खोल दिया तो वहा तक ही सिमित मत रहो ,उसको और आगे बढाओ .
जब तक जिन्दा हो सृजन करते रहो .सृजन करते रहोगे तो जीवन मे जीने का लक्ष्य रहेगा और सृजन ही अगर बंद कर दोगे तो आज मरे या कल मरे क्या फर्क पड़ना है .
कल भी सुबह उठे ,दुकान गए ,वही काम किया ,शाम को आये और सो गए .
कल भी यही किया ,आज भी यही किया और कल भी यही करेंगे .
अगर हमारे पास कुछ लक्ष्य नहीं है ,कुछ और नया करने के लिए नहीं है तो क्या फर्क पड़ता है कल तक जिए,आज जिए या दस बीस साल और जिए .

तुम्हारी जिंदादिली की , जिन्दगी की कसौटी इसी मे है की हम लोग ,हमेशा जीत पर विश्वाश करे ,हमेशा आगे बढ़ने पर विश्वास करे .
आगे बढते बढते विफल भी हो जाए तो कोई गम नहीं .
हो गए तो हो गए .....
जो आदमी चलेगा ,वही तो ठोकर खाकर नीचे गिरेगा .जो चलेगा ही नहीं वह कहा गिरेगा ?
माना हम  यहाँ से वहा तक जायेंगे..जायेंगे  तो खतरा तो है की कही पाँव फिसलकर गिर सकते है  .
अगर हम  ये सोचू की कौन  खतरा मोल ले पाँव फिसलने का ,तो हम  वही बेठे रहेंगे .
निट्ठला आदमी ना तो गिरेगा और न कही पंहुचेगा .
अगर हमें साइकिल चलाना सीखना है तो दो चार बार साइकिल से गिरना भी होगा .
जिस आदमी ने सोचा की साइकिल चलाना सीखूंगा और गुटने छिल गए तो ..?
जहा तक दो चार बार गुटने नहीं छिले ,वहा आज तक कोई साइकिल चलाना सीख ही नहीं पाया .

माँ के पेट से कोई मजबूत हा कर नहीं आता .
बच्चा तब मजबूत होता है जब वह माँ की गोद से उतरकर जमीं पर चलता है और चलते -चलते कभी वाह गिरता है ,कभी लुढकता है ,कभी माथे पर चोट लगती है ..बच्चे का निर्माण ऐसे ही होता है .
ज्यादा प्यार से बच्चे केवल बिगड़ते है .
खुद की ज्यादा परवाह भी हमें बहुत बार रिस्क उठाने से रोकती है पर कठिन परिस्थितियों मे ही तो जीवन का निर्माण होता है .
रिस्क उठाते चलो काम करते चलो और सफलता के ऊँचे पायदानो को पाते चलो .
इसलिए कही रुको मत बढते चलो चलते चलो की चलना ही जिन्दगी है .

"एक रास्ता है जिन्दगी 
जो थम गए तो कुछ नहीं "
.मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

खोले किस्मत के ताले पार्ट -2

जीवन मे सफल होने के लिए जरुरी है खुद पर विश्वास .
हम मे से बहुत से लोग ऐसे है जो कद मे छोटे है ,रंग से काले है, दुबले पतले है और उन मे  से अधिकतर ये सोचते है की मे इतना छोटा सा हू इतना काला सा हू मे  भला क्या कर सकता हू क्या कर सकूंगा ....
मन मे एक हिन् भावना सी होती है स्वयं को लेके .
अगर आपको भी ऐसे जोई मन मे विचार है तो सब से पहले अपने इस प्रकार के नेक विचारों को दिमाग से नौ दो ग्यारह करिये .
ऐसे विचारों की हमारे जीवन मे कोई जगह नहीं है .
हम बात करते है अपने ही जेसे कुछ ऐसे लोगो की जो भी छोटे और काले और सुन्दर नहीं थे पर उन्होंने अपने इच्छा शक्ति के बलबूते जो कर दिखाया वो बहुत से रूपवान भी नि कर सकते .

उनमे से एक शक्श है सचिन तेंदुलकर अब शायद इनके परिचय की तो जरुरत नहीं की सचिन तेंदुलकर कौन है ..?
सचिन तेंदुलकर कद मे बहुत ही छोटे इंसान दिखने मे भी ठीक ठाक लेकिन उनके अंदर का जूनून होंसला और आत्म विश्वास ने उसे वो बना दिया जो हर कोई नि सोच सकता .
अगर सचिन ये सोच कर बचपन से घर मे बेठ जाते की क्रिकेट मे तो लंबे लोगो का ही नंबर आता है लंबे लोग ही सफल होते है तो आज वो वहा नहीं होते जिस मुकाम पर अभी है .
उन्होंने कभी इस बात को अपने मन मे नहीं आने दिया की वो छोटे कद के है ..
उन्होंने बस अपनी मेहनत जारी राखी अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहे ना दिन देखा ना रात हमेशा प्रक्टिस करते रहते और उन्ही लगातार प्रयासों का नतीजा है वर्तमान के सचिन .

जो कोई यह सोचता है की मे गरीब घर मे पैदा हुआ हू मे केसे कुछ कर पाऊंगा तो आपको ये बता दे की हमारे देश के सबसे गरिमा पूर्ण राष्ट्रपति डॉक्टर कलाम सर भी गरीब घर मे पैदा हुए थे लेकिन अपनी मेहनत अपने होंसले से उन्होंने जो मुकाम हासिल किया वो असंभव को संभव करने वाली बात थी .
गरीब घर मे पैदा होने गुनाह नहीं है लेकिन अपने मन को गरीब बना लेना अवश्य अपराध है .
बात है हमारे काम करने की ताकत से ,अगर हम निट्ठले बेठे रहे तो केसे कोई गरीबी से आगे बढ़ेगा .
शेर भी अगर अपनी गुफा मे बेठे रहे तो भूखे मर जाएगा ,वो जंगल का राजा होता है पर फिर भी उसे शिकार करने को अपनी गुफा से बाहर जाना पड़ता है मेहनत करनी पड़ती है तब जा कर उसे शिकार मिलता है .

