सफलता और परिवार एक दूसरे से जुडी दो ऐसे चीजे है जिनका एक दूसरे के बिना अस्तित्व मुक्कमल नहीं लगता ..
हम मे से भी कितनो को जिज्ञासा होती है की सफलता और सफल जीवन यानी क्या...
ऐसे ही एक बच्चे को भी हुई जानने की इच्छा तो उसने अपने पिता से पूछा ..
पापा ये सफल जीवन क्या होता है ...?
पापा बेटे को पतंग उड़ाने ले गए ...
बेटा पिता को ध्यान से पतंग उड़ाते देख रहा था ...
थोड़ी देर बाद बेटा बोला ...पापा आपने जो ये धागा पकड़ रखा है इसकी वजह से पतंग और ऊपर नहीं जा पा रही है , क्या हम इसे तोड़ दे ..तो ये और ऊपर चली जायेगी .
पिता ने धागा तोड़ दिया ...
पतंग थोडा सा और ऊपर गई और उसके बाद लहर कर नीचे आई और दूर अनजान जगह पर जाकर गिर गई ...
तब पिता ने बेटे को जीवन का दर्शन समजाया ...
बेटा जिन्दगी मे हम जिस ऊँचाई पर है हमें अक्सर लगता है की कुछ चीजे जिनसे हम बंधे है वे हमें और ऊपर जाने से रोक रही है ...
जेसे -घर, परिवार, अनुशाशन ,माता पिता आदि ....
और हम उनसे आजाद होना चाहते है ....
वास्तव मे यही वे धागे होते है जो हमें उस ऊँचाई पर बना कर रखते है ...
इन धागों के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे परन्तु बाद मे हमारा वो ही हश्र होगा जो बिना धागे के पतंग का हुआ ...
इसलिए जीवन मे यदि तुम ऊंचाइयो पर बने रहना चाहते हो तो कभी भी इन धागों से रिश्ता मत तोडना .
धागे और पतंग जेसे जुडाव के सफल संतुलन से मिली हुई ऊंचाई को है हकीकत मे सफल जीवन कहते है .
सफलता का असली मजा तभी है जब अपनों के साथ हो :) .मोनु एस जैन (MONU S JAIN )
हम मे से भी कितनो को जिज्ञासा होती है की सफलता और सफल जीवन यानी क्या...
ऐसे ही एक बच्चे को भी हुई जानने की इच्छा तो उसने अपने पिता से पूछा ..
पापा ये सफल जीवन क्या होता है ...?
पापा बेटे को पतंग उड़ाने ले गए ...
बेटा पिता को ध्यान से पतंग उड़ाते देख रहा था ...
थोड़ी देर बाद बेटा बोला ...पापा आपने जो ये धागा पकड़ रखा है इसकी वजह से पतंग और ऊपर नहीं जा पा रही है , क्या हम इसे तोड़ दे ..तो ये और ऊपर चली जायेगी .
पिता ने धागा तोड़ दिया ...
पतंग थोडा सा और ऊपर गई और उसके बाद लहर कर नीचे आई और दूर अनजान जगह पर जाकर गिर गई ...
तब पिता ने बेटे को जीवन का दर्शन समजाया ...
बेटा जिन्दगी मे हम जिस ऊँचाई पर है हमें अक्सर लगता है की कुछ चीजे जिनसे हम बंधे है वे हमें और ऊपर जाने से रोक रही है ...
जेसे -घर, परिवार, अनुशाशन ,माता पिता आदि ....
और हम उनसे आजाद होना चाहते है ....
वास्तव मे यही वे धागे होते है जो हमें उस ऊँचाई पर बना कर रखते है ...
इन धागों के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे परन्तु बाद मे हमारा वो ही हश्र होगा जो बिना धागे के पतंग का हुआ ...
इसलिए जीवन मे यदि तुम ऊंचाइयो पर बने रहना चाहते हो तो कभी भी इन धागों से रिश्ता मत तोडना .
धागे और पतंग जेसे जुडाव के सफल संतुलन से मिली हुई ऊंचाई को है हकीकत मे सफल जीवन कहते है .
सफलता का असली मजा तभी है जब अपनों के साथ हो :) .मोनु एस जैन (MONU S JAIN )
No comments:
Post a Comment