Friday, 26 June 2015

मौन

मौन जीवन मे हर एक चीज मे समाया है।
हमारी जिन्दगी और हमारी सफलता कही न कही किसी न किसी रूप मे हमारे मौन से भी जुडी है।
मौन तो जीवन मे साधना का एक बुनियादी आधार है।
मौन से मन की शान्ति के कपाट तो खुलते ही है वाणी के लिए उपयोग मे लाई जाने वाली उर्जा का भी संचय होता है। और जहा आपका मन शांत हुआ तो एकाग्र होना शुरू कर देगा और एकाग्रता आई मतलब सफलता को पाने की बहुत बड़ी कुंजी मिल गई आपको ये मान के चलिए।
हमारा मौन रहना हमें आम सोच से कुछ और बेहतर कुछ और गहन सोचने का अवसर प्रदान करता है। 
मौन से एक विशिष्ट उर्जा क्षेत्र का निर्माण होता है और वाह है शान्ति की उर्जा समता की उर्जा समदर्शिता की उर्जा।
एक ऐसी उर्जा जिसका भरपूर उपयोग हम अपने जीवन को अच्छा बनाने मे कर सकते है।

जेसे किसी ने हमें गाली दी तो हम बदले मे उसे गाली न् दे।
वह तो मुर्ख है ही लेकिन बदले मे गाली देकर हम महामूर्ख न् बने।
मन शांत होता है अगर हम शांत हो जाए.. ।
अगर हम ही भटकना छोड़ दे अगर हम ही प्रतिक्रियाये करना बंद कर दे तो मन अपने आप मौन हो जाता है।

आप घर मे रहते हुए भी ऐसे हो जाओ जेसे आप घर मे ही नहीं हो तब लड़ाई नहीं हो पायेगी।
विपरीत वातावरण भी आपको हिला नहीं पायेगा।
जो हो रहा है उसे हो लेने दो गलती स्वयं सुधरने की प्रेरणा देती है।
हम उसे न ग्रहण करे और न् प्रतिक्रिया करे।
शान्ति चाहए तो शांत रहिये।
निराशा चिंता से कोसो दूर तो जीवन आपका सुखी होने से कोई नहीं रोक पायेगा ,
आप चुप रहे अपने काम मे लगे रहे मौन रहने की साधना सीख ले तो दुनिया आपको क्या कहती है आपके बारे मे क्या कहती है ये सब चीजे आपके लिए गोण हो जायेगी।
. और जब ये सब चीजों से आपको फरक नहीं पड़ेगा तो आप उस चीज पर ध्यान दे पायेंगे जो आप करना चाहते है।
जब लोगो की राय लोगो की बाते आपको विचलित नहीं करेगी तो फिर आपसे आपकी मंजिल दूर नहीं।


बस जरुरत है तो हमें खुद को साधने की हमें स्वयं पर नियंत्रण की बस। .
जो आप सोचते है जो आपकी ख्वाहिशे है वो स्वयं आपको ढूंढती हुई आएगी :)  .
मोनु एस जैन (MONU S JAIN )

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