जीवन मे बस संगर्ष चाहए ,केवल जज्बा चाहए क्यूंकि रंग रूप के कारण कोई व्यक्ति आगे नहीं बढ़ता .
आदमी के कर्म पुरुषार्थ मेहनत ही उसे आगे बढाती है .

हो सकता है आज आप केवल नौकरी कर रहे हो .
रिलायंस कंपनी के मालिक धीरू भाई अम्बानी भी कभी नोकरी ही करते थे ,लेकिन उन्होंने अपनी जिन्दगी को नोकरी तक सिमटने न् दिया .
अगर आप पढ़े लिखे इंसान है ,तो हम कहना चाहेंगे ,अपने घर को गरीब मत रहने दो .नई कामयाबियो को हासिल करो ,नई सफलताओ को हासिल करो और वो सब संभव है आपकी मेहनत पर .

" जो चले सो चरे " जो चलेगा सो चरेगा ,जो बेठा रहेगा भूखा मरेगा .
जो चलता रहेगा वो कही न कही अवश्य पहुचेगा .
करते रहो, करते रहो, करते रहो मेहनत....
सच्चाई तो यह है की रस्सी भी लगातार पत्थर पर चलती रहेगी तो ,पत्थर पत्थर ना रहेगा पत्थर भी घिस जायेगा वह भी गोल होकर शिव लिंग हो जाएगा .

तो मुन्ना भाई लगे रहो लगन से .
निरंतर अभ्यास से कठिन से कठिन वस्तु भी सहज सरल बन जाती है :)  .मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

Sunday, 28 June 2015

खोले किस्मत के ताले पार्ट -1

आज हर व्यक्ति इस कोशिश मे लगा हुआ है की वह अपने जीवन मे सफलता की ऊंचाइयो को छुए और ऐसा करने के लिए हर कोई परिश्रम भी करता है लेकिन कोई एक चीज ऐसे होती है जो बार बार रोड़ा अटका देती है .
वह चीज है इंसान की अपनी किस्मत हम सब यही मानते है न ..
तो उसी किस्मत के ताले को खोलने के लिए और जीवन को बेहतर बनाने के लिए कुछ बाते है और ये सारी बाते एक दूसरी से जुडी हुयी है कुछ पार्ट्स मे है तो सोचा इन्हें जोड़े रखने के लिए इन्हें एक एक पार्ट मे हम देखते जाए...
तो शुरू करते है आज है अपना पार्ट -1...........
                            TRY AND TRY ONE DAY YOU WILL TOUCH THE SKY.


तू जिन्दा है तो जिन्दगी की जीत पर यकीन कर ,
                                                    अगर कही है स्वर्ग तो उतार ला जमीं पर.

दुनिया मे हर व्यक्ति का यह सपना होता है की वाह सफलता की आसमानी ऊंचाइयो को छू ले .
सपना देखना अच्छी बात है , पर उन सपनो को पूरा करने के लिए लग जाना सफलता की असली बुनियाद है .
इंसान को अपनी सफलता के लिए जिस चीज की सबसे पहले जरुरत है वह है --विजय का विश्वास ,जीत का जज्बा .
मे अपनी सफलता के लिए सौ मे से पूरी सौ प्रतिशत ताकत जोंक दूँगा ,जीत का यह मनोबल ही इंसान की सफलता की आधार शीला है .
माना की मिटटी को जन्म देना कुदरत का काम है ,लेकिन मिटटी मे से रौशनी पैदा करने  वाले दियो का निर्माण कर लेना इंसान की सफलता की कहानी है .
इंसान को इंसान का शरीर देना प्रकृति का काम है ,लेकिन इंसान का शरीर मिलने के बाद जीवन को आसमान जेसी ऊंचाईयां देना स्वयं इंसान के पुरुषार्थ का परिणाम है .
क से करोड़पति होता है और क से ही कर्म फूटा ...ये तो आपके हाथ मे है की आप केसे मेहनत करते है और मेहनत करके करोड़पति बनते है या ऐसे काम करते है की किस्मत पे ताला लगा देते है .

जिन लोगो के भीतर आगे बढ़ने का जज्बा होताहै ,वे तब तक विश्राम नहीं कर लेते जब तक उन्हें उनकी मंजिल हासिल ना हो जाए .
कई लोग ऐसे होते है जो गरीब घर मे पैदा हुए फिर भी ऊंचाईयों को हासिल कर लेते है और कई लोग ऐसे भी है जो आमिर घरों मे पैदा हुए ,लेकिन आगे चल कर अपने कर्मो की वजह से फटेहाल जिन्दगी बिताने को मजबूर हो जाते है .
पर गरीब घर मे पैदा हुआ बच्चा अमीर बन गया तो ये उसकी सफलता की कहानी हुई .
एक चार्टेड अकाउन्टेंट का बेटा सीए बन गया तो बड़ी बात ना हुई क्यूंकि जन्म से ही उसने ऐसे परिस्थितिय देखी है लेकिन जो बच्चा अनपढ़ माँ बाप के घर मे पैदा हो कर भी सीए एमबीए कर लेता है तो ये कहलाती है इंसान की कामयाबी की इबारत .

