Wednesday, 17 June 2015

संकल्प धन

हम मे से बहुत कुछ लोगो का जीवन बचपन से दर्द, पीड़ा की ऐसे राह पर चलने लगता है की महसुस होता है की कुदरत ने उनके साथ बहुत अन्याय किया है ...
ऐसी कहानिया भरी पड़ी है लेकिन कहा जाता है की ये लोग इतने बहादुर और इरादों के पक्के निकले की कुदरत को इन्हें सलाम करना पड़ा.

जे.के.रोलिंग ---
ऐसे ही अदम्य साहस का एक नाम है जिनका जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ था .
एक युवती थी ,मामूली परिवार की ,संकोची और शर्मीली सी ..
किसी तरह पढाई की घर का माहोल दम निकालने वाला था .
उसने कही दूसरी जगह जाकर एक टीचर की नोकरी कर ली ...वही जिन्दगी मे आया एक लड़का ..
वो उसे अच्छा लगा ..प्यार हुआ और दोनों ने शादी कर ली .
लड़की को लगा यही वो लड़का है जो उसकी सुखी जिन्दगी मे बहार लाएगा ..
लड़की उसके प्रेम मे डूब गई ...
लड़की मुस्कुराना चाहती थी , हंसना चाहती थी ,जिन्दगी के कुछ खुश पलो को जीना चाहती थी ....
लेकिन लड़का .......................!
वह तो शादी के बाद बदल ही गया .
शराब,झगडा ,बुरा बर्ताव ...
और बिचारी वो लड़की जिसने इतने सपने संजोये थे इतने हसीन सपने देखे थे सब टूटते से दिखे ..
इसी बीच उसे पाता चलता है की वो माँ बनने वाली है ...
लेकिन घर की बुरी हालते जारी थी उसके साथ .
उसने एक बेटी को जन्म दिया पर पति का बुरा बर्ताव जारी ही था .
फिर उसने एक फेसला लिया एक दिन सारा सामान समेटा और अपनी बहिन के पास दूसरी जगह रहने आ गई .
ये उसके लिए अवसाद और चुनोतियो से लड़ने का दोर था ..
उसने भी ठान लिया हार तो नहीं मानेगी ..
हेरी पोटर का ख्वाब उसके दिमाग मे कई दिन से पल रहा था ..वह रातो मे बेठ कर पोटर पर उपन्यास लिखती थी .
उपन्यास पूरा हुआ तो प्रकाशकों ने ख़ारिज कर दिया एक नहीं दो नहीं बल्कि चोबीस प्रकाशकों ने .
फिर भी कोई बात नहीं वो लगी रही .................
आखिर एक प्रकाशक मिल ही गया .
और उसके बाद क्या हुआ पूरी दुनिया जानती है .
हेरी पोटर सीरीज न केवल दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली सीरीज बनी ,बल्कि इस पर बनने वाली फिल्म भी सुपर डुपर हिट साबित हुई .
जो जे.के.रोलिंग एक एक पैसे को तरसती थी अरबपति बन गई ...इंग्लेंड के शीर्ष दस धनी लोगो मे उसका नाम शुमार किया जाने लगा .

प्रतिकूल परिस्थितयो से लड़कर जीतने वाली एक उदाहरण बन गई रोलिंग .
उन्हें अगर शादी के बुरे अनुभव झेलने पड़े तो साथ ही इस दोरान उनकी माँ का भी निधन हो गया था .
ऐसा नहीं था की वो विचलित नहीं होती थी ..लेकिन खुद को खुद ही संभालती भी थी .
खुद को भरोसा देती थी की एक दिन सब कुछ बदलेगा बस हारना नहीं है लगे रहना है  मेहनत करते रहना है .
उनकी इसी इच्छा शक्ति ने उन्हें अलग मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया :)
और वो मुकाम था सफलता का मुकाम :)
अगर उनकी जिन्दगी मे आये दुखो से हार जाती समजौता कर लेती तो शायद आज वो किसी गलियों मे भटक रही होती या किसी कोने मे पड़ी रो रही होती .
पर उसने ऐसा नहीं किया उसने हार नहीं मानी लड़ी संघर्ष किया और लास्ट मे जीत कर एक मिसाल कायम की :) .मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

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