इंसान को जीवन मे सफलता की ऊंचाईयों को हासिल करना चाहए और जब तक कोई व्यक्ति सफलताओ को न् पा सके ,ऊँचे शिखर को ना छू पाया तो याद रखियेगा की गुनगुना पानी कभी भाप नहीं बनता .
भाप बनने के लिए पानी को सौ डिग्री तक उबलना पड़ता है .
वही व्यक्ति सफल होता है जो अपनी सौ की सौ प्रतिशत ताकत ,अपने पुरुषार्थ अपने संगर्ष को झोंक देता है ,वही व्यक्ति सफल होता है .
जो इंसान जितनी मेहनत करेगा उतने का उतना नतीजा सामने आएगा :)

हम मेहनत मे कमी करेंगे तो नतीजे मे भी कमी ही मिलेगी ...और अगर मेहनत पूरी की है तो नतीजा भी पूरा मिलेगा आपको ..
क्यूंकि कुदरत कभी किसी के साथ धोखा नहीं करती  :) .मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

Saturday, 27 June 2015

एक ब्रेक तो बनता है

कभी कभी कविताएं  भी पढ़ लेनी चाहए ..
कुछ कवियों ने तो इतना उम्दा लिखा होता है की बस दिल खुश हो जाता है ..
उनमे से ही एक कविता जो अपने को बड़ी पसंद है आज आपके साथ भी शेयर करने का मन करा
जब अच्छी अच्छी फील आती है तो सबको आये सब का मन खुश हो ...
तो जी हाजिर है ये कविता ...
माफ़ी चाहेंगे हम कवि का नाम भूल गए ....मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

---दीवानों की हस्ती ---
हम दीवानों की क्या हस्ती 
है आज यहाँ ,कल वहा चले 
मस्ती का आलम साथ चला 
हम धुल उड़ाते जहा चले .

आये बनकर उल्लास अभी 
आंसू बनकर बह चले अभी 
सब कहते ही रह गए अरे 
तुम केसे आये ,कहा चले .

किस और चले  ? यह मत पूछो 
चलना है बस इसलिए चले 
जग से उसका कुछ लिए चले 
जग को अपना कुछ दिए चले .

दो बात कही दो बात सुनी 
कुछ हँसे और फिर कुछ रोये 
छक कर सुख दुःख के गुंट को 
हम एक भाव से पिए चले 

हम भिखमंगो की दुनिया मे 
स्वछन्द लुटा कर प्यार चले 
हम एक निशानी सी उर पर 
ले सबका प्यार चले 

अब अपना और पराया क्या 
आबाद रहे रुकने वाले 
हम स्वयं बंधे थे और स्वयं 
हम अपने बंधन तोड़ चले .

संगीत और हम

हम सब को गाने सुनने का बड़ा शोक होता है चाहे वो कोई भी क्यों न हो दादा दादी मम्मी पापा बच्चे सब लोग संगीत से एक खास किस्म का जुडाव रखते है .
शायद ही कोई ऐसा होगा जिसे संगीत से लगाव न हो .
हर उम्र के व्यक्ति को गाने सुनना पसंद होता है दादा दादी अपने ज़माने के पुराने गाने पसंद करते हो या फिर भगवान के भजन उन्हें आनंद देते हो पर पसंद तो होते है .
आज कल के छोटे बच्चे  कह लो या यूथ कह लीजिए सब लोग यो यो हनी सिंह को सुनना पसंद करते है :)
वही कुछ लवर टाइप के यूथ को सोफ्ट सोंग्स रोमांटिक सोंग्स पसंद होते है .
हमारे कहने का तात्पर्य है की सब केसे न केसे कर के संगीत से जुड़े तो होते ही है .

और इन्ही गानों मे से कुछ ऐसे भी गाने होते है जो आपके जीवन मे एक नई जान डालने की ताकत रखते है उनके शब्द ऐसे होते है जो एक अलग ही उर्जा से भरे होते है .
जब हम कभी जीवन मे निराश हो जाए या उदास हो जाए तो अक्सर  सब सेड सोंग सुनने बेठ जाते है .
एक तो हम पहले से दुखी होते है और जब ऐसे ही  दुखी गानों को सुनते है तो दिमाग काम करना बंद ही कर देता है तो जी  सेड सोंग कम सुनिए और कुछ उत्साह वाले गाने सुनिए मूड भी अच्छा हो जायेगा और नया जोश भरेगा वो अलग  .

इसलिए जब भी दिल उदास हो थोडा सा हताश हो निराश हो तब अगर आपको लगे तो ये गाना जरुर सुनियेगा  एक फिल्म आई "लिंगा" रजनीकांत साहब की ...
उसका एक गाना है बड़ा ही प्यारा और शानदार सुन के मजा आ जाए फिर से आप उत्साह से भर जाए ऐसा लिखा है लिखने वाले ने...

 दिन डूबा है रात हुयी 

 पर दिन फिर निकलेगा 
 दिल थोडा ना करना 
 अँधेरा भी पिग्लेगा पिगलेगा
 छुप जाए जब तारे 
 चाँद भी आँख चुरा ले तो 
 तू यूँ ही चलते रहना 
.बंजारे बंजारे बंजारे 
..ओ बंजारे बंजारे 

 सुबह से मिलने को 

 रात भर गर चलना पड़े 
 ओ राही रुकना नहीं 
 सुबह दूर नहीं 

 रुकना नहीं थकना नहीं दर्द से तू डरना नहीं 

दर्द सदा रहते नहीं रहते नहीं रे 
 जुल्म से जो रुक जाए 
मिटटी मे छुप जाए 
   वो दरिया बहते नहीं रे 
 जब रात का पर्दा हट जाएगा  
 आकाश चीर के सुबह होगी रे ....


इस गाने को सुन के तो एक जबरदस्त उर्जा मिल जाती है .
कभी अपने गानों के बीच ऐसे गानों के लिए भी वक्त निकालिए मजा आ जायेगा यकीं मानिए ....मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

Friday, 26 June 2015

कड़ी मेहनत

बस एक लाइन याद रखने का --कभी मेहनत से जी न चुराए।
जो मेहनत नहीं करना चाहते उन्हें निम्न दर्जे का जीवन जीने के लिल्ये तैयार रहना चाहए।
 ये सब जानते है की भगवान ने हमें आलस्य की जिन्दगी जीने के लिए मनुष्य नहीं बनाया है।
आलस्य हमारा दुश्मन है। .... हम अगर सफल होने मे कही चूक रहे है तो उसकी कही न् कही वजह हमारा आलस्य है।
हमारी बुरी आदते है आलस्य के कारण हर काम को कल पर डालने की आदते।
एक ऐसी आदत जिसमे कल कभी नहीं आता और न हमारा आलस्य जाता है पर स्वाभाव वश हम बस आलस्य के आधीन हुए जा रहे है और यही वजह रहती है की कार्य कभी समय पर पुरे हो नहीं पाते ।

जब जीवन है तो कुछ करे और कुछ ऐसा करे की जो हमें कुछ बनाये कुछ ऐसा बनाये जिस पर की हमें स्वयं भी गर्व हो और समाज को भी।
इसलिए कभी किसी काम को छोटा ना समजे और ना ही उसे कल पर डाले।
आज के काम आज ही निपटाए।
एक और महत्वपूर्ण बात ये भी की अपने कार्य के लिए दूसरों पर निर्भर ना रहे तो ही ज्यादा बेहतर।
स्वयं के कार्य स्वयं ही करने होते है।
                         
                             " जिन्दगी तो अपने ही कदमो पे चलती है दोस्त 
                                    औरो के सहारे तो जनाजे उठा करते है "

कड़ी मेहनत मे विश्वाश रखे।
अगर हमें कुछ बनना है कुछ हासिल करना है तो हर व्यक्ति हर रोज 12 घंटे अवश्य मेहनत करे चाहे वो दिन के हो या रात के पर मेहनत अवश्य करे।
बात चाहे विध्यार्थी की हो या व्यवसाई की या पारिवारिक मेहनत अपना रंग अवश्य लाती है।
यह व्यक्ति को सफल अवश्य बनाती है

आत्म निर्भरता के छोटे छोटे काम शुरू कर दो इस बात को मन से निकाल दो की लोग क्या कहेंगे।
लोगो का तो काम ही है कहना आप कुछ नहीं करोगे भी तब भी लोग हजार बाते करेंगे और आप करोगे तब भी लोग हजार बाते करेंगे।
आज कल के लोग तो भगवान से भी दुखी रहते है हम तो फिर भी इंसान है यार।
इसलिए आप बस अपने काम पे ध्यान दे।
आज के युग मे लोग समृधि की इज्जत करते है।

आप अपने काम को करिये अपना बेस्ट दीजिए और अपना चरित्र ऐसा बनाइये की ऐसा मंजा हुआ आपका चरित्र हो की लोग अगर आपके बारे मे कुछ कहे भी तो कोई माने न।

कड़ी मेहनत करिये और हर उस चीज को पाइए जिसकी आपने कभी तमन्ना की हो ।

विध्यार्थी अपने मन मे एक बात गाँठ बाँध के मेहनत करो की सरस्वती माता कभी किसी का उधार नहीं रखती
अगर आप कड़ी मेहनत पुरे मन से करेंगे तो आपको फल जरुर मिलना है। :) .
मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

मौन

मौन जीवन मे हर एक चीज मे समाया है।
हमारी जिन्दगी और हमारी सफलता कही न कही किसी न किसी रूप मे हमारे मौन से भी जुडी है।
मौन तो जीवन मे साधना का एक बुनियादी आधार है।
मौन से मन की शान्ति के कपाट तो खुलते ही है वाणी के लिए उपयोग मे लाई जाने वाली उर्जा का भी संचय होता है। और जहा आपका मन शांत हुआ तो एकाग्र होना शुरू कर देगा और एकाग्रता आई मतलब सफलता को पाने की बहुत बड़ी कुंजी मिल गई आपको ये मान के चलिए।
हमारा मौन रहना हमें आम सोच से कुछ और बेहतर कुछ और गहन सोचने का अवसर प्रदान करता है। 
मौन से एक विशिष्ट उर्जा क्षेत्र का निर्माण होता है और वाह है शान्ति की उर्जा समता की उर्जा समदर्शिता की उर्जा।
एक ऐसी उर्जा जिसका भरपूर उपयोग हम अपने जीवन को अच्छा बनाने मे कर सकते है।

जेसे किसी ने हमें गाली दी तो हम बदले मे उसे गाली न् दे।
वह तो मुर्ख है ही लेकिन बदले मे गाली देकर हम महामूर्ख न् बने।
मन शांत होता है अगर हम शांत हो जाए.. ।
अगर हम ही भटकना छोड़ दे अगर हम ही प्रतिक्रियाये करना बंद कर दे तो मन अपने आप मौन हो जाता है।

आप घर मे रहते हुए भी ऐसे हो जाओ जेसे आप घर मे ही नहीं हो तब लड़ाई नहीं हो पायेगी।
विपरीत वातावरण भी आपको हिला नहीं पायेगा।
जो हो रहा है उसे हो लेने दो गलती स्वयं सुधरने की प्रेरणा देती है।
हम उसे न ग्रहण करे और न् प्रतिक्रिया करे।
शान्ति चाहए तो शांत रहिये।
निराशा चिंता से कोसो दूर तो जीवन आपका सुखी होने से कोई नहीं रोक पायेगा ,
आप चुप रहे अपने काम मे लगे रहे मौन रहने की साधना सीख ले तो दुनिया आपको क्या कहती है आपके बारे मे क्या कहती है ये सब चीजे आपके लिए गोण हो जायेगी।
. और जब ये सब चीजों से आपको फरक नहीं पड़ेगा तो आप उस चीज पर ध्यान दे पायेंगे जो आप करना चाहते है।
जब लोगो की राय लोगो की बाते आपको विचलित नहीं करेगी तो फिर आपसे आपकी मंजिल दूर नहीं।


बस जरुरत है तो हमें खुद को साधने की हमें स्वयं पर नियंत्रण की बस। .
जो आप सोचते है जो आपकी ख्वाहिशे है वो स्वयं आपको ढूंढती हुई आएगी :)  .
मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

सतत परिवर्तन का नाम जीवन

हम मे से हर इंसान का स्वभाव ही कुछ ऐसा होता है की परिवर्तन को समज पाना और उसे स्वीकार कर पाना बहुत मुश्किल सा लगता है .
परन्तु हकीकत तो ये है की बदलाव के साथ चल कर ही हम खुद को मजूबत बना सकते है और स्वयं के जीवन को मजबूती दे सकते है .
पता है केवल कब्र ही एक ऐसे जगह है जहा इंसान के लिए किसी बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं होती .
परिवर्तन तो जीवन का अपरिहार्य नियम है ...और इसे प्रत्येक इंसान जितना जल्दी समज जाए उतना उनका जीवन आसान हो जाता है .
क्यूंकि हम चाहे या न चाहे बदलाव तो होगा ही .
एक कठोर सत्य यह है की वक्त के साथ ना बदलने वाले कही पीछे छूट जाते है .
सौभाग्य न केवल वीरो का साथ देता है बल्कि उनका भी साथ देता है जो किसी भी नए बदलाव के लिए तैयार होते है .
पता है बहुत से लोग ऐसे होते है जो किसी भी प्रकार के बदलाव को सहन नहीं कर सकते उन्हें ये लगता है की अभी जो है वो बेहतर है अगर चीजों मे बदलाव किया तो वो बदतर हो जायेंगी ...
लेकिन ऐसा होता नहीं पहले टाइप रायटर हुआ करते थे जब कंप्यूटर आये तो कुछ ने उनका भी विरोध किया पर आज हम जानते है की कंप्यूटर से चीजे कितनी सरल हो गई.
अगर ये बदलाव न स्वीकार किया होता तो आज भी हम उसी टाइप रायटर पे होते .

बहुत सी चीजे होती है जिन्हें हम बदल नहीं सकते तो अपने मन के सुकून के लिए हमें उनके प्रति अपनी सोच बदल देनी चाहए .
हमारा जीवन वेसा ही बनता है जेसा हमारी सोच इसे बनाती है .
यदि आप प्रतियोगी दुनिया से स्वयं को अलग रखना चाहते है तो आपको किसी बदलाव की आवश्यकता नहीं परन्तु यदि आप चाहते है इस दुनिया मे खुद को साबित करना ,आप चाहते की इन प्रतियोगी परिक्षाओ मे आप सफल हो तो आपको अपने जीवन को बदलना होगा .
परिवर्तन की जरुरत है और करना पड़ेगा खुद मे बदलाव अगर सफलता चाहते है तो .
अपनी पुरानी आदते छोडनी पड़ेगी अगर आपको आदत है सुबह मे देर से उठने की तो आदत आपको बदलनी पड़ेगी आपको जल्दी उठने की आदत डालनी होगी .
अगर आपको आदत है इधर उधर घूमने की तो सब आपको छोडना पड़ेगा आपने लक्ष्य को पाने के लिए .
बदलाव तो करना पड़ेगा अभी बदलाव आपको थोडा तकलीफ देने वाला लगेगा पर जब सफलता मिलेगी तो महसूस होगा की नहीं बदलाव तो जरुरी है जीवन मे अगर आगे बढ़ना है चाहे उसे हम जीवन के किसी भी क्षेत्र से जोड़े .

हम मनचाहे स्थान पर पहुचने के लिए जो कीमत अदा करते है ,हमारा जीवन उसी के अनुसार बनता है .
वे व्यक्ति अथवा वृक्ष ही जीवित रह पाते है जो प्रतिकूल परिस्थितियों मे भी स्वयं को ढालने की क्षमता रखते है .

बेहतर के लिए बदलाव चाहते है तो आपको वर्तमान से असंतुष्ट होना ही होगा .
कड़ी मेहनत से जीवन की हर ऊँचाई आप पा लोगे :)

इसलिए जिसके साथ जेसा भी माहोल हो स्वयं को ढालते चले और अपने लक्ष्य पे निगाह रहे बस .
लक्ष्य मिलेगा तो माहोल खुद ब खुद आपके हिसाब से बन जाएगा फिर :)
 .मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

Wednesday, 17 June 2015

संकल्प धन

हम मे से बहुत कुछ लोगो का जीवन बचपन से दर्द, पीड़ा की ऐसे राह पर चलने लगता है की महसुस होता है की कुदरत ने उनके साथ बहुत अन्याय किया है ...
ऐसी कहानिया भरी पड़ी है लेकिन कहा जाता है की ये लोग इतने बहादुर और इरादों के पक्के निकले की कुदरत को इन्हें सलाम करना पड़ा.

जे.के.रोलिंग ---
ऐसे ही अदम्य साहस का एक नाम है जिनका जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ था .
एक युवती थी ,मामूली परिवार की ,संकोची और शर्मीली सी ..
किसी तरह पढाई की घर का माहोल दम निकालने वाला था .
उसने कही दूसरी जगह जाकर एक टीचर की नोकरी कर ली ...वही जिन्दगी मे आया एक लड़का ..
वो उसे अच्छा लगा ..प्यार हुआ और दोनों ने शादी कर ली .
लड़की को लगा यही वो लड़का है जो उसकी सुखी जिन्दगी मे बहार लाएगा ..
लड़की उसके प्रेम मे डूब गई ...
लड़की मुस्कुराना चाहती थी , हंसना चाहती थी ,जिन्दगी के कुछ खुश पलो को जीना चाहती थी ....
लेकिन लड़का .......................!
वह तो शादी के बाद बदल ही गया .
शराब,झगडा ,बुरा बर्ताव ...
और बिचारी वो लड़की जिसने इतने सपने संजोये थे इतने हसीन सपने देखे थे सब टूटते से दिखे ..
इसी बीच उसे पाता चलता है की वो माँ बनने वाली है ...
लेकिन घर की बुरी हालते जारी थी उसके साथ .
उसने एक बेटी को जन्म दिया पर पति का बुरा बर्ताव जारी ही था .
फिर उसने एक फेसला लिया एक दिन सारा सामान समेटा और अपनी बहिन के पास दूसरी जगह रहने आ गई .
ये उसके लिए अवसाद और चुनोतियो से लड़ने का दोर था ..
उसने भी ठान लिया हार तो नहीं मानेगी ..
हेरी पोटर का ख्वाब उसके दिमाग मे कई दिन से पल रहा था ..वह रातो मे बेठ कर पोटर पर उपन्यास लिखती थी .
उपन्यास पूरा हुआ तो प्रकाशकों ने ख़ारिज कर दिया एक नहीं दो नहीं बल्कि चोबीस प्रकाशकों ने .
फिर भी कोई बात नहीं वो लगी रही .................
आखिर एक प्रकाशक मिल ही गया .
और उसके बाद क्या हुआ पूरी दुनिया जानती है .
हेरी पोटर सीरीज न केवल दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली सीरीज बनी ,बल्कि इस पर बनने वाली फिल्म भी सुपर डुपर हिट साबित हुई .
जो जे.के.रोलिंग एक एक पैसे को तरसती थी अरबपति बन गई ...इंग्लेंड के शीर्ष दस धनी लोगो मे उसका नाम शुमार किया जाने लगा .

प्रतिकूल परिस्थितयो से लड़कर जीतने वाली एक उदाहरण बन गई रोलिंग .
उन्हें अगर शादी के बुरे अनुभव झेलने पड़े तो साथ ही इस दोरान उनकी माँ का भी निधन हो गया था .
ऐसा नहीं था की वो विचलित नहीं होती थी ..लेकिन खुद को खुद ही संभालती भी थी .
खुद को भरोसा देती थी की एक दिन सब कुछ बदलेगा बस हारना नहीं है लगे रहना है  मेहनत करते रहना है .
उनकी इसी इच्छा शक्ति ने उन्हें अलग मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया :)
और वो मुकाम था सफलता का मुकाम :)
अगर उनकी जिन्दगी मे आये दुखो से हार जाती समजौता कर लेती तो शायद आज वो किसी गलियों मे भटक रही होती या किसी कोने मे पड़ी रो रही होती .
पर उसने ऐसा नहीं किया उसने हार नहीं मानी लड़ी संघर्ष किया और लास्ट मे जीत कर एक मिसाल कायम की :) .मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

Monday, 15 June 2015

असंभव कुछ नहीं

आपने सुना तो होगा ही की असंभव कुछ भी नहीं गर हम ठान ले ...और सच मे ऐसा ही है .
जब तक आप जिन्दा है तब तक कुछ भी संभव है -असंभव कुछ भी नहीं .

                                                 
                                                 "अगर ठान लो तो जीत है 
                                                   और मान लो तो हार है "

सफल लोगो की कहानिया हमें यही बताती है की यदि सफल होना है तो संकल्प को मजबूत रखना होगा .
हम अक्सर सोचते है की हम क्या है केसे है हमें क्या होना चाहए ये बात हमेशा याद रखना की हम जितना सोचते है न उस से कही ज्यादा मजबूत होते है .
बहुत बार आपको लगता होगा की नहीं आप इतना दबाव बर्दाशत नहीं कर सकते ..
आपको लगता है की आपने सब कुछ कर के देख लिया लेकिन हालत काबू से बाहर है .
शायद इसका जवाब खुद से मांग के देखो -जवाब मे आप खुद महसूस करेंगे की आपने अपना सौ फीसदी नहीं दिया है .
कसर कही तो है ...और कहा है वो भी आप खुद ब खुद महसूस करेंगे .
जब हम सौ फीसदी किसी चीज मे देते है तो परिणाम अलग ही ढंग से सामने आता है .
जिन्दगी मे औसत पर कोई दावं नहीं लगता ....आप को मान लो कुछ हो जाए और आपका ऑपरेशन हो और आपको डॉक्टर ये बोले की मुझे फिफ्टी फिफ्टी आता है या मे फिफ्टी फिफ्टी कर दूँगा तो क्या आप अपनी जिन्दगी ऐसे किसी डॉक्टर के हाथ मे सोंपोगे शायद नहीं ...?
कोइ भी अपने जीवन को लेकर कोई रिस्क नहीं चाहेगा तो फिर जब लक्ष्य की बात आती है तो क्यों हमारे प्रयास आधे अधूरे होते है .
जब आप औसत दांव पे लगाओगे तो ये उम्मीद करना बेकार है की कोई अच्छा परिणाम हमें मिलेगा .
औसत दांव पे लगाया तो औसत जीवन के लिए भी तैयार होना चाहए .

आप सब से झूट बोल सकते है पर अपने आप से कभी  नहीं इसलिए खुद से ही पूछिए की क्या वाकई आपने पुरे प्रयास किये क्या वाकई आप खुद से संतुष्ट है ?

अगर आप सौ फीसदी दे रहे है और वांछित परिणाम नहीं आ रहे है तो भी हताश होने की जरुरत नहीं आप लगे रहिये -दरवाजा जरुर खुलेगा .
कभी कभी दरवाजा जब ज्यादा मजबूती से बंद होता है या उस पर ज्यादा जंग लगी होती है तो खुलने मे ज्यादा समय और मेहनत की दरकार होती है .

अगर आपके साथी सफल हो गए और आप अभी तक सफल ना हुए तो निराश होने की जरुरत नहीं ..
क्यूंकि साधारण मकानों जल्दी बन जाते है और महल को बनने मे समय लगता है भाई :)

इसलिए चिल मारो और अपनी मेहनत सौ परसेंट के हिसाब से करते रहिये जल्द ही आप भी सफल होंगे या जल्द ही आप भी ऐसे शक्श बन जाए जिसके बारे मे हम लिखे :)  .मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

WILL POWER

हम सबका जीवन कहानियो सरीखा होता है ...
हर कहानी मे रंग कोई मे फीके रंग कोई मे गाढे रंग.
कभी उदासी और कभी  उत्साह के रंग के  साथ ...
खुशी निराशा और कुंठा भी ...
चेह्कती हुए दिन और उदास लंबी राते ये हम सबकी जिन्दगी मे होता है .
हम चलते है, गिरते है, उठते है .
जिन्दगी आगे बढती है और जिन्दगी के केनवास की रेखाए अलग अलग आकार लेने लगती है ...
बस एक फरक होता है --कुछ लोग जिन्दगी मे आई मुश्किलों से टूट जाते है ,उनसे हार जाते है और कुछ इसे चुनोती मानते हुए दिक्कतों की आँखों मे आँखे डालते है ,मुस्कुराते है तथा मैदान मे और मजबूती से डट जाते है .
प्रतिकूल परिस्थितियों मे भी वह दृढ इच्छा शक्ति के जरिये जीतते है और दुनिया के सामने उदाहरण बनते है .
दुनिया ऐसे कहानियो से भरी पड़ी है हमारे आस पास ही न् जाने कितने ही ऐसे लोग होंगे जिन पर आपने मुसीबतों का पहाड टूटते देखा होगा ....लेकिन क्या मजाल की उनके जीवन मे कोई खरोंच पड़ जाए .
वे हर हाल मे मजबूत बने रहे और हर हार को जीत मे बदल लिया .

निराशा और अवसाद की काली रात ...

हर तरफ मुश्किलें और हार का भय ...
चुनोतिया मुह खोले अपने विकराल रूप मे खड़ी रही...
पर इन सब से बेखबर वे अपनी जिजीविषा और अदम्य साहस के साथ जुटे रहे ...उस काली रात को भोर मे बदलने मे .
कई बार उनको ऐसा लगा की नहीं अब और नहीं ...
लेकिन उन्ही अंधेरो के बीच से जिन्दगी ने कहा की देखो "उजास" हो रहा है ....:)  
.मोनु एस जैन (MONU S JAIN )
                                          

                                         हर हाल मे डटे रहने का नाम है जीवन 

Sunday, 14 June 2015

सफलता और परिवार

सफलता और परिवार एक दूसरे से जुडी दो ऐसे चीजे है जिनका एक दूसरे के बिना अस्तित्व मुक्कमल नहीं लगता ..
हम मे से भी कितनो को जिज्ञासा होती है की सफलता और सफल जीवन यानी क्या...
 ऐसे ही एक बच्चे को भी हुई जानने की इच्छा तो उसने अपने पिता से पूछा ..
पापा ये सफल जीवन क्या होता है ...?

पापा बेटे को पतंग उड़ाने ले गए ...
बेटा पिता को ध्यान से पतंग उड़ाते देख रहा था ...

थोड़ी देर बाद बेटा बोला ...पापा आपने जो ये धागा पकड़ रखा है इसकी वजह से पतंग और ऊपर नहीं जा पा रही है , क्या हम इसे तोड़ दे ..तो ये और ऊपर चली जायेगी .

पिता ने धागा तोड़ दिया ...

पतंग थोडा सा और ऊपर गई और उसके बाद लहर कर नीचे आई और दूर अनजान जगह पर जाकर गिर गई ...
तब पिता ने बेटे को जीवन का दर्शन समजाया ...
बेटा जिन्दगी मे हम जिस ऊँचाई पर है हमें अक्सर लगता है की कुछ चीजे जिनसे हम बंधे है वे हमें और ऊपर जाने से रोक रही है ...
जेसे -घर, परिवार, अनुशाशन ,माता पिता आदि ....
और हम उनसे आजाद होना चाहते है ....

वास्तव मे यही वे धागे होते है जो हमें उस ऊँचाई पर बना कर रखते है ...
इन धागों के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे परन्तु बाद मे हमारा वो ही हश्र होगा जो बिना धागे के पतंग का हुआ ...

इसलिए जीवन मे यदि तुम ऊंचाइयो पर बने रहना चाहते हो तो कभी भी इन धागों से रिश्ता मत तोडना .

धागे और पतंग जेसे जुडाव के सफल संतुलन से मिली हुई ऊंचाई को है हकीकत मे सफल जीवन कहते है .

सफलता का असली मजा तभी है जब अपनों के साथ हो :) .मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

अनमोल बाते

                                            जीवन के लिए कुछ अनमोल बाते 
जीते तो हम सभी है कोई हंस के कोई रो के कोई खुशी से तो कोई दुखी हो कर क्यूंकि जीना तो हमें है ही हर हाल मे इसके अलावा हमारे पास कोई विकल्प भी तो नहीं होता है ....
तो अपना ऐसा मानना है की जब जीना है तो क्यों न खुश हो कर ही जिया जाए अब आप सब ये तो जानते ही होंगे और हर व्यक्ति इस बात से परिचित भी है पूर्णतया की भैया आपको  दुखी करने के लिए सारी दुनिया पड़ी है ..
इसलिए खुश रहना है तो खुद ही रहना होगा ..
                                                         "दुनिया रहे बस्ती मे 
                                                     हम जिए अपनी मस्ती मे -.मोनु एस जैन (MONU S JAIN )"
स्वयं को जीना सिखाओ मस्त रहना सिखाओ हर हाल मे खुश रहना है .
आपकी दुनिया के आपके जीवन के आप स्वयं जिममेदार होते है.

-स्वयं के कार्य पे भरोसा रखे 

-अपनी संकल्प शक्ति को मजबूत बनाये 

-हर क्षण उत्साह से भरे रहे 

-किसी की कमियों को न देखे ओरो के प्रति सम्मान भरा नजरिया रखे 

-दिमाग मे व्यर्थ की चिंताए न पाले 

-अपने स्वाभाव को खुशमिजाज बना कर रखे 

-अतीत को अतीत ही रहने दे फालतू मे याद कर के दुखी न होए 

-हर समय व्यस्त और हर हाल मे मस्त रहे 

-औरो की विशेषताओ पर ध्यान दे 

-विपरीत परिस्थितियों मे शांत और सोम्य बने रहे 

-और सबसे महत्वपूर्ण बात बिना मांगे सलाह न दे आज कल कोई सलाह सुनना पसंद नि करता अगर आप बिना मांगे किसी को सलाह देंगे तो उसकी कोई कीमत नहीं रहेगी स्वयं को मूल्यवान बनाये .


और अंत मे वही बात अपने जीवन की निरंतरता को बरक़रार रखे ..
बहता पानी ही अच्छा होता है अगर पानी कही एक जगह इकठ्ठा हो जाए तो वो गन्दा होने लगता है :)  
.मोनु एस जैन (MONU S JAIN )



Saturday, 13 June 2015

जीवन एक निरंतर कोशिश


 अनगिनत कोशिशो का नाम है जीवन ..
बाज  की  उड़ान के बारे  मे सुना है कभी ?
 वो ही बाज जो सबसे ऊपर दिखाई देता है  ....!
जो आकाश मे सबसे ऊँचा उड़ता है उसको भी कितनी तकलीफे कितने ही संगर्ष उठाने पड़ते है यु ही कोई ऊंचाई पे नहीं जाता .
उस ऊंचाई को पाने के लिए होते है कितने ही जतन तब जाके वो ऊंचाई नसीब मे आती है ..

बाज लगभग ७० वर्ष जीता है, पर अपने जीवन के ४०वें वर्ष में आते आते उसे एक महत्वपूर्ण निर्णय लेना पड़ता है। उस अवस्था में उसके शरीर के तीन प्रमुख अंग निष्प्रभावी होने लगते हैं। पंजे लम्बे और लचीले हो जाते है और शिकार पर पकड़
बनाने में अक्षम होने लगते हैं। चोंच आगे की ओर मुड़ जाती है और भोजन निकालने में व्यवधान उत्पन्न करने लगती है। पंख भारी हो जाते हैं और सीने से चिपकने के कारण पूरे खुल नहीं पाते हैं, उड़ानें सीमित कर देते हैं। भोजन ढूढ़ना, भोजन पकड़ना और भोजन खाना, तीनों प्रक्रियायें अपनी धार खोने लगती हैं। उसके पास तीन ही विकल्प बचते हैं, या तो देह त्याग दे, या अपनी प्रवृत्ति छोड़ गिद्ध की तरह त्यक्त भोजन पर निर्वाह करे, या स्वयं को पुनर्स्थापित करे,

आकाश के निर्द्वन्द्व एकाधिपति के रूप में। मन अनन्त, जीवन पर्यन्त जहाँ पहले दो विकल्प सरल और त्वरित हैं, तीसरा अत्यन्त पीड़ादायी और लम्बा। बाज पीड़ा चुनता है और स्वयं को पुनर्स्थापित करता है। वह किसी ऊँचे पहाड़ पर जाता है, अपना घोंसला बनाता है, एकान्त में और तब प्रारम्भ करता है पूरी प्रक्रिया।
 सबसे पहले वह अपनी चोंच चट्टान पर मार मार कर तोड़ देता है, अपनी चोंच तोड़ने से अधिक पीड़ादायककुछ भी नहीं पक्षीराज के लिये। तब वह प्रतीक्षा करता है चोंच के पुनः उग आने की।
 उसके बाद वह अपने पंजे उसी प्रकार तोड़ देता है और प्रतीक्षा करता है पंजों के पुनः उग आने की।
 नये चोंच और पंजे आने के बाद वह अपने भारी पंखों को एक एक कर नोंच कर निकालता है और प्रतीक्षा करता पंखों के पुनः उग आने की।
१५० दिन की पीड़ा और प्रतीक्षा और तब कहीं जाकर उसे मिलती है वही भव्य और ऊँची उड़ान, पहले जैसी नयी। इस पुनर्स्थापना के बाद वह ३० साल और जीता है, ऊर्जा, सम्मान और गरिमा के साथ।

प्रकृति हमें सिखाने बैठी है, बूढ़े बाज की युवा उड़ान में जिजीविषा के समर्थ स्वप्न दिखायी दे जाते हैं।
 अपनी हों उन्मुक्त उड़ानें पंजे पकड़ के प्रतीक हैं, चोंच सक्रियता की द्योतक है और पंख कल्पना को स्थापित करते हैं।
 इच्छा परिस्थितियों पर नियन्त्रण बनाये रखने की, सक्रियता स्वयं के अस्तित्व की गरिमा बनाये रखने की I

कल्पना जीवन में कुछ नयापन बनाये रखने की। इच्छा, सक्रियता और कल्पना, तीनों के तीनों निर्बल पड़ने लगते हैं, हममें भी, चालीस तक आते आते। हमारा व्यक्तित्व ही ढीला पड़ने लगता है, अर्धजीवन में ही जीवन समाप्तप्राय लगने लगता है, उत्साह, आकांक्षा, ऊर्जा अधोगामी हो जाते हैं। हमारे पास भी कई विकल्प होते हैं, कुछ सरल और त्वरित, कुछ पीड़ादायी। हमें भी अपने जीवन के विवशता भरे अतिलचीलेपन को त्याग कर नियन्त्रण दिखाना होगा, ।
बाज के पंजों की तरह। हमें भी आलस्य उत्पन्न करने वाली वक्र मानसिकता को त्याग कर ऊर्जस्वित सक्रियता दिखानी होगी, बाज की चोंच की तरह। हमें भी भूतकाल में जकड़े अस्तित्व के भारीपन को त्याग कर कल्पना की उन्मुक्त उड़ाने भरनी होंगी, बाज के पंखों की तरह।
 १५० दिन न सही, तो एक माह ही बिताया जाये, स्वयं को पुनर्स्थापित करने में। जो शरीर और मन से चिपका हुआ है, उसे तोड़ने और नोंचने में पीड़ा तो होगी ही, बाज की तरह। बाज तब उड़ानें भरने को तैयार होंगे, इस बार उड़ानें और ऊँची होंगी, अनुभवी होंगी, अनन्तगामी होंगी.


और हर बार की तरह बात इसी बात पर जाकर रूकती है की मेहनत निरंतर होनी चाहए बस फिर कुछ भी मुश्किल नहीं आप वो सब पा लोगे जो आपने चाह है :)   .मोनु एस जैन (MONU S JAIN )